शरणार्थियों का कहना है कि हमारे ही देश में हमें भारतीय नहीं गिना जाता है. शरणार्थियों ने सभी पार्टियों से दरख्वास्त किया कि इस बिल को पारित कर दें.
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नई दिल्ली: अफगानिस्तान में रहकर जीवन यापन कर रहे थे, लेकिन एक बम ब्लास्ट ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. आशा की किरण लेकर भारत लौटे, लेकिन यहां भी परेशान हैं. काबुल से भारत लौटी शरणार्थी अमरजीत कौर परेशान है. तीन बच्चों के साथ मानसिक रूप से बीमार पति की जिम्मेदारी है. लेकिन चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही है. काबुल में सुसर परिवार को चलाते थे, लेकिन एक बम ब्लास्ट ने सब कुछ तबह कर दिया. ब्लास्ट में ससुर की मौत के बाद परिवार रोटी के लिए तरस गया.
बच्चों की भविष्य की चिंता के साथ भारत लौटी, सोचा था कि छोटा-मोटा काम करके परिवार को चला लेंगे. लेकिन, परिवार को चलाना तो दूर, घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है. काबुल से भारत लौटी शरणार्थी अमरजीत कौर का आरोप है कि उसको और उसके परिवार को धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म में अपना लेने को कहते हैं. नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के लोकसभा में पास होने के बाद से भारत में रह रहे शरणार्थी अमरजीत की उम्मीदें और बढ़ गई है.
#WATCH Amarjeet Kaur, Kabul refugee, appealing to govt to pass Citizenship (Amendment) Bill: I've 3 children. We were in trouble there, we are in trouble here too. People ask us to convert to Islam. It was our father-in-law who earned for family, he also died in a bomb blast.” pic.twitter.com/tKzR7QuYIa
— ANI (@ANI) January 9, 2019
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर अफगान शरणार्थी मनोहर सिंह का कहना है कि हमारे ही देश में हमें भारतीय नहीं गिना जाता है. यह हमारी ट्रेजेडी है. हम नागरिकता के लिए 20-25 साल से कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं सभी पार्टियों से दरख्वास्त करता हूं कि इस बिल को पारित कर दें.
नागरिकता संशोधन बिल 2016 लोकसभा में पास होने के बाज अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा. मंगलवार (08 जनवरी) को भारी हंगामे के बीच इसे लोकसभा में पास कर दिया गया. विधेयक से 1955 के कानून को संशोधित किया गया है. इससे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों (हिंदु, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी व इसाई) समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का रास्ता तैयार होगा. राज्यसभा में पेश किए जाने से पहले इसको लेकर शरणार्थियों की तरफ से अपील आना भी शुरू हो गई है.
आपको बता दें कि अभी के कानून के मुताबिक, इन लोगों को 12 साल बाद भारत की नागरिकता मिल सकती है, लेकिन बिल पास हो जाने के बाद यह समयावधि 6 साल हो जाएगी. वैध दस्तावेज न होने पर भी 3 देशों के गैर मुस्लिमों को इसका लाभ मिलेगा.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह विधेयक केवल असम तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि यह पूरे देश में प्रभावी रहेगा. पश्चिमी सीमा से गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में आने वाले पीड़ित प्रवासियों को इससे राहत मिलेगी. अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने के प्रावधान वाले विधेयक पर असम के कुछ वर्गों की आशंकाओं और धार्मिक आधार पर नागरिकता दिए जाने के आरोपों को निराधार बताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार (08 जनवरी) को लोकसभा में कहा कि असम की जनता की परंपराओं, संस्कृति को संरक्षित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं.