कोटा में जहां पर दिन भर में करीब 2400 के आसपास ऑपरेशन के सिलेंडर भरे जाते हैं. इनमें से 500 ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफलिंग अभी तक कम हुई है, जिससे कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों तक भी असर इनका पहुंचेगा.
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Kota: कोविड-19 (Covid-19) के मरीजों के लिए ऑक्सीजन (Oxygen) संजीवनी बनी हुई है. लगातार कोटा (Kota) के 5 प्लांट ऑक्सीजन जनरेशन कर रहे हैं, जिनमें से दो लिक्विड ऑक्सीजन के हैं जबकि तीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट हैं.
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इनमें से एक साथ तीन ऑक्सीजन के प्लांट ब्रेक डाउन हो गया, जिससे कोविड-19 मरीजों के सामने मुसीबत खड़ी हो सकती है. इन प्लांट्स के जल्दी सुचारू करने के लिए स्टाफ और इंजीनियर लगे हुए हैं. अगर लगातार यह कुछ और घंटे बंद रहते हैं तो कोटा में निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं.
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इस जानकारी के बाद कोटा जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है. साथ ही लगातार ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग कर रहे अधिकारी भी इन ऑक्सीजन प्लांट पर पहुंच गए हैं, जिनमें प्रशिक्षु आईपीएस मृत्युंजय और ऑक्सीजन सप्लाई की पूरी व्यवस्था देख रहे रीको के सीनियर रीजनल मैनेजर एसके गर्ग शामिल हैं.
कोटा में जहां पर दिन भर में करीब 2400 के आसपास ऑपरेशन के सिलेंडर भरे जाते हैं. इनमें से 500 ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफलिंग अभी तक कम हुई है, जिससे कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों तक भी असर इनका पहुंचेगा.
क्या कहना है जिम्मेदार अधिकारियों का
मामले पर बातचीत करते हुए रीको के सीनियर रीजनल मैनेजर एसके गर्ग ने बताया कि सुबह 10:00 बजे के करीब से ही रानपुर स्थित हाड़ौती इंडस्ट्रियल गैस के प्लांट से ऑक्सीजन का निर्माण बंद हो गया था. ये लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट है. ऐसे में तकनीकी कमी को दूर करने के लिए इंजीनियरों को लगाया गया है और देर रात तक यह चालू हुआ है, जिससे उत्पादन शुरू हुआ है. इसके अलावा रानपुर में ही विल्सन के ऑक्सीजन जनरेशन और लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट तकनीकी खामी से बंद हो गए हैं, जिनको दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.
Reporter- KK Sharma