आज विधानसभा में एनसीपी के नवनिर्वाचित विधायकों के पहुंचने पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने विधायकों का स्वागत किया. इस दौरान सुले ने अपने बड़े भाई अजित पवार (Ajit Pawar) का भी स्वागत किया.
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मुंबई : महाराष्ट्र (Maharashtra) में आज शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस (Congress) गठबंधन की सरकार बन रही है. विधानसभा में आज विधायकों का शपथ ग्रहण हो रहा है और शाम को उद्धव ठाकरे को सदन में बहुमत साबित करना है. उद्धव ठाकरे कल यानि गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. आज विधानसभा में एनसीपी के नवनिर्वाचित विधायकों के पहुंचने पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने विधायकों का स्वागत किया. इस दौरान सुले ने अपने बड़े भाई अजित पवार (Ajit Pawar) का भी स्वागत किया.
अजित पवार ने विधानसभा पहुंचने पर कहा, 'मैं एनसीपी में ही हूं, पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, वह पार्टी का निर्णय होगा.'
इससे पहले शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी पर अजित पवार (Ajit Pawar) के समर्थन से सरकार बनाने को लेकर निशाना साधा है. सामना में लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी से हमारा व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है, लेकिन जाते-जाते फडणवीस ने हम पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने शिवसेना के सत्ता हेतु लाचार होने की बात कही है. ये कहना वैसे ही है जैसे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. शिवसेना को सत्ता हेतु लाचार कहने वाले पहले खुद पर जमी धूल को देख लें.
सामना में लिखा गया, अजीत पवार से उन्हें ‘नजदीकी’ चलती है, लेकिन शिवसेना (Shiv Sena) के साथ जो बात तय हुई थी, उससे पलटी मारकर क्या मिला? सत्ता की लाचारी न होती और दिए गए वचनों का पालन करने की इच्छा होती तो भाजपा पर ये नौबत न आती. तुमने झूठ बोला और शिवसेना को झूठा साबित करने का प्रयास किया. इसलिए महाराष्ट्र की स्थिरता और स्वाभिमान के लिए हम तीन पार्टियों ने एक साथ आने का फैसला लिया.
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अखबार के संपादकीय में लिखा गया, महाराष्ट्र में स्थिरता आदि के लिए 2014 में जब भाजपा ने राष्ट्रवादी का समर्थन लिया था, उस समय वो लाचारी नहीं थी तो फिर अब लाचारी कैसे? भाजपा की विफलता ये है कि उन्होंने दूसरे राज्यों में जो किया वो महाराष्ट्र में नहीं कर पाए. महाराष्ट्र ने दबाव को झिड़क दिया और विधायकों ने आत्मसम्मान बनाए रखा. महाराष्ट्र शिवराय की भूमि है. यहां स्वाभिमान की ज्वालामुखी सदैव धधकती रहती है. इस स्वाभिमान को जब-जब जिसने-जिसने दबाने का प्रयास किया तब-तब महाराष्ट्र ने उसे पानी पिला दिया.
सामना में लिखा गया कि महाराष्ट्र में सत्ता के लिए भाजपा इतनी बेकरार क्यों थी? इतना अनैतिक और सिद्धांतविहीन आचरण करना दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी के अनुयायियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है! हमारे द्वारा 162 लोगों का आंकड़ा दिखाने के बावजूद उन्होंने हमें झूठा ठहराने का घृणित प्रयास किया. अब बहुमत परीक्षण के पहले ही फडणवीस की सरकार भाग निकली. महाराष्ट्र में अब तक किसी भी सरकार या राजनीतिक पार्टी की इतनी बदनामी नहीं हुई थी. अजीत पवार ने आखिरी क्षणों में अपना वस्त्रहरण रोक लिया, लेकिन भाजपा पूरी तरह नग्न हो गई. महाराष्ट्र का उद्दंड शोरगुल थम गया. अब सब शुभ होगा!