जोधपुर के कायलाना की पहाड़ियों के बीच बनी इस झील को निहारने और यहां घूमने के लिए प्रतिदिन सैंकड़ो की संख्या में पर्यटक आते हैं. अलवर की सिलीसेढ़ झील की तरह इसे भी विकसित करने की योजना भी बनी, यहां आरटीडीसी ने पर्यटक इस्थल के रूप में विकसित करने का कार्य भी किया लेकिन केवल बोटिंग के अलावा यहां कोई पर्यटन के लिहाज से कोई काम नहीं हुआ.
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Jodhpur: वैसे तो जोधपुर में कई पर्यटक स्थल है. इसमे से एक कायलाना झील है. पहाड़ियों के बीच बनी यह झील आज भी सुविधाओं को तरस रही हैं. ऐसे में यहां आने वाले सैंकड़ो देशी-विदेशी पर्यटकों को सुविधाओं के अभाव में निराशा ही हाथ लग रही है. हालांकि यहां आरटीडीसी की ओर से बोटिंग संचालित की जा रही है लेकिन यहां अगर सुविधाओं की बात करें तो ना तो खान- पीने और ना ही रहने या यूं कहें कि मूलभूत सुविधा तक नहीं है.
जोधपुर के कायलाना की पहाड़ियों के बीच बनी इस झील को निहारने और यहां घूमने के लिए प्रतिदिन सैंकड़ो की संख्या में पर्यटक आते हैं. अलवर की सिलीसेढ़ झील की तरह इसे भी विकसित करने की योजना भी बनी, यहां आरटीडीसी ने पर्यटक इस्थल के रूप में विकसित करने का कार्य भी किया लेकिन केवल बोटिंग के अलावा यहां कोई पर्यटन के लिहाज से कोई काम नहीं हुआ.
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वहीं, 2005 तक आरटीडीसी ने यहां एक गेस्ट हाउस रेस्टोरेंट भी संचालित किया लेकिन सरकार बदलने के साथ ही यह गेस्ट हाउस रेस्टोरेंट को पीडब्ल्यूडी ने वापस अपने अधीन ले लिया. करीब 15 सालों से यह गेस्ट हाउस रेस्टोरेंट बंद पड़ा हैं. ऐसे में जहां यह भवन देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खो रहा हैं तो आरटीडीसी और पीडब्ल्यूडी को राजस्व नुकसान भी हो रहा है तो वहीं पर्यटकों को भी यहां आने पर गेस्ट हाउस या यूं कहें कि सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा हैं. गेस्ट हाउस के बंद होने के कारण यहां शौचालय तक की सुविधा नहीं है.
15 साल से बंद पड़े गेस्ट हाउस रेस्टोरेंट को लेने के लिए आरटीडीसी अधिकारी लगातार पीडब्ल्यूडी अधिकारियों से पिछले 3 सालों से पत्राचार भी कर रहे हैं. इस बीच जिला प्रशासन ने भी आरटीडीसी की मांग और पर्यटकों की सुविधा के लिए यह भवन आरटीडीसी को देने के निर्देश भी दिए लेकिन इसके बावजूद पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण यह मामला अभी भी कागजों में ही दफन हैं. पीडब्ल्यूडी अधिकारी यह भवन आरटीडीसी को देने के लिए शायद तैयार नहीं हैं.
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ऐसे में अब इस झील पर पर्यटकों के लिए सुविधा विकसित हो तो भी कैसे. पर्यटन विभाग ईकाई प्रभारी की माने तो अगर यह भवन पीडब्ल्यूडी उन्हें ट्रांसफर करती हैं तो आने वाले दिनों में आरटीडीसी झील पर पर्यटकों के लिए सुविधा विकसित करेंगे ताकि यहां आने वाले पर्यटक एक पॉजिटिव मैसेज लेकर जाए. साथ ही यहां सुविधा होने से आरटीडीसी को राजस्व भी अर्जित होगा. ऐसे में जरूरत हैं तो यहां सुविधाओ में रोड़ा बन रहे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को शहर और झील के विकास के लिए एक पॉजिटिव सोच के साथ सहयोग करने की.
Reporter- Bhawani Bhati