राजस्थान (Rajasthan) में कोरोनाकाल में लगे लॉकडाउन (Lockdown) में भी जमकर जाम छलके. राजस्थानी कोरोना से भी नहीं डरे और जमकर शराब पी.
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Jaipur: विश्वव्यापी महामारी कोराना (Corona) के कारण देश में लगे लॉकडाउन ने भले ही हजारों लोगों का रोजगार छिन लिया. किसी को दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए लेकिन सरकार के राजस्व में कोई कमी नही आई है.
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राजस्थान (Rajasthan) में कोरोनाकाल में लगे लॉकडाउन (Lockdown) में भी जमकर जाम छलके. राजस्थानी कोरोना से भी नहीं डरे और जमकर शराब पी. राज्य में जयपुर के लोग शराब पीने के मामले में सबसे आगे रहे जबकि लॉकडाउन के समय सिर्फ शराब की दुकानें पांच घंटे ही खुलीं.
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तीन माह में ही 1293 करोड़ का ज्यादा मुनाफा बरसा
भले ही कोरोना महामारी के चलते रोजगार छिना हो या पर्यटन से लेकर अन्य कई सेक्टर लॉकडाउन के तीन महीने में ठप रहे. घाटे के कारण कुछ व्यापारियों की आत्महत्या की घटनाएं तक सामने आ चुकी हैं लेकिन एकमात्र शराब का कारोबार ऐसा रहा, जिसमें पिछले साल के मुकाबले तीन माह में ही 1293 करोड़ का ज्यादा मुनाफा बरसा है जबकि आबकारी विभाग ने प्रदेशभर के करीब 7000 ठेकेदारों को गारंटी पर 1500 करोड़ रुपये माफ कर राहत भी दी है. पिछले साल अप्रैल, मई और जून तक 1584 करोड़ की शराब बिकी थी लेकिन इस साल इन्हीं तीन महीनों में यह आंकड़ा 2877 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है. दिलचस्प बात यह कि 276 करोड़ रुपये की शराब बेचने के साथ जयपुर सिटी प्रदेश में अव्वल रही.
बताते हैं किस जिले और संभाग में जमकर बिकी शराब
लॉकडाउन में शराब बेचने वाले पांच जिले
जिला-----------------------ब्रिकी (करोड़ में)
जयपुर----------------------276 करोड़
अलवर----------------------185 करोड़
जोधपुर---------------------165 करोड़
अजमेर----------------------154 करोड़
उदयपुर----------------------139 करोड़
संभाग- जयपुर अव्वल, भरतपुर फिसड्डी
संभाग का नाम-----------------ब्रिकी
जयपुर------------------------720 करोड़
जोधपुर-----------------------572 करोड़
अजमेर----------------------378 करोड़
उदयपुर---------------------376 करोड़
बीकानेर---------------------345 करोड़
कोटा------------------------276 करोड़
भरतपुर---------------------207 करोड़
क्या कहना है आबकारी अधिकारियों का
आबकारी अधिकारियों ने बताया कि अप्रैल में लॉकडाउन के कारण दुकानें कुछ घंटे ही खुली थीं. तब पूरे माह की गारंटी पर 15 प्रतिशत छूट दी थी, क्योंकि आधा महीना अनलॉक था. मई पूरा लॉक था तो 30 प्रतिशत छूट दी गई. जून में भी 15 प्रतिशत रियायत दी. प्रदेश में करीब 1500 करोड़ रुपये की छूट दी थी.
बता दें कि प्रत्येक दुकान की वैसे अलग-अलग माहवार गारंटी होती है. शराब व्यवसाय से जुड़े ठेकेदारों ने बताया कि आबकारी विभाग को तो कभी घाटा हो ही नहीं सकता. हमेशा नुकसान ठेकेदारों को ही होता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शराब के हर दुकान की गारंटी फिक्स है कि हर महीने कितनी शराब बेचनी है. इतनी बिक्री न हो तो विभाग की ओर से उन पर पेनल्टी लगा दी जाती है. पिछले साल तक लॉटरी सिस्टम के तहत कलेक्टर की मौजूदगी में पर्चियां निकाली जाती थीं. इसमें हर दुकान के लिए हजारों आवेदन आते थे. विभाग ने साल 2019 में 1024 करोड़ और 2020 में 861 करोड़ रुपये सिर्फ आवेदनों से कमाए थे. इन दो साल की यह औसत कमाई 942 करोड़ रही लेकिन इस साल से ऑनलाइन नीलामी में आवेदन शुल्क के नाम पर 133 करोड़ रुपये ही मिले. वजह यह रही कि बोली लगाने के लिए ठेकेदार कम आए. हालांकि नीलामी के दौरान ठेकेदारों ने बेस प्राइज से ऊंची बोलियां लगाईं.
बहरहाल, शराब की बिक्री बढ़ने से भले ही शौकीनों की जेब ढीली हुई हो, परंतु सरकारी खजाने को खूब राजस्व मिला. लॉकडाउन में भले ही सबकुछ लॉक रहा हो लेकिन 'जाम' ना लॉक हुए, ना ही डाउन.