जस्टिस जोसेफ के नाम पर फिर से विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक आज
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जस्टिस जोसेफ के नाम पर फिर से विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक आज

न्यायमूर्ति जोसेफ ने उस पीठ की अगुवाई की थी जिसने वर्ष 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था.

जस्टिस जोसेफ के नाम पर फिर से विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक आज

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के लिए उत्तराखंड हाई कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ का नाम वापस किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम आज बुधवार को एक बार फिर उनके नाम पर विचार करेगी. सीजेआई दीपक मिश्रा ने पिछले सप्ताह ही फिर से बैठक बुलाने के संकेत दिए थे. कॉलेजियम का कोरम पूरा होने के चलते यह बैठक बुलाई जा रही है. 

  1. सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए कॉलेजियम ने दो नामों की थी सिफारिश
  2. सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा के नाम पर दी थी अपनी मंजूरी
  3. सरकार ने जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की सिफारिश वापस कर दी

सरकार ने शुक्रवार, 28 अप्रैल को संबंधित फाइल कॉलेजियम को लौटा दी थी जिसने दस जनवरी को न्यायमूर्ति जोसेफ का नाम उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रुप में प्रोन्नति के लिए सिफारिश किया था. कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए दो नामों की सिफारिश की थी, इनमें एक नाम जस्टिस जोसेफ का था और दूसरा नाम सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा का था. सरकार ने इंदु मल्होत्रा के नाम पर तो मंजूरी दे दी, लेकिन जस्टिस जोसेफ की फाइल को फिर से विचार करने की बात कहते हुए लौटा दिया था.

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प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ के नाम की सिफारिश उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर की थी.

सुप्रीम कोर्ट से मिली जानकारी के मुताबित, कॉलेजियम के कोरम के लिए 5 न्यायाधीश मौजूद होने चाहिए और इस समय कॉलेजियम के सभी न्यायाधीश कोर्ट में हैं, कोई भी छुट्टी पर नहीं है. कॉलेजियम के सदस्य न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर पिछले दिनों चिकित्सा कारणों से छुट्टी पर थे. अब वे छुट्टी से वापस आ गए हैं. इसलिए न्यायाधीशों की उपलब्धता को देखते हुए 2 मई यानी बुधवार को कॉलेजियम की बैठक बुलाई जा रही है और बैठक में जस्टिस जोसेफ के नाम पर फिर विचार किया जाएगा.

उधर, जब सरकार ने जस्टिस जोसेफ के नाम को फिर विचार करने के लिए वापस कॉलेजियम को भेजा था, तो उस पर जमकर राजनीति भी हुई थी. इस पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए सवाल किया था कि क्या दो साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ फैसले की वजह से उनके नाम को मंजूरी नहीं दी गई? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की नियुक्ति क्यों रुक रही है? इसकी वजह उनका राज्य या उनका धर्म अथवा उत्तराखंड मामले में उनका फैसला है?’ 

दरअसल, 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस के शासन के दौरान कुछ राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था. इस पर मोदी सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी थी. इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई और हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की सिफारिश को नामंजूर कर दिया था और यह फैसला सुनाने वाले जस्टिस जोसेफ ही थे. राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि जस्टिस जोसेफ को उसी फैसले की सजा मिली है.

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