Jaipur News: जोश, जुनून, जज्बे की कहानी, संघर्ष के सहारे बदल दिया माहौल व जिंदगी
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1646556

Jaipur News: जोश, जुनून, जज्बे की कहानी, संघर्ष के सहारे बदल दिया माहौल व जिंदगी

जयपुर में कुछ लोगों ने सेवा जैसा कठिन कार्य चुना और अपनी जिद से लोगों की जिंदगी बदल दी. किसी ने बनवासी क्षेत्र में तो किसी ने घर से भागे बच्चों को घर पहुंचाने में समय लगाया तो दो बहनों ने डायबटिक बच्चों को बचाने के लिए जागरण में पूरी शक्ति लगा दी. 

Jaipur News: जोश, जुनून, जज्बे की कहानी, संघर्ष के सहारे बदल दिया माहौल व जिंदगी

Jaipur News: समाज में सेवा कार्य आसान नहीं है, उसके लिए समर्पण चाहिए. कुछ लोगों ने अपने जूनून, जज्बे और संघर्ष के सहारे माहौल को ही बदल कर रख दिया. देश में सेवा कार्यों में लगे कुछ लोगों की इसी प्रकार की कहानी निकलकर सामने आ रही है. राष्ट्रीय सेवा संगम में देशभर से आए लोगों में कुछ लोगों से बातचीत की तो पता चला कि कठिनाइयां आने के बावजूद उन्होंने अपनी सेवा-समर्पण से लोगों की सेवा को नहीं छोड़ा. जी राजस्थान ऐसे लोगों से बात रह रहा है, जिन्होंने अलग अलग क्षेत्रों में सेवा की कहानियां लिखी.

जयपुर के केशव विद्यापीठ जामडोली में तीन दिन तक वैचारिक महाकुंभ चला. इसमें देश में अलग अलग क्षेत्रों में सेवा कार्य करने वाले लोगों ने एक दूसरे से विचार साझा किए. इस मंथन में सामने आया कि कुछ लोगों ने सेवा जैसा कठिन कार्य चुना और अपनी जिद से लोगों की जिंदगी बदल दी. किसी ने बनवासी क्षेत्र में तो किसी ने घर से भागे बच्चों को घर पहुंचाने में समय लगाया तो दो बहनों ने डायबटिक बच्चों को बचाने के लिए जागरण में पूरी शक्ति लगा दी. वहीं पर्यावरण सुधार के लिए काम किया. राष्ट्रीय सेवा भारती की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सेवा संगम में कुछ इसी तरह की तस्वीर उभरकर सामने आई.

महाराष्ट्र का बारी पाड़ा आदिवासी क्षेत्र है, गांव में जंगल घटने के साथ रोजगार कम होने लगे तो लोगों के सामने संकट आने लगा. इस पर बनवासी कला आश्रम के चेतराम पंवार का ध्यान इस ओर गया. पंवार ने वर्ष 1991 में बनवासी क्षेत्र में जंगल जमीन जीवन बचाने के लिए जुट गए. बनवासी कला आश्रम के तहत उन्होंने बारीपाडा के आसपास के दस गांवों का चयन किया तथा 45 गांवों के लोगों को इकट्ठा किया. सबसे पहले वो जंगल, जल जमीन, प्रकृति और पशुधन को बचाने की मुहिम में जुटे. इसके लिए उन्होंने बनवासियों के सहयोग से पानी को संचित करने का काम किया, वहीं सामूहिक जल व्यवस्था, फॉर्मर प्रोड्यूसर कम्पनी खोली जिसके मार्फत लोगों की फसल को सीधे बाजार में बेचा. खेती विकसित हुई तो लोगों को गांव में रोजगार मिलने लगा. खेती के साथ वनवासी समाज में कुपोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण पर काम किया.

कई बार हीरो बनने तो कई बार माया नगर की ललक में बिना बताए मुम्बई पहुंच जाते हैं. घरों से भागकर आए ये बच्चे गलत लोगों के हाथों में नहीं पड़ जाए. इसको लेकर स्माटोल फाउंडेशन लगातार काम कर रहा है. फाउंडेशन अलग-अलग कारणों से घर छोडकर वर्ष 2004 से 2018 तक मुम्बई पहुंचे चालीस हजार बच्चों को उनके घर पहुंचा चुका है. फाउंडेशन के संयाेजक विजय जाधव ने बताया कि साल में एक करोड़ बच्चे इस तरह मुम्बई या अन्य शहरों में घरों से भागकर आ जाते हैं. हमलोग मुम्बई के दस रेलवे स्टेशन पर काम कर रहे हैं. हर महीने दो सौ से ढाई सौ बच्चों को उनके माता पिता तक पहुंचाते हैं. इसके लिए जन जागरण भी कर रहे हैं.

जाधव का कहना है कि सरकार ऐसे मामलों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करें ताकि बच्चों को नियमों की जानकारी हो. जाधव ने कहा कि बच्चों को घर पहुंचाने के काम में कभी भीख मंगवाने वाले तो कभी कबाड़ चुनने वाले परेशान करते हैं, वहीं रेलवे पुलिस, महिला बाल कल्याण अधिकारी सही तरीके से हेल्प नहीं करते हैं.

ये भी पढ़ें- OPS Breaking: हिमाचल के बाद ओपीएस बनेगा विधानसभा चुनाव में मुद्दा, राजस्थान में सुलगने लगी चिंगारी, 10 से हस्ताक्षर अभियान होगा शुरू

किसी व्यक्ति में जिद व जुनून हो तो कुछ भी संभव हो सकता है. दो बहनें बच्चों को डायबटिज से बचाने का अभियान चलाए हुए है और इसमें सफल भी होती जा रही है. गुजरात में चलने वाले एक ट्रस्ट की ट्रस्टी डॉ स्मिता के जोशी और उनकी बहन 18 साल तक के बच्चों में बढ़ रही डायबटिज को लेकर जागरुकता अभियान चलाए हुए है. दोनों बहनों ने भारत में डायबटिक बच्चों में अवैयनेस लाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया था. वर्ष 2019 में कश्मीर से कन्या कुमारी तक जागरुकता अभियान चलाया. इसी तरह सानफ्रांसिसको से अटलांटिक चार हजार किलोमीटर तक कार कैम्पेन चलाया गया. उनके इस संघर्ष को मान्यता देते हुए गुजारात सरकार ने बजट में 13 करोड़ 88 लाख का प्रावधान किया है। दोनों बहनों का लक्ष्य है कि देश में टाइप वन डायबटिज से बच्चों को मुक्ति मिल सके.

व्यक्ति के राशि के अनुसार पौधे भी हो सकते हैं. ये पेड़ पौधे व्यक्ति के जीवन प्रभाव डालते हैं. सेवा संगम के दौरान नव ग्रह और राशियों के अनुसार पौधों की प्रदर्शनी लगाई गई. प्रदर्शनी में पर्यावरण प्रकोष्ठ के सुरेश शर्मा ने राशि आधारित पेड़ पौधे प्रदर्शित किए. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरसंघचालक शास्त्र मोहन राव भागवत, एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने भी अवलोकन कर सराहना की.

Trending news