रिफ्यूजी का दर्द: 'आप ही हमें नहीं अपनाएंगे, तो हम कहां जाएंगे'
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रिफ्यूजी का दर्द: 'आप ही हमें नहीं अपनाएंगे, तो हम कहां जाएंगे'

शरणार्थियों का कहना है कि हमारे ही देश में हमें भारतीय नहीं गिना जाता है. शरणार्थियों ने सभी पार्टियों से दरख्वास्त किया कि इस बिल को पारित कर दें. 

रिफ्यूजी का दर्द: 'आप ही हमें नहीं अपनाएंगे, तो हम कहां जाएंगे'

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में रहकर जीवन यापन कर रहे थे, लेकिन एक बम ब्लास्ट ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. आशा की किरण लेकर भारत लौटे, लेकिन यहां भी परेशान हैं. काबुल से भारत लौटी शरणार्थी अमरजीत कौर परेशान है. तीन बच्चों के साथ मानसिक रूप से बीमार पति की जिम्मेदारी है. लेकिन चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही है. काबुल में सुसर परिवार को चलाते थे, लेकिन एक बम ब्लास्ट ने सब कुछ तबह कर दिया. ब्लास्ट में ससुर की मौत के बाद परिवार रोटी के लिए तरस गया. 


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