द्रमुक ने सरकारी अधिकारियों की ‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’ के केंद्र के कदम की निंदा की
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द्रमुक ने सरकारी अधिकारियों की ‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’ के केंद्र के कदम की निंदा की

हाल में केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा और पेशेवर कदाचार के आरोप में 12 आयकर अधिकारियों को बर्खास्त किया था.

भ्रष्टाचार के आरोपों पर चार संयुक्त आयुक्त रैंक के अधिकारियों का पद घटाकर उपायुक्त रैंक कर दिया गया.

चेन्नई: द्रमुक ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिये ‘‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’’ के केंद्र सरकार के कदम की शनिवार को निंदा की और आरोप लगाया कि देश के जनसाधारण के लिये रोजगार के पर्याप्त अवसरों का सृजन नहीं किया जा रहा है. पार्टी के मुखपत्र ‘मुरासोली’ के संपादकीय में द्रविड़ मुनेत्र कझगम (द्रमुक) ने भाजपा के नेतृत्व वाले शासन में बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों की तुलना ‘‘अपने शिकार के इंजतार में बैठे भूखे भेड़ियों’’ से की है. इसमें कहा गया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में रोजगार के नये अवसरों का सृजन नहीं होना, बेरोजगारी में इजाफा और मौजूदा रिक्तियों को नहीं भरा जाना रोजगार के मोर्चे पर तीन गंभीर मुद्दे हैं.

संपादकीय में कहा गया, ‘‘जिन कर्मचारियों ने या तो 30 वर्ष की सेवा या 55 साल की उम्र पूरी कर ली है, उनके कार्य (पात्रता) के मूल्यांकन के बाद केंद्र की भाजपा सरकार ने उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया है.’’ इसके अनुसार, ‘‘इस आदेश के चलते केंद्र सरकार में 55 साल की उम्र पूरी कर चुके उन सभी कर्मचारियों को घर जाने की तैयारी कर लेनी चाहिए.’’ 

हाल में केंद्र ने भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा और पेशेवर कदाचार के आरोप में 12 आयकर अधिकारियों को बर्खास्त किया था. इसके अलावा भ्रष्टाचार के आरोपों पर चार संयुक्त आयुक्त रैंक के अधिकारियों का पद घटाकर उपायुक्त रैंक कर दिया गया. इसके अलावा भ्रष्टाचार एवं रिश्वत लेने के आरोप में केंद्र ने प्रधान आयुक्त रैंक के एक अधिकारी सहित 15 वरिष्ठ सीमाशुल्क एवं केंद्रीय आबकारी अधिकारियों को भी सेवा से हटा दिया था.

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