मल्लिकार्जुन खड़गे को मिली एकतरफा जीत बता रही है कि पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ कितनी मजबूत
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मल्लिकार्जुन खड़गे को मिली एकतरफा जीत बता रही है कि पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ कितनी मजबूत

Jaipur: मल्लिकार्जुन खड़गे को मिली एकतरफा जीत बता रही है कि आज भी कांग्रेस पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ कितनी मजबूत है.

मल्लिकार्जुन खड़गे को मिली एकतरफा जीत बता रही है कि पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ कितनी मजबूत

Jaipur: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में नया आलाकमान मिल गया है. 24 साल बाद हुए इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को ग़ैर गांधी अध्यक्ष मिला है लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत गांधी परिवार की ही जीत है. गांधी परिवार ने भले ही दोनों उम्मीदवारों में किसी के लिए भी चुनाव प्रचार नहीं किया लेकिन ये सब को पता था कि अनऑफिशियली मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के ही उम्मीदवार थे और उनकी एकतरफ़ा जीत बता रही है कि पार्टी पर अभी भी गांधी परिवार की पकड़ कितनी मज़बूत है.

खड़गे की इस जीत के बाद अब चर्चा ये भी शुरू हो गई है कि जिस तरीके से सत्ता में सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर रिमोट कंट्रोल अपने पास रखा था क्या ठीक उसी तरह अब संगठन में भी खड़गे अध्यक्ष रहेंगे लेकिन रिमोट कंट्रोल सोनिया राहुल और प्रियंका गांधी के पास ही रहने वाला है. इस चुनाव में खड़गे को 7897 और शशि थरूर को 1072 वोट मिले जबकि 416 वोट इनवैलिड हुए हैं. चुनाव के परिणामों को लेकर तस्वीर पहले से साफ थी जिस तरीके से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बड़े नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बने थे जिस तरीक़े से शशि थरूर रिस्पॉन्स नहीं मिलने की बात कह रहे थे उससे साफ़ था कि चुनाव एकतरफ़ा होगा.

आखिरकार वही हुआ 90 फीसदी वोटों के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे चुनाव जीतकर कांग्रेस पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं लेकिन शशि थरूर ने जिस तरीक़े से तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद चुनाव लड़ा उनकी भी तारीफ़ हो रही है. खासतौर पर शशि थरूर को 9 हज़ार मतों में से एक हज़ार मत मिलना बता रहा हैं कि पार्टी के भीतर का एक तबका अभी भी ऐसा है जो गांधी परिवार और उसकी नीतियों से सहमत नहीं है. जो बदलाव की कवायद चाह रहा था. ये गुट कामयाब नहीं हुआ. उसके बावजूद उनको मिलने वाली वोटों की संख्या दो हज़ार में हुए चुनाव से कहीं बेहतर है.

कांग्रेस पार्टी में इससे पहले आख़िरी चुनाव सन 2000 में हुआ था. तब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के सामने चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. जितेंद्र प्रसाद को 7542 वोटों में से सिर्फ 94 वोट मिले थे. उससे पहले 1997 में हुए चुनाव में सीताराम केसरी के सामने शरद पवार और राजेश पायलट चुनाव लड़ें थे तब केसरी को 7463 में से 6227 वोट मिले थे पवार को 882 और पायलट को महज़ 354 वोट मिले थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ मज़बूत रहेगी.

मल्लिकार्जुन खड़गे अपने इंटरव्यूज़ में कह चुके हैं कि बिना गांधी परिवार के कांग्रेस पार्टी का कोई वजूद नहीं है. लेकिन इस चुनाव के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत के बावजूद शशि थरूर की हार का भी सम्मान होना चाहिए उन्होंने जो हिम्मत कि उसके लिए भी साहस चाहिए.

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