Jaipur News: न्यायिक व्यवस्था में सुधार की मांग, हाईकोर्ट जज को मुख्यपीठ भेजने की गुहार
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Jaipur News: न्यायिक व्यवस्था में सुधार की मांग, हाईकोर्ट जज को मुख्यपीठ भेजने की गुहार

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से जयपुर पीठ में सुनवाई कर रहे जस्टिस अवनीश झिंगन को जोधपुर स्थित मुख्य पीठ में भेजने की मांग की गई है. साथ ही वर्तमान में चल रही न्यायिक व्यवस्था में सुधार की भी मांग की गई है. 

Rajasthan High Court

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन सौंपकर वर्तमान में चल रही न्यायिक व्यवस्था में सुधार की मांग की गई है. वहीं एसोसिएशन ने जयपुर पीठ में सुनवाई कर रहे जस्टिस अवनीश झिंगन को जोधपुर स्थित मुख्य पीठ में भेजने की गुहार भी की गई है. 

केस की प्रकृति के हिसाब से जजों का रोस्टर हो तय
एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश से मुकदमों की लिस्टिंग के लिए हाईकोर्ट नियम, 1952 के प्रावधानों को लागू करने की मांग की गई है. इन दिनों नए केसों में अनावश्यक डिफेक्ट लगा दिया जाता है. वर्ष 1952 के नियमों के तहत हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ऐसे प्रकरणों का अपने स्तर पर निस्तारण कर उनकी सुनवाई के लिए संबंधित न्यायाधीश के पास भेजा जाता है. वहीं अब इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया है और रजिस्ट्रार के कर्मचारी मषीनी अंदाज में फाइलों में डिफेक्ट आदि की नोटशीट लगा रहे हैं, जिसके कारण जजों के पास जाने वाली वाद सूची काफी लंबी हो गई है और सूचीबद्ध सभी मामलों पर सुनवाई भी संभव नहीं है. इसके अलावा केस की प्रकृति के हिसाब से जजों का रोस्टर तय किया जाए. 

जस्टिस अवनीश झिंगन को मुख्यपीठ में भेजने की मांग 
बार अध्यक्ष ने बताया कि पूर्व में सीजे ने एक नोटिफिकेशन जारी कर प्रावधान किया था कि मुख्यपीठ के तीन जज जयपुर पीठ में और जयपुर पीठ के तीन जज जोधपुर मुख्यपीठ में बैठकर मामलों की सुनवाई करेंगे. इस व्यवस्था के काफी अच्छे परिणाम सामने आए थे, लेकिन अब इस व्यवस्था को अक्टूबर, 2022 में समाप्त कर दिया गया है. बार की ओर से भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि जस्टिस अवनीश झिंगन प्रकरणों में प्रभावी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें मुख्यपीठ में भेजा जाए. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि हाईकोर्ट ने मुकदमों की ई-फाइलिंग को जरूरी कर दिया है, लेकिन फाइल को भौतिक रूप से भी पेश करने का प्रावधान किया गया है. ऐसे में मुकदमा पेश करने की लागत बढ़ गई है. ऐसे में सीजे से मांग की गई है कि ई-फाइलिंग और भौतिक रूप से फाइल पेश करने की व्यवस्थाओं में से एक व्यवस्था को ही लागू किया जाए. 

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