फतेहपुर: श्रीनाथजी आश्रम में चल रहे नव कुंडीय रुद्र महायज्ञ के तहत देवी चित्रलेखा ने दिए प्रवचन
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फतेहपुर: श्रीनाथजी आश्रम में चल रहे नव कुंडीय रुद्र महायज्ञ के तहत देवी चित्रलेखा ने दिए प्रवचन

Fatehpur, Sikar News: राजस्थान के सीकर के फतेहपुर के समीपवर्ती गांव चुवास के श्रीनाथजी के आश्रम में चल रहे नव कुंडीय रुद्र महायज्ञ के तहत विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुआ. अनुष्ठानों का आयोजन हो रहा है, जिसके तहत गुरूवार रात्रि को देवी चित्रलेखा के प्रवचन आयोजित हुए.

फतेहपुर: श्रीनाथजी आश्रम में चल रहे नव कुंडीय रुद्र महायज्ञ के तहत देवी चित्रलेखा ने दिए प्रवचन

Fatehpur, Sikar News: राजस्थान के सीकर के फतेहपुर के समीपवर्ती गांव चुवास के श्रीनाथजी के आश्रम में चल रहे नव कुंडीय रुद्र महायज्ञ के तहत विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुआ. अनुष्ठानों का आयोजन हो रहा है, जिसके तहत गुरूवार रात्रि को देवी चित्रलेखा के प्रवचन आयोजित हुए, जिसमें देवी चित्रलेखा ने प्रवचन करते हुए आने वाली पीढ़ी से भारतीय संस्कृति और संस्कारों को अपनाने पर जोर दिया. इस दौरान कई श्रद्धालु और गणमान्य जन भी मौजूद रहे.

फतेहपुर के निकटवर्ती गांव चुवास गांव के श्रीनाथजी के आश्रम में चल रहे नव कुण्डीय रुद्र महायज्ञ का आयोजन सुबह से शाम तक किया जा रहा है. आश्रम में रात्रि को महन्त निश्चल नाथ महाराज के सानिध्य में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसके तहत कथा वाचक देवी चित्र लेखा के प्रवचन आयोजित हुए. आयोजित कार्यक्रम के दौरान कथा वाचक देवी चित्र लेखा ने पाश्चत्य संस्कृति पर हमला बोलते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ी भारतीय संस्कृति और संस्कारों आत्मसात नहीं करेगी, तो आने वाली पीढी जो मा जिन्स और टी शर्ट पहन कर अपने नेनिहलों को मां के आंचल से वंचित कर देगी. 

साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों में मां के आंचल को बहुत महत्व बताया गया है. मां के इस आंचल भारतीय पहनावा नहीं मां के आचल में छुपे वात्सल्य और प्रेम संतान को संस्कार दे सकती है. हमारे गांवों में आज भी भारतीय पहनावा को महिलाएं आत्मसात कर रही है. देवी चित्र लेखा ने कहा कि राजस्थान की पहचान बहुत लोगों से मगर एक नाम सबसे पहले आता है वो नाम मीरा बाई यहां की पहचान है, मीरा बाई की भक्ति निस्वार्थ थी. 

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इस दौरान उन्होंने कहा कि जो सुख सत्संग में है वह बैकुंठ में नहीं है. सत्संग में शामिल सभी लोगों के ह्रदय में भक्ति का भाव रहता है. वहीं उन्होंने कहा कि सत्संग और प्रवचन में काफी अंतर होता है. प्रवचन कोई भी दे सकता है, जबकि जिसने अपने जीवन में प्रवचन को उतार ले, वहीं सत्संग होता है. अगर हरि की कृपा होती है तो अच्छे सत्संग सुनने का मौका मिलता है. इसके अलावा देवी चित्रलेखा और उनकी मंडलियों द्वारा बीच-बीच में एक से बढ़कर एक भगवान श्रीकृष्ण और राधा-रानी के भजन प्रस्तुत किए, जिसे सुनकर श्रद्धालु अपने-आपको झूमने से रोक नहीं पाए.

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