बेसहारा बच्चों की साथी बनी खाकी, पुलिस की पाठशाला के बारे में पढ़कर आप भी कहेंगे- वाह
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बेसहारा बच्चों की साथी बनी खाकी, पुलिस की पाठशाला के बारे में पढ़कर आप भी कहेंगे- वाह

आमतौर पर पुलिस का नाम सुनते ही लोगों के मन में बुरे इंसानों के जैसे ख्याल आने लगते है. लेकिन पुलिस का ये रुप देख कर आपके दिमाग में पुलिस के प्रति एक नई परिभाषा गढ़ जाएगी. 

.(फाइल फोटो)

अहमदाबाद, उदय रंजन: आमतौर पर पुलिस का नाम सुनते ही लोगों के मन में बुरे इंसानों के जैसे ख्याल आने लगते है. लेकिन पुलिस का ये रुप देख कर आपके दिमाग में पुलिस के प्रति एक नई परिभाषा गढ़ जाएगी. क्योंकि पुलिस ने इंसानियत का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है. पुलिस ने मज़दूर, गरीब और असहाय बच्चों के लिए स्कूल शुरु किया है.जिसमें बच्चों को पुलिस खुद ही पढ़ाती है. पुलिस ने जब इस नेक काम की शुरुआत की तब उनके सामने चुनौती ये थी की क्या उनके माता-पीता इसके लिए तैयार होंगे और बच्चे शिक्षित हो पाएंगे. लेकिन कुछ ही दिनों में पुलिस स्टेशन में पढ़ने के लिए बच्चो की लम्बी कतार लग गई.

इनमें से ज्यादातर बच्चे तंबाकू जैसी वस्तुओ का सेवन करते थे. साथ ही, माता-पिता के लिए बच्चे पैसे कमाने का जरिया थे जिसके चलते माता-पिता को भी राजी करना बेहद मुश्किल था. हालांकि माता-पिता इसके लिए तैयार हो गए और बच्चो की पढ़ाई वर्णमाला पढ़ा कर शुरू की गई और बदले में नशीले पदार्थो से मुक्त भी किया.

इसकी असर ये हुई की जो बच्चे अपना नाम तक नहीं बोल पाते थे वो अब अपना नाम भी बोल लेते है और लिख भी लेते है. वे अब गणित के सवाल भी सिख गए है. अहमदाबाद के पकवान चौक के एस.जी हाईवे पर स्थित पुलिस चौकी में आसपास के भिक मांगने वाले, झुपड़ पट्टी में रहने वाले और जरूरतमंद बच्चो के लिए पुलिस शिक्षक बनकर इन बच्चों को पढ़ा रहे है.

पकवान ट्रैफिक पिलिस की चौकी में ये बच्चे रोज़ पढ़ाई करने जाते है. पुलिस का नाम सुनते ही केवल बच्चे ही नहीं पर युवान और बुजुर्ग भी घबरा जाते है तो वही पिछले एक साल सुबह 9 से दुपहर के 2 बजे तक पुलिस की पाठशाला चल रही है और गरीब बच्चे यहाँ से शिक्षा हासिल कर रहे है. पुलिस की इस पहल से आसपास के गरीब बच्चो ने भिक मांगने का छोड़ कर पढ़ने के लिए उत्सुक हो रहे है.

तो वही दूसरी ऐसी पाठशाला शिवरनंज पुलिस थाने में भी चल रही है. 2018 में शुरू हुई "पुलिस पाठशाला" में शुरुआत के दिनों में 5 से 10 बच्चे पढ़ने के लिए आए थे. आज एक साल के अंत में पुलिस की कोशिशों से हर रोज़ 2O - 25 बच्चे सोमवार से शनिवार सुबह 9 से दुपहर 2 बजे तक "पुलिस पाठशाला" में शिक्षित हो रहे है.

बच्चे पढाई के साथ साथ बच्चे विभिन्न प्रकार के एक्टिविटी जैसे की अलग अलग प्रकार के खेल, सांस्कृतिक समेत के एक्टिविटी की जाती है. पुलिस पाठशाला जब शुरू हुई तब पुलिस के स्टाफ द्वारा फण्ड जमा कर बच्चो को नास्ता, स्टेशनरी जैसी जरुरी चीज़े मुहैया करवाई गई. फिलहाल पुलिस स्टाफ के साथ साथ जनता भी पुलिस पाठशाला में सहयोग दे रही है.

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