पत्रकार छत्रपति हत्या मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले को राम रहीम ने हाईकोर्ट में दी चुनौती
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पत्रकार छत्रपति हत्या मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले को राम रहीम ने हाईकोर्ट में दी चुनौती

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में 16 साल बाद फैसला आया था. साध्वी यौन शोषण मामले पर फैसला सुनाने वाले जज जगदीप सिंह ने मामले में सभी आरोपीयों को 11 जनवरी को दोषी ठहराया और 17 जनवरी को सज़ा सुनाई थी.

रामचंद्र छत्रपति सिरसा में दैनिक अखबार निकालते थे. 2002 में उन पर जानलेवा हमला हुआ. File photo

चंडीगढ़: पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में सीबीआई की विशेष अदालत दृारा सुनाए गए फैसले को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस एबी चौधरी और जस्टिस अनुपिंदर ग्रेवाल की बैंच ने राम रहीम की अपील को एडमिट करते हुए ज़ुर्माने की राशि पर रोक लगा दी है.

 

राम रहीम के वकील जसदेव सिंह मेंहदीरत्ता का कहना है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने जो फैसला 17 जनवरी 2019 को सुनाया है, उसको हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. वहीं सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने ज़ी मीडिया से बातचीत में कहा कि जब भी मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी वह अपना पक्ष रखेंगें. ताकि राम रहीम को किसी भी तरह की राहत न मिल सके. उन्होने कहा 16 साल लंबे संघर्ष के बाद रामचंद्र के परिवार को इंसाफ मिला है और राम रहीम को उसके किए की सज़ा मिली है.

आपको बता दें पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में 16 साल बाद फैसला आया था. साध्वी यौन शोषण मामले पर फैसला सुनाने वाले जज जगदीप सिंह ने मामले में सभी आरोपीयों को 11 जनवरी को दोषी ठहराया और 17 जनवरी को सज़ा सुनाई थी. पत्रकार हत्या मामले में राम रहीम को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई थी. साथ ही 50000 रुपए जुर्माना लगाया गया था, जिसके खिलाफ डेरा प्रमुख राम रहीम ने हाईकोर्ट का रुख किया है. फिलहाल 51 वर्षीय राम रहीम साध्वी दुष्कर्म मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में 20 साल की सज़ा काट रहा है. यह सज़ा पूरी होने के बाद उम्रकैद की सज़ा शुरू होगी. वहीं पत्रकार छत्रपति हत्याकांड में अन्य दोषी निर्मल सिंह, कृष्ण लाल और कुलदीप अंबाला जेल में बंद हैं.

गौरतलब है रामचंद्र छत्रपति सिरसा में दैनिक अखबार निकालते थे. उन्होंने 2002 में अपने अखबार में डेरा सच्चा सौदा की गतिविधियों पर खबरें लिखीं. रेप पीड़ित साध्वी ने अपने साथ हुई घटना का खुलासा करते हुए जो चिट्ठी लिखी थी उस चिट्ठी को छत्रपति ने अपने अखबार में छापा और राम रहीम के खिलाफ एक तरह से जंग छेड़ दी थी. पत्रकार रामचंद्र ने 2002 में गुमनाम चिट्ठी को अपने अखबार में प्रकाशित किया था इस चिट्ठी को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भी भेजा गया था. जिस पर संज्ञान लेते हुए 24 सितंबर 2002 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया.

सीबीआई जांच के आदेश के एक महीने बाद यानि 24 अक्टूबर 2002 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर सिरसा में जानलेवा हमला हुआ था. छत्रपति को घर के बाहर दो शूटर्स ने उन्हें गोलियां मारी थी. 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी. तब से परिवार इंसाफ के लिये अदालती जंग लड़ रहा था और उनको 16 साल बाद इंसाफ मिला.

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