Kotputli Borewell Accident: पिछले 7 दिनों से 120 फुट गहरे बोरवेल में एक हुक पर टंगी हुई है तीन साल की मासूम चेतना, जानें 23 दिसंबर से अब तक क्या-क्या हुआ?
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Kotputli Borewell Accident: पिछले 7 दिनों से 120 फुट गहरे बोरवेल में एक हुक पर टंगी हुई है तीन साल की मासूम चेतना, जानें 23 दिसंबर से अब तक क्या-क्या हुआ?

Kotputli Borewell Rescue: राजस्थान के कोटपुतली में तीन साल की चेतना सातवें दिन भी भूखी-प्यासी बोरवेल में फंसी हुई है. उस तक पहुंचने के लिए सुरंग बनाने का काम जारी है, लेकिन पत्थर आने के कारण सुरंग निर्माण में देरी हो रही है. बचाव दल चेतना को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन बोरवेल की गहराई और पत्थरों की वजह से काम में बाधाएं आ रही हैं.

 

Kotputli Borewell Accident: पिछले 7 दिनों से 120 फुट गहरे बोरवेल में एक हुक पर टंगी हुई है तीन साल की मासूम चेतना, जानें 23 दिसंबर से अब तक क्या-क्या हुआ?
Kotputli Borewell Rescue: राजस्थान के कोटपूतली में तीन साल की मासूम चेतना करीब 120 फुट गहरे बोरवेल में फंसी हुई है. आज सातवां दिन है जब वह इस गहरे बोरवेल में फंसी हुई है, जिससे उसके परिवार और रेस्क्यू टीम की चिंता बढ़ गई है. चेतना 120 फीट की गहराई पर एक हुक से लटकी हुई है, जिससे उसकी सुरक्षा को लेकर खतरा बढ़ गया है. एनडीआरएफ के जवान और रेस्क्यू टीम चेतना को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन पत्थरों के आने से काम में देरी हो रही है.

 

 

चेतना को रेस्क्यू करने वाली टीम ने आज उसे बाहर निकालने का दावा किया था, लेकिन पत्थरों के आने और मिट्टी के धंसकने की आशंका के कारण टीम को अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है. इसके बावजूद, रेस्क्यू टीम ने हार नहीं मानी और चेतना को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखा है. टीम के सदस्य चेतना को बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.

 

 
राजस्थान के कोटपूतली में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने राजस्थान का सबसे मुश्किल ऑपरेशन बताया है. इस ऑपरेशन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें खुदाई में पत्थरों के आने से काम में देरी हो रही है ¹. दूसरी ओर, चेतना की मां धोली देवी अपनी बेटी को निकालने में हो रही देरी से बहुत परेशान हैं और वे हाथ जोड़कर बस एक ही विनती कर रही हैं कि उनकी बेटी को जल्दी बाहर निकाल दो.

 
शनिवार को चेतना के परिवार ने प्रशासन और कलेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए थे. परिवार का कहना था कि कलेक्टर पहले तो छुट्टी पर थीं, और आने के बाद भी उन्होंने एक बार भी परिवार से मिलने की जहमत नहीं उठाई. चेतना के ताऊ शुभराम ने बताया कि अधिकारियों से जब कुछ पूछा जाता है तो वे जवाब नहीं देते हैं, और अधिक सवाल करने पर कहते हैं कि कलेक्टर मैडम ही बताएंगी. यह आरोप लगाने से यह स्पष्ट होता है कि परिवार को लगता है कि प्रशासन इस मामले में पर्याप्त सहयोग नहीं कर रहा है.
 

मासूम चेतना को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम ने एक विशेष रणनीति बनाई है. 6 जवानों को तीन टीमों में बांटा गया है, जो 170 फीट गहरे गड्ढे में उतरकर बोरवेल तक सीधी सुरंग खोद रहे हैं. खुदाई की प्रक्रिया में सावधानी बरती जा रही है, जहां एक बार में दो जवान 20-25 मिनट तक खुदाई करते हैं और फिर उन्हें बाहर निकालकर दूसरी टीम को नीचे भेजा जाता है. जवानों की सुरक्षा के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था भी की गई है.
 

 

 

 

 

 
23 दिसंबर को हुआ हादसा
23 दिसंबर को कोटपूतली के किरतपुरा क्षेत्र में तीन साल की बच्ची चेतना बोरवेल में गिर गई थी. घटना दोपहर करीब 1:50 बजे हुई थी, जब परिजनों को बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी थी. इसके बाद परिजनों ने प्रशासन को सूचना दी, और दोपहर 2:30 बजे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची. बच्ची को ऑक्सीजन पहुंचाई गई और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, लेकिन पहले दिन के प्रयास असफल रहे.
 
 
 

 

 
24 दिसंबर को मशीने पहुंची...
24 दिसंबर को सुबह 5:30 बजे से प्रशासन ने फिर से काम शुरू किया. अधिकारियों ने परिजनों से अनुमति लेकर चेतना को हुक में फंसाकर बाहर निकालने का प्रयास किया. 9:30 बजे तक बच्ची को 15 फीट ऊपर खींचा गया, लेकिन लगातार अफसल होने के कारण प्रशासन को हरियाणा के गुरुग्राम से पाइलिंग मशीन मंगवानी पड़ी. यह मशीन रात करीब 11 बजे मौके पर पहुंची.
 
 
25 दिसंबर को पाइलिंग मशीन से काम हुआ शुर 
25 दिसंबर को चेतना को रेस्क्यू करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया गया. सुबह 8:00 बजे से पाइलिंग मशीन का उपयोग करके गड्ढा खोदने का काम शुरू किया गया. दोपहर एक बजे तक 40 फीट सुरंग बनाई गई, लेकिन इसके बाद मशीन को बंद कर दिया गया. शाम पांच बजे मशीन के साथ 4 फीट मोटा बिट असेंबल किया गया और 5:30 बजे रेस्क्यू अभियान फिर से शुरू किया गया. इस दौरान 200 फीट क्षमता की एक और पाइलिंग मशीन मौके पर पहुंची और गुजरात से एक टीम भी आई. रेट माइनर की टीम भी आठ बजे पहुंची. लेकिन इस दौरान चेतना की माता घोली देवी की तबीयत बिगड़ गई. रात 11 बजे कोटपूतली-बहरोड़ कलेक्टर कल्पना अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंचीं.
 
 
26 दिसंबर को रोकी ही गई खुदाई 
26 दिसंबर को चेतना को रेस्क्यू करने के लिए चलाए जा रहे अभियान में एक नई चुनौती आई. सुबह 10 बजे पाइलिंग मशीन को पत्थर आने के कारण रोकना पड़ा. इसके बाद छह घंटे की मेहनत के बाद मशीन से पत्थर को काटा गया. शाम छह बजे गड्ढे की गहराई की जांच की गई और इसके बाद पाइलिंग मशीन को हटा दिया गया. इसके बाद 6:30 बजे से क्रेन की मदद से गड्ढे में सेफ्टी पाइप लगाने का काम शुरू किया गया.
 
 

 

27 दिसंबर को लगाए गए लोहे के पाइप 
27 दिसंबर को चेतना को रेस्क्यू करने के लिए चलाए जा रहे अभियान में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया. दोपहर 12 बजे तक 170 फीट गहरे गड्ढे में लोहे के पाइप फिट किए गए. इसके बाद 12:40 बजे इन पाइप का वजन उठाने के लिए 100 टन क्षमता की मशीन मौके पर बुलाई गई. लेकिन करीब एक बजे मौसम बदलने के कारण हुई बारिश ने पाइप वेल्डिंग का काम रोक दिया. शाम पांच बजे वेल्डिंग का काम दोबारा शुरू किया गया, जो देर रात तक चलता रहा.
 
 
170 फीट गहरे गड्ढे में उतरे NDRF के जवान 
28 दिसंबर को चेतना को रेस्क्यू करने के लिए एनडीआरएफ की टीम ने एक नई रणनीति अपनाई. एनडीआरएफ के 6 जवानों की टीम बनाई गई, जिसमें दो-दो जवानों को 170 फीट गहरे गड्ढे में उतारा गया. इन जवानों ने सुरंग खोदने का काम शुरू किया और चार फीट सुरंग खोदी. यह एक महत्वपूर्ण प्रगति थी जो चेतना को जल्द से जल्द रेस्क्यू करने की दिशा में एक कदम था.
 


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