Rajasthan Politics : झालावाड़, पाली, सिरोही, भीलवाड़ा, अजमेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, जालौर व उदयपुर की 49 सीटों पर कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हैं.
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Rajasthan Politics : राजस्थान की सियासत में चुनावी बिसात बिछनी शुरू हो गई है, भाजपा ने संगठन स्तर पर सियासी कसरत करनी शुरू कर दी है. भाजपा को उम्मीद राज बदलने की है तो वहीं कांग्रेस रिवाज बदलने की आस में है, लेकिन कांग्रेस के लिए उदयपुर, अजमेर और भीलवाड़ा समेत 9 जिले खतरे की घंटी बने हुए हैं.
दरअसल सूबे में अब चुनावी बिगुल बजने में महज 6 महीने से भी कम का वक्त बचा है, ऐसे में भाजपा ने संगठन के अपर लेवल पर बदलाव करने के बाद अब बूथ लेवल पर पन्ना प्रमुखों को तैनाती पर ध्यान देना शुरू कर दिया है, लेकिन कांग्रेस अभी तक घर के झगड़े में ही उलझी हुई है, जिसकी कीमत उसे आगामी चुनाव में चुकाना पड़ सकता है.
9 जिलों की 49 सीटें कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बनी हुई है, इन 9 में से 8 जिलों में कांग्रेस का संगठन नील बट्टा सन्नाटा है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस पाली, झालावाड़ और सिरोही में खाता तक नहीं खोल सकी थी.
9 जिले 49 विधानसभा सीट
10 कांग्रेस के पास
36 भाजपा के पास
जिले भाजपा कांग्रेस अन्य
झालावाड़ 4 0 3
पाली 5 0 1
सिरोही 2 0 0
भीलवाड़ा 5 2 0
अजमेर 5 2 0
बूंदी 2 1 0
चित्तौडगढ़ 3 2 0
जालौर 4 1 0
उदयपुर 6 2 0
सियासी पंडितों का कहना है कि सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजनाएं के बलबूते पर चुनाव लडेगी और जीत हासिल करेगी, लेकिन चुनाव कार्यकर्तों और संगठन के बलबूते लड़ा जाता है. कांग्रेस ने भी भाजपा की तर्ज पर संगठन खड़ा करने की प्लानिंग तो बनाई थी, लेकिन उसे अमल नहीं कर पाई. तत्कालीन प्रभारी अजय माकन के नेतृत्व में इसे लेकर एक ब्लूप्रिंट तैयार किया गया था, जिसमें बूथ स्तर तक संगठन के पदाधिकारियों की नियुक्ति होनी थी, लेकिन संगठन चुनाव हुए 5 महीने बीत गए,
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