Menstrual Cycle : पीरियड्स पर वर्क फ्रॉम होम ! क्या ऑफिस जाना बेहतर नहीं होगा ?
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Menstrual Cycle : पीरियड्स पर वर्क फ्रॉम होम ! क्या ऑफिस जाना बेहतर नहीं होगा ?

Menstrual Cycle : मानसिक धर्म (Periods)या फिर मेंस्ट्रअल साइकिल के दौरान होने वाले अनुभव से हर स्त्री गुजरती है. इस दौरान आराम की जरुरत होती है. लेकिन घर हों या फिर ऑफिस काम का बोझ दर्द को भुला देता है. 

Menstrual Cycle : पीरियड्स पर वर्क फ्रॉम होम ! क्या ऑफिस जाना बेहतर नहीं होगा ?

Menstrual Cycle : कहते हैं किसी का दर्द वो ही समझ सकता है. जो खुद उस दर्द से गुजरा हो. हालांकि इस केस में ये संभव नहीं है. कि पुरुष इस दर्द को महसूस कर सकें. 

खैर अगर आप एक स्त्री हैं और ऑफिस गोइंग हैं, तो क्या आपने कभी पीरिड्स के लिए लीव या वर्क फ्रॉम होम की सुविधा मांगी है और अगर मांगी तो क्या आपकी मिली. वैसे ज्यादातर जवाब ना में होंगे.

आपकी जानकारी के लिए बता दें राजस्थान में राज्य समाज कल्याण बोर्ड सरकार को पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाली दिक्कतों का जिक्र करते हुए, उन्हें वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने की मांग कर चुका है. 

ऑफिसों में अभी महिलाओं को प्रेगनेंसी पर मैटरनिटी लीव मिलती है, लेकिन पीरियड्स के दौरान छुट्टी का सवाल ही नहीं उठता. 

हालांकि पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में वर्क फ्रॉम होम और मुश्किल हो सकता है, जहां एक स्त्री को दो मोर्चो पर जंग लड़नी पड़ती है. बेहतर होता कि राजस्थान राज्य समाज कल्याण बोर्ड पीरियड्स में पेड लीव का प्रस्ताव देता. 

अब राज्य समाज कल्याण बोर्ड के इस प्रस्ताव के बाद राजस्थान में 23 जनवरी से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में हो सकता है. राज्य की महिलाओं को पीरिड्यस के दौरान वर्क फ्रॉम होम की सुविधा मिल जाए. 

उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है. क्योंकि ये बजट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीसरे कार्यकाल का आखिरी और चुनावी बजट होगा. ऐसा कोई भी फैसला जो महिलाओं की परेशानी को ध्यान पर रखकर लिया जाता है, क्या पता चुनावों में फायदा ही दे दे.

ये तो बात रही सिर्फ राजस्थान की, लेकिन पूरे देश की बात करें तो भारत  में पीरियड्स या मेंस्‍ट्रुअल लीव जैसा कोई कॉस्सेप्ट ही नहीं है. हो भी कैसे सकता है. जहां दर्द सहना एक स्त्री के गुणों में गिना जाता हो, वहां ये दर्द मायने कहां रखता है.

हालांकि आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि बिहार में 1992 के बाद से महिला कर्मचारियों को पीरियड्स लीव दी जाती है.इसकी शुरुआत लालू प्रसाद यादव ने की थी.

पूरी दुनिया में 60 फीसदी देश महिला कर्मचारियों को पीरियड्स के दौरान पेड लीव देते हैं. ये रहे उन देशों के नाम-
स्पेन
पीरियड्स के दौरान हर महीने महिलाओं को तीन छुट्टियां देने वाला स्पेन पहला पश्चिमी देश है. स्पेन में सैनिटरी पैट और टैम्पून पर वैट तक नहीं है.  जैन मुनियों की पालकी में होती है अंतिम यात्रा, लकड़ी के तख्ते पर देह और फिर लगती है बोली

इंडोनेशिया
यहां की महिलाओं को बिना किसी पूर्व सूचना के दो दिन की पीरियड्स लीव का अधिकार दिया गया गया. 

जापान
1947 में ही जापान में पीरियड्स पर लीव का प्रावधान लागू है, वो बात अलग है कि वहां फीमेल वर्कर्स कम ही इसका प्रयोग करती हैं.

दक्षिण कोरिया 
हर महीने एक दिन की पीरियड लीव दी जाती है, हालांकि ये पेड नहीं होती है. 

ताइवान
महिला श्रमिकों को साल में 3 दिन पीरियड्स लीव देता रहा है.

जाम्बिया
हर महीने एक दिन की पीरियड लीव यहां 2013 से दी जा रही हैं.

आप क्या सोचते हैं. क्या पीरियड पर पेड लीव होनी चाहिए या फिर वर्क फ्रॉम 

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