मोदी सरकार ने दी निर्यातकों को राहत, 600 करोड़ रुपये ब्याज सब्सिडी को मंजूरी
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मोदी सरकार ने दी निर्यातकों को राहत, 600 करोड़ रुपये ब्याज सब्सिडी को मंजूरी

कानून और आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि निर्यातकों को माल भेजने से पहले और माल भेजने के बाद बैंक कर्ज पर तीन फीसदी की ब्याज सब्सिडी मिलेगी.

मोदी सरकार ने निर्यातकों को राहत दी है...(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने निर्यातकों को राहत दी है. मोदी कैबिनेट ने बुधवार को तीन फीसदी ब्याज सब्सिडी के प्रावधान को मंजूरी दे दी. आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) द्वारा लिए गए इस फैसले पर संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कानून और आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि निर्यातकों को माल भेजने से पहले और माल भेजने के बाद बैंक कर्ज पर तीन फीसदी की ब्याज सब्सिडी मिलेगी, जिससे उनकी तरलता बढ़ेगी और वैश्विक बाजारों में वे अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकेंगे. उन्होंने कहा, "इस प्रस्ताव से निर्यातकों को ब्याज सब्सिडी पर लगभग 600 करोड़ रुपये का लाभ होगा."

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "सीसीईए ने वाणिज्यिक निर्यातकों को 'ढुलाई पूर्व एवं उपरांत रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज सब्सिडी योजना (आईईएस)' में शामिल करने संबंधी वाणिज्य विभाग के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है. इसके तहत वाणिज्यिक निर्यातकों को इस योजना में चिह्नित 416 टैरिफ लाइनों के दायरे में आने वाले उत्पादों के निर्यात के लिए इस तरह के ऋण पर तीन प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दर की अनुमति दी गई है."बयान में कहा गया है कि इनसे मुख्यत: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और श्रम बहुल क्षेत्रों जैसे कृषि, वस्त्र, चमड़ा, हस्तशिल्प, मशीनरी इत्यादि क्षेत्रों को फायदा होगा.

वर्तमान योजना एक अप्रैल, 2015 से ही पांच वर्षों के लिए अमल में लाई जा रही है. इस योजना में चार अंकों वाली चिन्हित 416 टैरिफ लाइनों का निर्यात करने वाले समस्त विनिर्माता निर्यातकों के लिए ढुलाई पूर्व एवं ढुलाई उपरांत रुपया ऋणों पर तीन प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दर और एमएसएमई द्वारा उत्पादन एवं निर्यात किए जाने वाले सभी वाणिज्यिक उत्पादों पर पांच प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दर का प्रावधान किया गया है. वाणिज्यिक निर्यातकों को अबतक इस योजना के दायरे में नहीं लाया गया था. मंत्रालय ने कहा कि निर्यातक समुदाय वर्तमान योजना में वाणिज्यिक निर्यातकों को भी शामिल किए जाने की मांग निरंतर करते आ रहे थे. 

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