JNU मामला: दिल्ली पुलिस ने बताया आरोपपत्र दाखिल करने में क्यों लगे 3 साल
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JNU मामला: दिल्ली पुलिस ने बताया आरोपपत्र दाखिल करने में क्यों लगे 3 साल

पुलिस ने सोमवार को शहर की एक अदालत में जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 1200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: जेएनयू नारेबाजी मामले में करीब तीन साल बाद आरोपपत्र दाखिल करने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस तरह के मामलों में आमतौर पर इतना वक्त लग जाता है क्योंकि इसके तहत देश भर में जांच की गई और इसमें ढेर सारे रिकार्ड तथा सबूत शामिल थे.

पुलिस ने सोमवार को शहर की एक अदालत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 1200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल करते हुए कहा कि वह परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन पर फरवरी 2016 में विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारों का समर्थन करने का आरोप है.

कन्हैया और अन्य ने आरोपपत्र दाखिल करने में देर करने पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि आम चुनाव से कुछ महीने पहले ऐसा किए जाने के राजनीतिक निहितार्थ हैं. 

'इस तरह के मामलों में आमतौर पर इतना वक्त लग जाता है'
हालांकि, जांच टीम के एक मुख्य सदस्य ने कहा कि इसमें देर नहीं हुई है क्योंकि इस तरह के मामलों में आमतौर पर इतना वक्त लग जाता है. उन्होंने कहा,‘जांच का दायरा देश भर में फैला हुआ था. काफी सारे सबूत एकत्र करने थे, जिनमें काफी संख्या में आरोपियों और संदिग्धों और गवाहों के बयान भी शामिल थे.’ उन्होंने कहा कि मामले के आरोपियों/ संदिग्धों और गवाहों से पूछताछ में ज्यादा वक्त लगा. 

उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी आरोपी बनाया गया
पुलिस ने परिसर में नौ फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाने को लेकर जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी आरोपी बनाया है.  संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरू को फांसी की बरसी पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. 

बीजेपी सांसद महेश गिरि और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायतों के बाद इस सिलसिले में वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था. 

(इनपुट - भाषा)

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