कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टों में जनता से यह वादा किया था कि सत्ता में आने पर कांग्रेस सरकार पहली कक्षा से पीएचडी तक छात्राओं को मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगी.
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चंडीगढ़: पंजाब में अपने शासनकाल का ढाई साल से भी ज्यादा का समय निकाल चुकी कांग्रेस सरकार ने छात्राओं को मुफ्त शिक्षा देने का अपना वादा भी अभी तक निभाया नही है. कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टों में जनता से यह वादा किया था कि सत्ता में आने पर कांग्रेस सरकार पहली कक्षा से पीएचडी तक छात्राओं को मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगी.
पंजाब कांग्रेस के चुनावी मेनिफेस्टों में महिला सशक्तिकरण वाले भाग में इस बात का जिक्र किया है कि कांग्रेस सत्ता में आने पर पंजाब में बेटियों को पहली कक्षा से लेकर पीएचडी जैसी उच्च शिक्षा मुफ्त में प्रदान करवाएगी. ग्रामीण और खासकर गरीब परिवारों की छात्राएं सरकार के इस वादे के पूरा होने का बेसब्री से इन्तजार कर रही हैं.
आठवीं तक की शिक्षा पंजाब में मुफ्त दी जा रही है
हालांकि आठवीं कक्षा तक की शिक्षा पंजाब में भी मुफ्त दी जा रही है मगर नौवीं कक्षा से आगे अभिभावकों को जेब ढीली करनी पड़ती है जो कि हर परिवार के बस की बात नहीं.
मोहाली के गांव की सतिंदर कौर ने बताया कि उसकी बेटी बाहरवीं कक्षा में है और आगे की पढ़ाई महंगी है इसलिए शायद ही उसकी बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाए.
वहीं नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली परमजीत कौर ने बताया कि वह फीस देकर स्कूल में पढ़ती है मगर आगे उच्च शिक्षा के लिए उसके घर के हालात इजाजत नहीं देते जबकि वो मेडिकल की पढ़ाई करके डाक्टर बनना चाहती है.
सरकार ने शुरू किया काम करना
हालांकि अब याद करवाने पर कांग्रेस सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है और अधिकारियों को इस दिशा में काम करने के निर्देश दिए हैं. उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा ने बताया कि उन्होंने अधिकारीयों के आदेश दिए हैं कि वो इसके लिए तमाम डाटा तैयार करें और जल्द ही वित्त विभाग के साथ बैठक की जाएगी. हालांकि सरकार यदि अब भी तैयारी करती है तो भी कम से कम इस शैक्षिक सत्र में छात्राओं को मुफ्त शिक्षा का लाभ नहीं मिल पाएगा.
गौरतलब है कि पंजाब कांग्रेस में सत्ता से दस साल तक दूर रही कांग्रेस ने सत्ता में वापिसी के लिए लगभग हर वर्ग के साथ लुभावने वादे किए थे. युवाओं को भी सरकार ने स्मार्ट फोन देने का वादा किया था मगर युवाओं का इन्तजार भी खत्म नहीं हो रहा. ऐसे में आने वाले समय में सरकार को चुनावी तैयारी करने में काफी दिक्क्त आ सकती है क्योंकि जनता वोट मांगने के एवज में पिछले किए वादों का हिसाब जरूर मांगेंगे.