Congress President election : कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरुर में से किसका पलड़ा भारी है. राजस्थान ( Rajasthan ) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) खुद अध्यक्ष पद की दौड़ में थे. बाद में वो खड़गे के प्रस्तावक बने. लेकिन सवाल ये है कि राजस्थान में खड़गे और थरुर के बीच किसका पलड़ा भारी रहा.
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Congress President election : कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव का मतदान हो गया है. 19 अक्टूबर को नतीजे सामने आएंगे. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर चुनावी मैदान में है. 25 सितंबर को जयपुर में हुए घटनाक्रम से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. राजस्थान में 408 डेलिगेट्स ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में भाग लिया. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी समेत 6 डेलिगेट्स ने इन चुनावों में वोटिंग नहीं की. तो वहीं सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) और रघु शर्मा समेत 14 डेलिगेट्स ने राजस्थान से बाहर मतदान किया.
राजस्थान कांग्रेस शासित प्रदेश है. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में कुल 9300 डेलिगेट्स है. जिसमें से 5 प्रतिशत ने मतदान नहीं किया. मतलब देशभर के करीब 465 डेलिगेट्स ने वोट नहीं डाला. 8800 के करीब लोगों ने वोट डाला. इसमें से 408 वोटर राजस्थान से थे. राजस्थान कांग्रेस शासित प्रदेश है. अशोक गहलोत मुख्यमंत्री है. वो खुद कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे. ऐसे में सवाल ये है कि राजस्थान से ज्यादा वोट किसे मिलने की संभावना है. मल्लिकार्जुन खड़गे या शशि थरुर को.
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अशोक गहलोत खुद मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रस्तावक बने थे. अशोक गहलोत ने प्रस्तावक बनने के बाद एक बार मीडिया से बात करते हुए भी मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए मतदान की अपील की थी. चूंकी अशोक गहलोत खुद पहले अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि राजस्थान से जो पीसीसी डेलिगेट्स चुने गए. वो अशोक गहलोत के पसंदीदा ही चुने गए थे. ये बात अलग है कि बाद में खुद गहलोत अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गए. ऐसे में माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के प्रस्तावक बनने और खुलेआम अपील करने की वजह से राजस्थान के अधिकांश डेलिगेट्स ने मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए ही मतदान किया होगा.
अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) ने जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे ( Mallikarjun Kharge ) के पक्ष में अपील की. तो विवाद भी हुआ था. कुछ लोगों का कहना था कि ये अध्यक्ष चुनाव के लिए तय गाइडलाइन का उल्लंघन है. लेकिन अशोक गहलोत ने इन सब आरोपों का खंडन किया था. गहलोत ने कहा था कि मैंने मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए वोट मांगकर कोई गलती नहीं की. मैं स्वयं खड़गे के प्रस्तावकों में शामिल था.