बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने एक बार फिर ब्राह्मणों को अपने पाले में खींचने की मुहिम तेज कर दी है. पार्टी को लगता है कि ब्राम्हण और दलितों का गठजोड़ कर दें तो आने वाले समय में आराम से सत्ता पर काबिज हो सकते हैं.
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने एक बार फिर ब्राह्मणों को अपने पाले में खींचने की मुहिम तेज कर दी है. पार्टी को लगता है कि ब्राह्मणों और दलितों का गठजोड़ कर दें तो आने वाले समय में आराम से सत्ता पर काबिज हो सकते हैं. तमाम दलों से गठबंधन और संगठन में अनेक प्रयोगों के बाद बसपा मानती है कि 2007 में बनी रणनीति के अनुरूप ही सफलता मिल सकती है. लिहाजा पार्टी ने फिर एक बार सोशल इंजीनियरिंग (social engineering) के माध्यम से पुराने फॉर्मूले को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
पार्टी सूत्रों की मानें तो नवरात्रि से इस पर काम तेजी से शुरू हो जाएगा. एक बार फिर बड़े पैमाने पर ब्राह्मणों को जोड़ने की कवायद की जाएगी. पार्टी के एक नेता ने बताया कि ब्राह्मणों की समस्याओं और उसके निराकरण की जिम्मेदारी इस समय खुद महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा (General Secretary Satish Chandra Mishra) ने ले रखी है. वो जिलेवार लोगों से मिल रहे हैं. उन्हें पूरा एक्शन प्लान भी बता रहे हैं. इसके अलावा बड़े ब्राह्मण नेताओं में शुमार रहे रामवीर उपाध्याय और ब्रजेश पाठक का विकल्प तलाशा जा रहा है. दूसरे दलों के ब्राह्मण में प्रभाव रखने वाले बसपा से जोड़े जा रहे हैं. सभी जिलों में पांच प्रमुख नेताओं की टीम बनायी जा रही है जिसमें ब्राह्मण रखा जाना अनिवार्य है. इसके साथ ही पार्टी का युवा ब्राह्मण नेताओं पर खास फोकस है.
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से ब्राह्मण केन्द्र बिन्दु पर हैं. विपक्षी दलों ने खूब शोर मचाकर एक माहौल भी तैयार किया है. बसपा को लगता है ब्राह्मण अगर सत्तारूढ़ दल से कटेगा तो उसे आसानी से लपका जा सकता है. इसी कारण इन दिनों सोशल मीडिया पर इसके लिए तेजी से अभियान भी चलाए जा रहे हैं. इसी वोट के कारण मायावती 2007 में सत्ता पर काबिज हो चुकी है.
सतीश चन्द्र मिश्रा के नेतृत्व में पूर्व मंत्री नकुल दुबे, अनंत मिश्रा, परेश मिश्रा समेत कई लोग ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने कहा, इन दिनों ब्राह्मण समाज के साथ जो उत्पात बढ़ा है, वह कैसे दूर हो, उन्हें क्या-क्या दिक्कतें आ रही है. इसके लिए महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा लोगों से मिल खुद फीडबैक ले रहे हैं. अभी तक हजारों लोगों से भेंट हो चुकी है. करीब 80 बैठकें भी हो चुकी है. प्रदेश में ब्राह्मणों का उत्पीड़न हो रहा है वह किसी से छिपा नहीं है. 2007 से 2012 के कार्यकाल को देंखें तो ब्राह्मण बसपा के साथ बहुत सुखी था.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पी.एन. द्विवेदी कहते हैं कि, पिछले कुछ दिनों से ब्राह्मण राजनीति के केन्द्र बिन्दु में घूम रहा है. हर पार्टी इसे अपने पाले में लाने के प्रयास में है. सपा ने परशुराम मंदिर बनवाने की बात कहकर अपना प्रेम दिखा रही है. लेकिन अभी चुनाव दूर है. ऊंट किस करवट बैठेगा यह वक्त बताएगा. बता दें कि उत्तर प्रदेश में करीब 12-13 प्रतिशत ब्राह्मण हैं, जिस पर सभी दलों की नजर है. बसपा भी इसे साधने की कोशिश में है.
(इनपुट- एजेंसी IANS)