पहचान को तरस मीरा नगरी, अब इतिहासकार डॉ सदीक मोहम्मद ने उठाया बीड़ा, मिलेगी पहचान
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पहचान को तरस मीरा नगरी, अब इतिहासकार डॉ सदीक मोहम्मद ने उठाया बीड़ा, मिलेगी पहचान

नगौर जिले के मेड़ता में कई समय से  मीरा नगरी मेड़ता प्रमाणित इतिहास को लेकर तरस रही है.  11-12 सौ साल पूर्व महाराजा मानसिंह के जरिए बसाई गई मेड़ता नगरी का इतिहास आज भी अधूरा है. इसी कारण से अभी तक मेड़ता के इतिहास को प्रमाणिकता से दर्ज नहीं कराया जा सका है.

पहचान को तरस मीरा नगरी, अब इतिहासकार डॉ सदीक मोहम्मद ने उठाया बीड़ा, मिलेगी पहचान

Merta: नगौर जिले के मेड़ता में कई समय से  मीरा नगरी मेड़ता प्रमाणित इतिहास को लेकर तरस रही है.  11-12 सौ साल पूर्व महाराजा मानसिंह के जरिए बसाई गई मेड़ता नगरी का इतिहास आज भी अधूरा है. इसी कारण से अभी तक मेड़ता के इतिहास को प्रमाणिकता से दर्ज नहीं कराया जा सका है. महाराजा राव दूदा से अब तक का इतिहास तो शोधकर्ता के पास उपलब्ध है, मगर महाराजा मानसिंह से महाराजा राव दूदा तक के इतिहास का कोई प्रमाणिक शोध सामने नहीं आने से मेड़ता की बसावट इतिहास के पन्नों मैं दर्ज नहीं की जा सकी है.  इस बात को मीरा स्मारक के 15 वें स्थापना दिवस के अवसर पर इतिहासकार एवं शोधकर्ता डॉ सदीक मोहम्मद मेड़ता ने  बताया. साथ ही उन्होंने यह भी प्रण लिया कि वह जल्द ही इस नगरी के प्रमाणित इतिहास का शोध करने का  काम शुरू करेंगे.

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चारभुजा नाथ का है मंदिर
बता दें कि जिले की विश्व विख्यात मीरा नगरी जो ना केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि भक्त और भगवान के बीच अटूट रिश्ते का जीता जागता उदाहरण है. लोग जिसे मीराबाई का मंदिर कहते हैं. वास्तविकता में वह मंदिर चारभुजा नाथ का है. मीरा की अनन्य भक्ति के चलते इस मंदिर को भी भक्तों के नाम से जाना जाता है. ऐसी विख्यात नगरी के  इतिहास को पन्नों में दर्ज नहीं होना.  इतिहासकारों के लिए चुनौती है. तो वहीं दूसरी ओर सरकारी तंत्र के शोध संस्थानों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह है. 
मिलेगी पहचान
इस विषय पर शोधकर्ताओं का मानना है कि मेड़ता नगरी को महाराजा मानसिंह के जरिए  बसाया गया मगर महाराजा मानसिंह से महाराजा राव दूदा के बीच का इतिहास किसी भी संस्थान एवं शोधकर्ता के पास नहीं है जबकि महाराजा राव दूदा से अब तक का इतिहास शोधकर्ताओं  के जरिए सहेज कर रखा गया. इतिहासकार एवं शोधकर्ता डॉ सदीक मोहम्मद ने मीरा स्मारक स्थापना दिवस के अवसर पर नगर के प्रबुद्धजनों  के जरिए द्वारा रखी गई मीरा नगरी मेड़ता के प्रमाणिक इतिहास की मांग को स्वीकार कर शीघ्र ही शिलालेखों एवं अन्य लिपियों का अध्ययन कर मेड़ता के प्रमाणित इतिहास का शोध कर मेड़ता नगरी को इतिहास के पन्नों में दर्ज कराने का बीड़ा उठाया है. 

मीरा स्मारक की स्थापना दिवस पर प्रबुद्ध जनों की चर्चा में मेड़ता के प्रमाणिक इतिहास को लेकर चिंता जताई गई जिस पर इतिहासकार एवं शोधकर्ता डॉ सदीक मोहम्मद सहित इतिहासकार उमेश सिंह भाटी ने शीघ्र ही मेड़ता नगरी के प्रमाणित इतिहास पर कार्य करने की सहमति जारी कर दी.

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ReporterDamodar Inaniya

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