बेसहारा बच्चों को मिला कोर्ट का सहारा, राज्यों को जारी हुए ये निर्देश
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बेसहारा बच्चों को मिला कोर्ट का सहारा, राज्यों को जारी हुए ये निर्देश

न्यायालय ने बेसहारा बच्चों की सुरक्षा के लिए एसओपी लागू करने के राज्यों को निर्देश दिये हैं. कोर्ट के मुताबिक ऐसे बच्चों की अनुमानित संख्या 15 से 20 लाख है. कोर्ट ने राज्यों को सोमवार को ये निर्देश जारी किए हैं.

बेसहारा बच्चों को मिला कोर्ट का सहारा, राज्यों को जारी हुए ये निर्देश

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को बेसहारा बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को लागू करने का सोमवार को निर्देश दिया. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि अब तक उठाए गए कदम संतोषजनक नहीं हैं.

'बच्चों को बचाने का काम अस्थायी नहीं होना चाहिए'

उन्होंने कहा कि बच्चों को बचाने का काम अस्थायी नहीं होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उनका पुनर्वास किया जाए. पीठ ने कहा, ‘जैसा कि यह स्पष्ट है कि अन्य राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने कोई आपत्ति नहीं की है या एनसीपीसीआर द्वारा दिए गए सुझावों में कोई संशोधन नहीं मांगा है, हम सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को एनसीपीसीआर द्वारा दिये गये दिशानिर्देशों को लागू करने और बच्चों को बचाने और पुनर्वास के लिए कदम उठाने का निर्देश देते हैं.’

तमिलनाडु और दिल्ली पहले ही उठा चुके कदम

पीठ ने कहा, ‘दो सप्ताह की अवधि के भीतर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा एक स्थिति रिपोर्ट दायर की जाएगी.’ पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए मई के दूसरे सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत को बताया गया कि तमिलनाडु और दिल्ली सरकार ने पहले ही बेसहारा बच्चों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए योजना तैयार कर ली है. 

तमिलनाडु और दिल्ली को जारी हुआ ये निर्देश

न्यायालय ने कहा, ‘तमिलनाडु और दिल्ली राज्यों को एनसीपीसीआर को इसकी एक प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है. तमिलनाडु और दिल्ली राज्यों को इस योजना को लागू करने और बेसहारा बच्चों की पहचान करने और उनके पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है.’ 

ऐसे बच्चों की अनुमानित संख्या 15-20 लाख

शीर्ष अदालत ने पहले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को बेसहारा बच्चों के लिए पुनर्वास नीति तैयार करने के सुझावों को लागू करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने राज्यों से कहा था कि यह केवल कागजों पर नहीं रहना चाहिए. उसने कहा था कि अब तक केवल 17,914 बेसहारा बच्चों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है, जबकि उनकी अनुमानित संख्या 15-20 लाख है.

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