अक्सर चौराहों, ट्रेन या बस स्टैंड पर मिल जाने वाले या फिर शादी(marriage) ब्याह या किसी आयोजन में दुआएं देने वाले किन्नर(Transgender) आपने देखें होंगे. दुआ के बदले आपसे कुछ मांगा भी गया होगा. कभी प्यार से कभी गुस्से से बात करने वाले किन्नरों की जिंदगी आसान नहीं होती है.
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Transgender Facts : दूसरों की शादी की खुशियां मनाने वाले किन्नर खुद एक ही रात की शादी करते हैं और एक ही के साथ ये शादी होती है. शादी के रात तक किन्नर सुहागिन होते हैं और फिर एक रात के बाद सुबह होते ही विधवा हो जाते हैं.
किन्नर, अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन को अपना भगवान मानते हैं. हर किन्नर की शादी भगवान इरावन से होती है. शादी में सारे रीति रिवाज निभाए जाते हैं, इरावन के नाम का मंगलसूत्र भी पहनते हैं.
शादी के अगले ही दिन इरावन भगवान की मूर्ति को पहले तो पूरे शहर में घुमाया जाता है, लेकिन फिर मिलकर उसे तोड़ दिया जाता है. इसके बाद सभी किन्नर रोते हैं और अपना पूरा सोलह श्रृंगार उतार फेंकते हैं और विधवा होने का दुख मनाते हैं.
कौन है इरावन भगवान ?
जब महाभारत का युद्ध होना था. तो उससे पहले पांडवों ने मां काली की आराधना की. जिसमें किसी बच्चे की बलि की जरूरी थी. वो भी जो राजकुमार हो. लेकिन कोई राजकुमार इसके लिए आगे नहीं आया. ऐसे में सिर्फ इरावन ही थे जो माने लेकिन उन्होने शर्त रखी की बिना शादी के बलि नहीं देंगे.
अब पांडवों परेशानी में पड़ गये कि कौन ऐसी राजकुमारी होगी जो एक रात के लिए दुल्हन बनेगी और अगली सुबह विधवा हो जाने को तैयार होगी. ऐसे में श्रीकृष्ण ने पांडवों की मदद की.
श्रीकृष्ण खुद मोहिनी रूप में इरावन से विवाह कर लेते हैं और फिर अगले दिन इरावन की बलि होती है. श्रीकृष्ण ने बलि के बाद मोहिनी रूप में विधवा बनकर विलाप भी किया. उसी दिन से किन्नर इस परंपरा को मानते हुए. खुद को एक दिन की सुहागिन कर लेते हैं और फिर खुद ही अपने पति बने इरावन भगवान की मूर्ति को तोड़कर विधवा हो जाते हैं.
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