क्या ये पुलिस और प्रशासन की नाकामी नहीं है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद भी पीड़ित परिवार इतना डरा हुआ है कि अपना पुश्तैनी मकान बेचकर वहां से पलायन करना ही उसे एकमात्र रास्ता दिखाई दे रहा है.
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पटना: बिहार (Bihar) की राजधानी पिछले दिनों घटी एक घटना ने राज्य में लॉकडाउन (Lockdown) को लेकर किए जा रहे दावों की पोल खोलकर रख दी है. इस घटना ने पुलिस प्रशासन पर भी कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं. दरअसल, पटना (Patna) में 20 अप्रैल को मोहम्मद चांद नाम के शख्स और उसके कुछ साथियों ने लॉकडाउन तोड़ा. NCC के जवानों ने इन लोगों को समझाने की कोशिश की. समझाने पर मोहम्मद चांद और उसके साथियों ने जवानों से झगड़ा किया.
इसके बाद चांद समेत कई लोग भागकर पड़ोसी सन्नी गुप्ता के घर में जा घुसे. इसके बाद घर के मालिक गोपाल प्रसाद ने उन्हें बाहर जाने को कहा. विरोध करने पर चांद ने फायरिंग की, जिसमें सन्नी की मौत हो गई. घटना के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी मोहम्मद चांद समेत सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
हालांकि पुलिस ने सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन उसके बाद की कहानी और भी डराने वाली है. घटना के बाद से पीड़ित परिवार इतना खौफजदा है कि उसने अपने पुश्तैनी मकान पर "ये घर बिकाऊ है" का पोस्टर लगा दिया है.
इस मामले में पुलिस प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लग रहे हैं. क्या ये पुलिस और प्रशासन की नाकामी नहीं है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद भी पीड़ित परिवार इतना डरा हुआ है कि अपना पुश्तैनी मकान बेचकर वहां से पलायन करना ही उसे एकमात्र रास्ता दिखाई दे रहा है.
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