'भगवान से बस एक शिकायत है, अब पति सिनेमा लेकर नहीं जाते'
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'भगवान से बस एक शिकायत है, अब पति सिनेमा लेकर नहीं जाते'

शादी होने के बाद अपनी शादीशुदा जिंदगी के पन्नों को पलटते हुए वैष्णवी कहती है कि नई-नई शादी हुई थी. पति तो मिल ही गए थे पर मायके में एक कसक अधूरी रह गई थी.

सेठानी वैष्णवी की कहानी पढ़कर आपकी आंखों में हिम्मत के आंसू आ जाएंगे.

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ये चंद लाइनें पढ़ने में जितनी आसान सी हैं, हकीकत में उतनी ही मुश्किल... कहते हैं कि चुनौतियों का दूसरा नाम ही जिंदगी है पर उससे भी ज्यादा उन चुनौतियों से लड़ने वाले की हिम्मत बड़ी है. ये जिंदगी भी न जाने कितने ही    इम्तिहान लेती है पर ये थोड़ी ही किसी की जान लेती है. कुछ ऐसी ही हिम्मत भरी कहानी लेकर आए हैं राजस्थान के जैसलमेर से, जिसे पढ़ कर आपका रोम-रोम तक प्रेरित हो सकता है.

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कैसे हैं हम इसान, आज जरा सी मुश्किल आती है हम पहले ही हार जाते हैं. उस चीज को हासिल करना तो दूर, हम उस तक पहुंचने से पहले ही हार मान लेते हैं पर ऐसा क्यों? हमें तो बस डर सताता है उन चार लोगों का, जो उस समाज का हिस्सा होते हैं, जो हमारे सफल होने पर भी तालियां बजाते हैं और असफल होने पर भी गालियां देते हैं पर आज की कहानी आपको बताएगी कि कैसे हम खुद खुशियों को खुद से ही अपने मुकद्दर में लिख सकते हैं. 

खैर बढ़ते हैं उस खूबसूरत कहानी की ओर, जिसने एक साधारण सी महिला को 'सेठानी वैष्णवी' बना दिया. पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम के पेज ऑफिशियल ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे में सेठानी वैष्णवी ने अपनी यह कहानी खुद ही सुनाई है. 

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शादी का मतलब नए कपड़े और ढेर सारी मिठाई
जब एक लड़की से उसकी शादी की बात की जाती है, तो वो टमाटर सी लाल होकर शर्मो-हया भरी आंखों से चुपचाप सबके बीच से उठकर चली जाती है, पर यहां वैष्णवी जी की बात ही अलग है. जब उनको पता चला कि उनकी शादी हो रही है, तो शादी से ज्यादा वह खुद को मिलने वाले नए कपड़ों और ढेर सारी मिठाइयों के लिए एक्साइटेड थी. होती भी क्यों न...तब उम्र ही क्या थी उनकी...हालांकि उस जमाने में 16 साल से भी कम उम्र में लोगों की शादी हो जाया करती थी. चमकती आंखों से अपनी जिंदगी के अहम किस्से को बताते हुए वैष्णवी कहती हैं कि मेरी शादी 16 साल में हो गई थी. शादी के बाद मैंने पहली बार गोल रोटियां बनाना सीखा, उससे भी ज्यादा खास पति की पसंद का हलवा पूरी.

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राजेश खन्ना की फिल्में दिखाने ले जाते थे वैष्णवी के पति
शादी होने के बाद अपनी शादीशुदा जिंदगी के पन्नों को पलटते हुए वैष्णवी कहती है कि नई-नई शादी हुई थी. पति तो मिल ही गए थे पर मायके में एक कसक अधूरी रह गई थी. अब आप सोच रहे होंगे कि मां-बाप बेटी की हर ख्वाहिश पूरी करते हैं तो ऐसी कौन सी कसक रह गई, जो पूरी न हो सकी... वो क्या ही कि मैं राजेश खन्ना की बहुत ही बड़ी फैन थी पर समाज के डर से मां-बाऊ जी कभी सिनेमा नहीं जाने देते थे. रोती रहती थी पर कोई सुनवाई नहीं होती थी. 
खैर जब शादी हुई तो मैं मन ही मन बेहद खुश हुई थी कि चलो, अब पतिदेव ही सिनेमा दिखाएंगे...पर फिर वही सास-ससुर का डर, नई बहू सिनेमा जाएगी...मना कर दिया गया. मैं गाल फुलाए बैठी थी कि एक दिन पति ने चुपके से बुलाकर मुझे राजेश खन्ना की फिल्म की दो टिकटें दिखाईं. यकींन मानिए मैं उस दिन बहुत ज्यादा खुश हुई थी. वैष्णवी कहती हैं कि वह उस जमाने में दिन के 75 रुपये कमाते थे पर हम सब उसमें ही खुश थे. वह मुझे कई बार घरवालों से छिपाकर सिनेमा दिखाने ले जाते थे. वह भी जान गए थे कि मैं राजेश खन्ना की बहुत बड़ी फैन थी. 

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चल पड़ा जिंदगी का कारवां
भगवान की बड़ी मेहरबानी थी. धीरे-धीरे जिंदगी का कारवां चल पड़ा. शादी के 10 साल बीत गए. इस बीच मेरे पांच बच्चे हुए. पर इन गुजरे सालों में मेरे पति ने कभी भी मुझे राजेश खन्ना की फिल्में न मिस होने दीं. प्यार की बात न पूछिए. हम बाहर जाते समय बस के बजाय एक-दूसरे के साथ चलना ज्यादा पसंद करते थे. बदले में मैं पति को हलवा-पूरी बनाकर खिलाती थी. जिंदगी बहुत सुकून से कट रही थी कि तभी बहुत बड़े बदलाव आ गए.

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हार्ट अटैक में पति की मौत
सुना ही खुशियों में बहुत जल्द नजर लग जाती है. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. एक दिन मेरे पति और सबसे बड़ा बेटा बाजार गए थे पर वापस केवल बेटा लौटा. मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि अगले पल क्या होने वाला है? हैरान-परेशान चेहरे के साथ वह चीखा- बाऊ जी को कुछ हो गया है. हम सब तुरंत उन्हें अस्पताल ले गए पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. हार्ट अटैक से उनकी सांसें थम चुकी थीं. मेरी आंखों के सामने एकदम अंधेरा सा छा चुका था. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूंगी मैं...ऐसा लगा कि मानो मेरा सबकुछ छिन सा गया हो. 

टूट पड़ा दुखों का आसमान
किसी तरह मैंने अपने कदम घर की तरफ बढा़ए. तब मेरा सबसे छोटा बच्चा केवल 2 साल का था. पहले दिन मैं बहुत रोई पर मेरे पास तो शोक मनाने का समय भी नहीं था. मेरे सामने मेरे 5 बच्चों का भविष्य था. सास-ससुर थे. इसलिए मैंने कुछ दिनों बाद ही एक होटल में गाना गाना शुरू किया. मुझे केवल 5 हजार मिलते थे, जो इतने बड़े परिवार को चलाने के लिए कम थे. इसलिए मैंने अपनी दोस्त की मदद से किले में झुमके बेचने शुरू कर दिए. ये मेरे लिए बेहद कठिन था पर जब मेरे बच्चे मुझे घर में रुकने के लिए कहते थे, उससे ज्यादा कठिन नहीं था. वो मुझसे अक्सर कहते- मां, आज रुक जाओ...पर मैं नहीं रुक सकती थी. मैं उनसे हर रोज वादा करती कि मैं शाम को टॉफी लाउंगी और फिर काम के लिए निकल जाती. 

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सास ने दिया पूरा साथ
जब एक लड़की अपने मां-बाप को छोड़कर पति के घर जाती है तो उसे वहां नए मां-बाप मिलते हैं. ऐसा ही मेरे साथ हुआ था. पति के जाने के बाद मेरी सास ने मुझे हर कदम पर सपोर्ट किया. पति की मौत के 5 साल बाद के समय के बारे में जब सोचती हूं तो सिहर कर रह जाती हूं. पांच-पांच बच्चों को पालना आसान नहीं था. मेरी सास ने मेरे बच्चों के पालन-पोषण में मेरी बहुत मदद की. ऐसा शायद ही कोई सास करती है. वक्त बीत रहा था. कभी-कभी कमाई न होने से इतना परेशान हो जाती थी कि खुद को बाथरूम में बंद करके जोर-जोर से रोती थी. 

भगवान से है बस एक शिकायत
एक लंबी ठंडी सी आह लेते हुए वैष्णवी बताती हैं कि आज 50 साल हो गए हैं. मुझे बहुत दुख होता है कि अपने पति के साथ इतना कम समय मिला, लेकिन मुझे अपने बच्चों पर गर्व है. लड़कियों की शादी हो चुकी है और लड़के अच्छा कमा रहे हैं. एक तो सेना में भी है. सच कहूं तो अब मुझे काम करने की जरूरत नहीं है पर अगर काम नहीं करूंगी तो मेरे पास कुछ और करने को भी नहीं है. 

ऐसे बनी वैष्णवी से 'सेठानी वैष्णवी'
सबसे खास बात तो यह है कि बेरहम जिंदगी के इतने उतार-चढ़ाव देखने के बाद भी वैष्णवी के होठों पर हमेशा एक मीठी मुस्कान तैरती रहती है. वहीं, आगे की कहानी बताते हुए वैष्णवी कहती हैं कि एक बार एक लड़के ने उन्हें 'सेठानी' कहकर बुलाया क्योंकि वह खुद को बॉस मानती हैं. वैष्णवी ने इससे पहले बहू और अम्मा शब्द ही खुद के लिए सुना था पर 'सेठानी वैष्णवी' नाम मिलने के बाद उनके चेहरे पर अलग ही चमक दिखाई दी.

वैष्णवी कहती हैं कि मैंने इन किलों में झुमके बेचने के दौरान सबसे गर्म और ठंडे दिनों तक का सामना किया है. मेरे मरने के दिन तक मुझे यहीं पाओगे. वैष्णवी का कहना है कि मुझे श्रीमती कहने के बजाय अगर लोग मुझे सेठानी वैष्णवी कहकर बुलाएं तो मुझे ज्यादा खुशी होती है.

 

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