पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के कई बड़ी बातें बोलीं. आइए जानते हैं उनके संबोधन की 10 बड़ी बातों के बारे में...
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कोलकाता: स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आज पूरे देश में पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) मनाया जा रहा है. इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित विक्टोरिया मेमोरियल (Victoria Memorial) में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी शिरकत की थी. इस दौरान उन्होंने जोरदार भाषण देते हुए नेताजी को नमन किया. आइए जानते हैं पीएम नरेंद्र के भाषण की 10 बड़ी बातें...
अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज कोलकाता में आना मेरे लिए भावुक कर देने वाला क्षण है. आज भारत के नए सैन्य कोशल का जन्म हुआ था. बचपन से जब भी ये नाम सुना- नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मैं किसी भी परिस्थिति में रहा हूं, ये नाम कान में पड़ते ही मैं एक नई ऊर्जा से भर गया. इतना विराट व्यक्ति है उनका.
आज के ही दिन मां भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आजाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी. आज के ही दिन गुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आजादी मांगूंगा नहीं, छीन लूंगा.
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नेताजी की दूर की दृषि थी जहां तक देखने के लिए अनेकों जन्म लेने पड़ जाएं. मैं नमन करता हूं मां भारती को जिसने नेताजी को जन्म दिया. मैं आज बालक सुभाष से नेताजी बनाने वाली बंगाल की इस भूमि को भी आदर पूर्वक नमन करता हूं.
देश ने ये तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती, यानी 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया करेंगे. हमारे नेताजी भारत के पराक्रम की प्रतिमूर्ति भी हैं और प्रेरणा भी हैं.
ये मेरा सौभाग्य है कि 2018 में हमने अंडमान के द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा. देश की भावना को समझते हुए, नेताजी से जुड़ी फाइलें भी हमारी ही सरकार ने सार्वजनिक कीं. ये हमारी ही सरकार का सौभाग्य रहा जो 26 जनवरी की परेड के दौरान INA Veterans परेड में शामिल हुए.
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अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि आज भारत के पास उद्देश्य भी है और शक्ति भी है. देश को आत्मनिर्भर बनने से कोई नहीं रोक सकता. LAC से लेकर LoC तक पूरी दुनिया ने भारत की ताकत देखी है. जहां कहीं से भी भारत की संप्रुता को चुनौती देने की कोशिश की गई, भारत उसका मुंहतोड़ जवाब दे रहा है.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश अखंड भारत की पहली आजाद सरकार बनाई थी और वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन बोस से उनका श्रेय छीन लिया गया.
नए भारत का आकार देखकर नेताजी संतुष्ट होते. नए भारत में नेताजी का सपना साकार हो रहा है. पूरी दुनिया में भारतीयों का डंका बज रहा है. नेताजी के सशक्त भारत की कल्पना पूरी हो रही है. नेताजी ने सिखाया था कुछ नया करने से मत डरना. लक्ष्य अगर पवित्र हो तो सफलता मिलनी ही है.
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पीएम मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान का एक-एक व्यक्ति नेताजी का ऋणी है. 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के शरीर में बहती रक्त की एक-एक बूंद नेताजी सुभाष की ऋणी है.
नेताजी सुभाष, आत्मनिर्भर भारत के सपने के साथ ही सोनार बांग्ला की भी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं. जो भूमिका नेताजी ने देश की आज़ादी में निभाई थी, वही भूमिका पश्चिम बंगाल को आत्मनिर्भर भारत में निभानी है. आत्मनिर्भर भारत का नेतृत्व आत्मनिर्भर बंगाल और सोनार बांग्ला को भी करना है.
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