सेनेटरी नैपकिन्स को गरीब महिलाएं खरीद नहीं सकती हैं और इसी वजह से महिलाओं अनजाने में गंभीर कही जाने वाली स्त्री संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से घिर जाती हैं.
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अहमदाबाद (तुषार पटेल): बॉलीवुड के सुपरस्टार अक्षय कुमार की पैडमैन फिल्म को रिलीज होने के बाद, कई लोगों को महिलाओं के महावारी के दिनों के दौरान होने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी मिली. वास्तविकता भी यह है कि आज भी गरीब और अनपढ़ लड़कियों और महिलाओं को उन कठिन दिनों में गंदे कपड़े का उपयोग करना पड़ता है. सेनेटरी नैपकिन्स को गरीब महिलाएं खरीद नहीं सकती हैं और इसी वजह से महिलाओं अनजाने में गंभीर कही जाने वाली स्त्री संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से घिर जाती हैं.
शहर के हरनी वारासिया रिंग रोड पे रहने वाली प्रीति रुचवानी नाम की युवती ने गरीब, अशिक्षित महिलाओं को मुफ्त में सेनेटरी पेड्स बांटने का अनोखा अभियान शुरू किया है. प्रीति रुचवानी को 2018 में डायबिटीज हो गया था. इस बीमारी से पीड़ित होने के बाद प्रीतिने नियमित रूप से दवाइयां ली और उचित इलाज कराने से पहले बहुत तकलीफें झेलीं. हालांकि दवाइयों के रहते वह स्वस्थ हो गईं, लेकिन इस बीमारी के दौरान जो शारीरिक समस्याओं का सामना किया था इस से प्रेरणा ले कर खास अभियान का जन्म हुआ. जब प्रीति बीमार थी, तो उसने सोचा कि अगर मुझे शुगर की बीमारी में इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो समाज की गरीब और सिंचित महिलाओं को अपने मासिक धर्म के कारण न जाने कौन कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा होगा?
बस इस विचार के कारण उन्होंने गरीब और असुरक्षित महिलाओं के साथ मिलना शुरू किया और उनकी महिला सबंधित बीमारियों को जानने की कोशिश की. महिलाओं के साथ बातचीत करने के बाद, प्रीति ने महसूस किया कि जिस तरह से महिलाएं पीरियड्स के दौरान गंदे कपड़े का उपयोग कर रही है वही उनकी बीमारी का मुख्य स्रोत है. महिलाओं अपने पीरियड्स के समय मे गंदे ओर अस्वच्छ कपड़े पहनती थीं, इस वजह से इन्फ़ेक्सन होता था कई बार महावारी के उन दिनों में महिलाएं बीमारी का भी शिकार हुईं.
इस विचार के साथ, प्रीति रुचवानी ने महावारी को लेकर कैसे जागरूक रहे और कैसे इनसे होने वाली बीमारी से बचा जाएं. इस विषय पे जानकारी देना शुरू कर किया. उन्होंने देहाती इलकों में जाकर उन सभी औरतों, युवतियां और किशोरियों के साथ मुलाकात की, जो पैड्स को खरीदने में सक्षम नहीं है. उन्होंने गरीब और अनपढ़ किशोरिओ, महिलाओं और लड़कियों का सर्वेक्षण शुरू किया और जब इस तरह का डेटा मिला, तो उन्होंने सभी महिलाओं और लड़कियों को मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन का वितरण शुरू किया.