Gajendra Singh Vs Ashok Gehlot : अमेरिकन डिबेट स्टाइल में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ERCP के मुद्दे पर खुली चुनौती दे डाली. है. जानिए क्या है शेखावत की चुनौती..
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Gajendra Singh Vs Ashok Gehlot : केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत आज सवाई माधोपुर के दौरे पर रहे. जहाँ उन्होंने रणथंभौर रोड स्थित होटल राज पैलेस में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ERCP के मुद्दे पर खुली चुनौती दे डाली. ERCP के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खुली चुनौती देता हूं कि वे और उनका कोई भी काबिल मंत्री और अधिकारी ERCP योजना को लेकर राजस्थान में जिस भी जगह चाहे वहाँ खुले मंच पर उनसे खुलकर डिबेट कर सकते है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ईआरसीपी योजना को लेकर पूर्वी राजस्थान के लोगों को गुमराह कर रहे है . मुख्यमंत्री और उनकी टीम ERCP पर लगातार झूठ बोल कर एक फर्जी चुनावी मुद्दा तैयार कर रहे . केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर राजनीति करने का आरोप लगाया. शेखावत ने कहा कि गहलोत ईआरसीपी के नाम पर लोगो को गुमराह करने के साथ ही पूर्वी राजस्थान के लोगो के साथ योजना को लेकर धोका और पाप कर रहे है और दोषारोपण केंद्र सरकार पर कर रहे हैं. कांग्रेस की इस राजनीति से जनता को नुकसान हो रहा है.
शेखावत ने कहा कि भारत सरकार ने पुरानी पीकेसी को साथ जोड़कर एक नया लिंक तय किया है, जिसमें 13 जिलों को न केवल पीने का पानी मिलेगा, बल्कि 5 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा भी बढ़ेगा, लेकिन भारत सरकार की इस पहले को मुख्यमंत्री गहलोत स्वीकार नहीं कर रहे. जबकि इस में राजस्थान को महज 700 करोड़ रुपये का खर्च वहन करना है . 40 हजार करोड़ की इस योजना में बाकी खर्च 36 हजार करोड़ रुपये का खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी . मुख्यमंत्री 700 करोड़ के खर्च की बजाए 15 हजार करोड़ रुपये खर्च कर ERCP को पुरा करने का झूंटा नाटक कर रहे है . उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 से पहले अटल जी की सरकार के समय में नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं की परिकल्पना की गई थी. उस समय देश में 31 लिंक चिह्नित किए गए थे. उनमें से एक पार्वती- कालीसिंध-चंबल लिंक मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच भी चिह्नित की गई थी . लेकिन मध्यप्रदेश की असहमति के कारण उस लिंक को उसी समय स्थगित कर दिया गया था.
वर्ष 2004-14 तक केंद्र में यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के समय इस पर विचार या काम नहीं हुआ. वर्ष 2014 में मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस वापस विचार करना प्रारंभ हुआ. वर्ष 2016 में वसुंधरा राजे सरकार ने ईआरसीपी की परिकल्पना के विषय में विचार किया और वर्ष 2017 में वाप्कोस को डिजाइन बनाने के लिए दिया, लेकिन राजस्थान ने देश के तय मानक 75 प्रतिशत के बजाय 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर बनाया, जिसे स्वीकृति नहीं मिली. क्यो की मध्यप्रदेश ने अनुमति नही दी . वसुंधरा की सरकार के समय ही सीडब्ल्यूसी ने इसे सही करके बनाने के लिए कहा. दुर्भाग्य से सरकार बदली और उसको दुरुस्त करने का अवसर नहीं मिला.
शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मैंने बार-बार पत्र लिखकर आग्रह किया कि इस पर आगे मार्ग निकालते हैं. हमने 9 बार मीटिंगों का आयोजन किया, लेकिन एक भी बार राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री ,जल संसाधन मंत्री बैठक में नहीं आए . उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर जयपुर में 18 अप्रैल 2022 को बैठक रखी गो, जिसकी एक महीने पहले सूचना मुख्यमंत्री और मंत्री को देखकर समय निश्चित किया था . लेकिन बैठक की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री और मंत्री की तरफ से कहलवा दिया गया कि वो दोनों नहीं आ सकते. उन्होंने कहा कि उस बैठक में भी राजस्थान के अधिकारियों ने हमारी बात पर सहमति व्यक्त की, लेकिन दुर्भाग्य से ईआरसीपी सिरे नहीं चढ़ पाई. शेखावत ने कहा कि अब राजस्थान सरकार नया शिगूफा लेकर आई है. वो नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना लेकर आई है. उन्होंने कहा कि ईआरसीपी 75 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी बनाते तो राजस्थान को 1750 एमसीएम पानी मिलता, लेकिन 15 हजार करोड़ से बनने वाले इस लिंक से केवल 521 एमसीएम पानी मिलेगा. बीसलपुर के माध्यम से जयपुर, अजमेर और टोंक शहर को पीने का पानी मिलेगा.
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि 15 हजार करोड़ भी ये सरकार संपत्तियां बेचकर इकट्ठा करेगी. शेखावत ने कहा कि भारत सरकार ईआरसीपी परियोजना को पुरानी पीकेसी के साथ जोड़कर एक नया लिंक तय किया है. इससे राजस्थान को 2500 एमसीएम पानी मिले, जिसमें राजस्थान सरकार की लिंक परियोजना से पांच गुना अधिक पानी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इसकी लागत 40 हजार करोड़ है, जिसमें न केवल पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने का पानी मिलेगा, बल्कि ईआरसीपी में जैसा सोचा था, 5 लाख हेक्टेयर नई सिंचाई का रकबा भी बढेगा . उन्होंने बताया कि इस लिंक प्रोजेक्ट को देश के टॉप 5 प्राथमिकता वाले लिंक्स में शामिल किया है, इसे प्राथमिकता पर इसको रखा गया है . ताकि राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच सहमति बनते ही इस प्रोजेक्ट पर काम करना प्रारंभ किया जा सके.
शेखावत ने कहा कि 40 हजार करोड़ की इस परियोजना में 90 प्रतिशत ग्रांट नदी जोड़ो प्रोजेक्ट को मिल सकती है. ऐसे में 36 हजार करोड़ भारत सरकार वहन करेगी और 4000 करोड़ रुपए राजस्थान व मध्यप्रदेष को मिलकर वहन करना है. उसमें से भी 1500-1600 करोड़ मुझे बताया गया कि खर्च हो चुका है. केवल अब 700 करोड़ रुपए राजस्थान सरकार को खर्च करने है . लेकिन गहलोत अपनी ही धुन में चल रहे है और लोगो को गुमराह कर रहे है . केंद्रीय मंत्री ने कहा की काँग्रेस मोदी जी से प्रेरणा लेकर 2030 के विजन की बात कर रही है लेकिन उनके पास ना तो काम करने की कोई परिकल्पना है और नहीं कोई विजन है . शेखावत ने कहा कि ERCP के मद्दे पर काँग्रेस महज राजनीति कर रही है . गंगापुरसिटी में मुख्यमंत्री सलाहकार रामकेश मीणा द्वारा दिखाए गए काले झंडे काँग्रेस की दिवालिया मानसिकता का प्रतीक है . केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत में ERCP के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खुले मंच पर पब्लिकि डिबेट करने की चुनौती दी है.
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