कोरोना काल के देवदूत की कहानी, समाजसेवा की मिसाल डा. मधुसुदन मालानी की सेवा का हर कोई कायल
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कोरोना काल के देवदूत की कहानी, समाजसेवा की मिसाल डा. मधुसुदन मालानी की सेवा का हर कोई कायल

पहली बार 23 वर्षीय डॉ. मालानी उस वक्त सुर्खियों में आये थे जब कोरोना का प्रकोप फैला हुआ था. जरूरतमंदों के पास सरकारी सुविधा भी नाम मात्र की थी. उस वक्त डॉ. मालानी अपने सेवा रथ के जरिए सुबह गांव-ढाणियों के लिए निकलते थे तो उन लोगों से मिलते थे. उन्होंने अपने सहयोगियों को आइडिया देकर देश का पहला नो ह्यूमन टच कोविड सुरक्षा रथ तैयार किया. 

डॉ. मधुसुदन मालानी ने कहा-जनसेवा ही हमारा संकल्प.

Pilani: शेखावाटी में समाजसेवा की मिसाल बने डॉक्टर मधुसूदन मालानी की सेवा का हर कोई कायल है. झुंझुनूं के पिलानी में रहने वाले मुंबई प्रवासी डॉ. मधुसुदन मालानी महज 23 साल की उम्र में ही हर एक जरूरतमंद की आन कॉल सेवा करने के लिए 24 घंटे हाजिर रहते है. बात चाहे कोरोना से पहले की हो, कोरोना के दरमियान की हो या फिर कोरोना के बाद की. डॉ. मालानी ने अपने दो साल के सेवा काल में ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र होगा जिसमें समाजसेवा की मिसाल पेश ना की हो. 

डॉ. मधुसुदन मालानी ने सेवा रथ के जरिए गांव-ढाणियों तक पहुंची
पिलानी के रहने वाले डॉ. मधुसुदन मालानी मुंबई में पैदा हुए और वहीं पर पढाई की, लेकिन अब बीते दो सालों से वे झुंझुनूं के पिलानी में रह रहे है. हर जरूरतमंद की सेवा कर रहे है. पहली बार 23 वर्षीय डॉ. मालानी उस वक्त सुर्खियों में आये थे जब कोरोना का प्रकोप फैला हुआ था. जरूरतमंदों के पास सरकारी सुविधा भी नाम मात्र की थी. उस वक्त डॉ. मालानी अपने सेवा रथ के जरिए सुबह गांव-ढाणियों के लिए निकलते थे तो उन लोगों से मिलते थे. जिन तक सरकारी सुविधा नहीं मिलती थी. उन्होंने घर-घर जाकर ना केवल मास्क और सेनिटाइजर बांटे, बल्कि उनके उपयोग के बारे में बताते हुए राशन किट तक बांटी. यही नहीं ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए डॉ. मालानी के प्रयासों से झुंझुनूं जिले का पहला निजी ऑक्सीजन प्लांट भी स्थापित हुआ.

200 से अधिक स्वास्थ्य योद्धा बनाए जा चुके 
डॉ. मधुसुदन मालानी अब एक मिशन में लगे हुए है. जिसके तहत वे गांव-गांव ढाणी ढाणी में स्वास्थ्य योद्धा तैयार कर रहे है. डॉ. मालानी ने बताया कि कोरोना काल के दरम्यान यह सामने आया कि बीमार होने पर प्राथमिक उपचार के अभाव या फिर बीमारी की जानकारी के अभाव में कई लोगों को हमने खो दिया. इसके लिए अब एक एप्प तैयार कर स्वास्थ्य योद्धा तैयार किये जा रहे हैं. ताकि बीमार होने पर प्राथमिक उपचार या तो व्यक्ति को उसके घर ही मिल जाए या फिर पड़ोस में मिल जाए, इससे हम कई लोगों की जान बचा सकते हैं.

उन्होंने बताया कि पहले चरण में ब्राह्मोस एयरोस्पेस में 70 लोगों को स्वास्थ्य योद्धा की ट्रेनिंग देने के बाद अब तक पिलानी और उसके पास पड़ोस के गांवों में 200 से अधिक स्वास्थ्य योद्धा बनाए जा चुके हैं. जिन्हें हमारी तरफ से फर्स्ट एड किट भी दिए गए हैं. पूरे शेखावाटी में हर गांव और ढाणी में स्वास्थ्य योद्धा तैयार करने की तरफ हम तेजी के साथ बढ़ रहे हैं. इसके बाद प्राथमिक उपचार के लिए किसी भी बीमार या फिर घायल को मुंह नहीं ताकना पड़ेगा.

देश का पहला नो ह्यूमन टच कोविड सुरक्षा रथ किया तैयार 
समस्याओं को धरातल पर देखा तो नए-नए आइडिया भी डॉ. मधुसुदन मालानी की दूरगामी सोच को प्रमाणित करते हैं. डॉ. मालानी के दो नवाचार पूरे देश के लिए मिसाल बने हैं. कोरोना काल में जब हाइपोक्लारोइड का छिड़काव करते वक्त व्यक्तियों के शरीर को नुकसान पहुंच रहा था तो उन्होंने अपने सहयोगियों को आइडिया देकर देश का पहला नो ह्यूमन टच कोविड सुरक्षा रथ तैयार किया. जिससे बिना किसी व्यक्ति के 100 फुट तक हाइपोक्लोराइड का छिड़काव किया जा सकता था. यही नहीं छोटी और संकरी गलियों में भी यह रथ जा सकता था.

कोरोना काल में करीब 900 से अधिक गांव, ढाणियों में इस रथ द्वारा फ्री में हाइपोक्लोराइड छिड़काव करवाकर कोरोना के संक्रमण को रोका गया. इसके अलावा एक और आइडिया महिलाओं के जीवन को बदल रहा है. वो है वॉटर व्हील. जी, हां वॉटर व्हील के जरिए अब गांव की महिलाएं कुएं और टंकियों से 90 लीटर तक पानी बिना सिर पर ढोये ला सकती हैं. इन वॉटर व्हील टैंक का वितरण डॉ. मालानी द्वारा गांव-ढाणियों में फ्री में किया गया. डॉ. मालानी ने बताया कि एक स्वस्थ महिला परिवार को अच्छे से संभाल सकती हैं लेकिन पानी के मटकों के बोझ में दबी महिला ना केवल बीमार होती हैं, बल्कि उसे शरीर में दर्द जैसी शिकायतें भी होने लगती हैं.

इरादे, सोच और सेवा जज्बे का सलाम 
डॉ. मधुसुदन मालानी की उम्र चाहे 23 साल ही हो. लेकिन उनके इरादे, सोच और सेवा का जज्बा किसी मायने में भी कम नहीं है. जहां पर जो समस्या देखी, जो पीड़ा देखी और जो जरूरत महसूस की वहीं पर समाधान करने के लिए कूद गए. ऐसा ही वाक्या एक बार तब हुआ, जब वे झुंझुनूं जिला मुख्यालय पर जा रहे थे. रास्ते में उन्हें एक दिव्यांग चायवाला हाथों के बल सड़क पर परेशानी के साथ जाते हुआ दिखा. उसी वक्त उन्होंने अपनी गाड़ी रूकवाई और उससे पूछा कि आपके पास ट्राई साइकिल क्यों नहीं है. चायवाले ने बताया कि कई बार विभागों के चक्कर काटे लेकिन उन्हें सरकार ने नहीं दी. उसके पास पैसे नहीं है कि वह खरीदकर ला सके. इसके बाद डॉ. मालानी ने दिव्यांग सहायका रथ कार्यक्रम शुरू किया. जिसके तहत अब तक 100 से अधिक दिव्यांगों को बिना कोई कागजों की खानापूर्ति किये, सिर्फ एक जानकारी पर ही ट्राई साइकिल उपलब्ध करवा रहे है.

गांव-ढाणियों में कैंप लगाकर महिलाओं की हिमोग्लोबिन की कराई जांच
हिमोग्लोबिन मुक्त राजस्थान की शुरूआत हाल ही में सरकार ने की है, लेकिन डॉ. मधुसुदन मालानी ने जब झुंझुनूं में महिलाओं में हिमोग्लोबिन की कमी को देखा. तो उन्होंने आज से एक साल पहले ही हिमोग्लोबिन मुक्त झुंझुनूं अभियान का श्रीगणेश कर दिया था. माना जा रहा है कि डॉ. मालानी के अभियान से ही प्रभावित होकर राजस्थान सरकार ने भी यह अभियान शुरू किया है. क्योंकि इस संदर्भ में डॉ. मालानी ने मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री को पत्र लिखा था और धरातल पर महिलाओं की इस बड़ी समस्याओं से रूबरू करवाया था.

डॉ. मालानी ने बताया कि उन्होंने गांव-ढाणियों में कैंप लगाकर महिलाओं की हिमोग्लोबिन की जांच करने के अलावा अनुभवी चिकित्सकों से उनके रहन-सहन के बारे में जानकारी दी है. इसके अलावा दवा और रक्त भी फ्री देने का क्रम जारी है. अब तक चार हजार से अधिक महिलाएं इस कार्यक्रम का लाभ ले चुकी हैं. वहीं महिलाओं के हिमोग्लोबिन भी बढने के सुखद समाचार मिलने लगे हैं. इसके अलावा थैलेसिमिया से बीमार व्यक्ति को रक्त देने का फ्री कार्य उनके बिरला सार्वजनिक अस्पताल में किया जा रहा है यहीं नहीं कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को भी डॉ. मालानी ने स्वास्थ्य की दृष्टि से गोद लेकर उनके स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित किया है.

दिव्यांग, महिलाओं के लिए भी किया काम 
डॉ. मालानी ने ना केवल स्वास्थ्य, दिव्यांग, महिलाओं के लिए काम किया है. बल्कि खेलों को बढावा देने के लिए खेल मैदान भी गांवों में तैयार किया गया है. खेलेगा इंडिया तो ही बढ़ेगा इंडिया मुहिम के तहत स्पोट्र्स किट वितरण का कार्य भी लगातार किया जा रहा है. डॉ. मालानी ने बताया कि खेलों में हमारी प्रतिभाओं को गांव की गुवाड़ से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए हम संसाधनों की कमी नहीं आने देंगे. उनके इस अभियान के बाद गांव के खिलाड़ियों ने कई प्रतियोगिताओं में दमखम दिखाया है और डॉ. मालानी को बधाई भी दी है.

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बेसहारा पशुओं पक्षियों के लिए फ्री सेवा की शुरू 
डॉ. मधुसुदन मालानी बताते है कि जनसेवा ही हमारा संकल्प है. उसी को लेकर आगे चल रहे है. हमारा मकसद है कि हर जरूरतमंद तक उसकी जरूरत के मुताबिक हम उसकी सेवा कर सके. इसके लिए हमने गांवों में ट्यूवबैल बनाए है, खेल मैदान तैयार करवाए हैं. यही नहीं बेसहारा पशुओं पक्षियों के लिए फ्री सेवा वाला पशु चिकित्सालय भी शुरू करवाया गया है. जिसके तहत रेबिज मुक्त झुंझुनूं कार्यक्रम शुरू किया गया है. जिसमें हम कुत्तों को टीके लगाकर यह सुनिश्चित कर रहे है कि कुत्ते के काटने के बाद किसी भी व्यक्ति में रेबिज बीमारी ना फैले. यही नहीं अब तक 500 से अधिक टैक्सी और कार चालकों को फर्स्ट एड किट उपलब्ध करवाकर हादसों के समय मौके पर ही प्राथमिक उपचार भी सुनिश्चित किया गया है.

Reporter-Sandeep Kedia

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