जर्जर इमारतों को नगर निगम का नोटिस, मलबा उठाने का खर्च भवन मालिक से वसूला जाएगा
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जर्जर इमारतों को नगर निगम का नोटिस, मलबा उठाने का खर्च भवन मालिक से वसूला जाएगा

हालांकि, इस बार बरसात में किसी जर्जर भवन के गिरने की स्थिति में उसके मलबे को हटाने के लिए टीम का गठन किया गया है. इसके साथ ही इसपर आने वाले खर्च का भुगतान संबंधित भवन मालिक से वसूलने का आदेश जारी किया गया है. 

जर्जर इमारतों को नगर निगम का नोटिस, मलबा उठाने का खर्च भवन मालिक से वसूला जाएगा

जयपुर: बारिश आते ही जर्जर इमारतें और खास्ताहाल भवनों के गिरने का खतरा बढ़ जाता है. राजधानी जयपुर में जर्जर इमारतों को चिह्नित किया गया है, लेकिन इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है. नगर निगम हैरिटेज के पास इन इमारतों का कोई स्मार्ट सॉल्यूशन नहीं है.  हालांकि, हैरिटेज निगम ने एक बार फिर 350 से ज्यादा जर्जर मकानों को नोटिस भेजने का खाका तैयार कर लिया है. लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है. निगम मानसूनी सीजन से पहले हर साल जर्जन मकानों को हटाने की बजाय सिर्फ नोटिस देकर पल्ला झाड़ लेता है.  इस बार बरसात में किसी जर्जर भवन के गिरने की स्थिति में उसके मलबे को हटाने के लिए टीम का गठन किया गया है. इसके साथ ही इसपर आने वाले खर्च का भुगतान संबंधित भवन मालिक से वसूलने का आदेश जारी किया गया है. 

वहीं, यूनेस्को ने परकोटा को विश्व विरासत घोषित कर रखा है. ऐसे में जर्जर भवनों को गिराने से ज्यादा मरम्मत करवाकर सहेजने की जरूरत है. अब तक 170 इमारत चिन्हित किए गए हैं.किशनपोल में 70, आदर्श नगर में 60, हवामहल - आमेर में 40 इमारतें हैं.पुरानी इमारतों को गिराने को लेकर यूनेस्को के नियम हैं.

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मलबे हटाने के लिए टीम का गठन 

निगम आयुक्त अवधेश मीणा का कहना है की मानसून में हादसों से बचने के लिए हैरिटेज क्षेत्र में जर्जर भवनों की मरम्मत या ध्वस्त करने के लिए भवन मालिकों को नियमित नोटिस जारी किए गए हैं.अब जोन उपायुक्त और जोन एक्सईएन को इनका रिव्यू करने के भी निर्देश दिए गए हैं. ताकि समय रहते उनकी मरम्मत कराई जा सके. इसे लेकर निगम कमिश्नर ने भी स्पष्ट कर दिया है कि निगम के पास जर्जर भवन को ध्वस्त करने की भी पावर है, लेकिन यूनेस्को के लिमिटेशंस के चलते इमारतों को गिराने की बजाए उनके मरम्मत और रिनोवेशन का प्रयास है. मीणा का कहना हैं की बरसात में किसी जर्जर भवन के गिरने की स्थिति में उसके मलबे को हटाने के लिए टीम का गठन किया गया हैं.हालांकि इसमें होने वाले खर्च का भुगतान संबंधित भवन मालिक से वसूल किया जाएगा.

विवादों की वजह से कई मकान हुए जर्जर

दरअसल,  ये नजारा हैं जयपुर के चारदीवारी इलाके का जहां तंग गलियों के अंदर कई दशकों पुरानी ऐसी इमारतें हैं. जो जर्जर हाल में हैं... जिसके चलते स्थानीय बाशिंदें परेशान रहते हैं . वहीं, पार्षद के लिखित में शिकायतें देने के बाद भी इन इमारतों पर नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता. ऐसे में सभी मानते हैं कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता हैं. आयुक्त अवधेश मीण ने बताया की शहर की अधिकांश जर्जर इमारतें कई परिवारों का हिस्सा है..अधिकांश परिवार अंदरूनी हिस्सों से निकल कर शहर की बाहरी कॉलोनियों में बस चुके हैं. ऐसे में कई इमारतें खाली पड़ी हैं या उनमें किराएदार रह रहे हैं.. कई इमारतों में मकान मालिक परिवारों में आपसी विवाद चल रहे हैं. वहीं, अधिकांश इमारतों में किसी भी निर्माण या अन्य कार्रवाई पर कोर्ट स्टे लगे हुए हैं. ऐसे में नगर निगम भी इन्हें नहीं छेड़ सकता. ऐसी स्थिति में उन भवन मालिकों को पर्याप्त समय देकर इमारत की मरम्मत कराने के निर्देश दिए जाते रहे हैं और यदि इमारत की मरम्मत नहीं होती तो निगम के पास दुर्घटना से बचाव के लिए ऐसी बिल्डिंगों को ध्वस्त करने के अधिकार भी हैं.

 बहरहाल, राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 243 के तहत खतरनाक भवन या उस पर लगी खतरनाक वस्तु जर्जर हो तो ऐसे भवन को हटाए जाने का प्रावधान है. धारा 243-1 के तहत निगम द्वारा ध्वस्त करने पर उसकी राशि भवन मालिक से वसूल होगी. नोटिस तामील होने के 2 दिन में कार्रवाई होनी चाहिए. धारा 243 की उप धारा 3 के तहत नोटिस की अनुपालन नहीं होने की स्थिति में भवन गिर जाता है तो मालिक पर जिम्मेदारी होती है.

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