'स्किन-टू-स्किन टच के बिना सेक्‍सुअल असॉल्‍ट' पर Supreme Court का बड़ा फैसला, पॉक्सो एक्‍ट के तहत ही होगी कार्रवाई
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'स्किन-टू-स्किन टच के बिना सेक्‍सुअल असॉल्‍ट' पर Supreme Court का बड़ा फैसला, पॉक्सो एक्‍ट के तहत ही होगी कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को बॉम्‍बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) द्वारा 'स्किन-टू-स्किन टच (Skin-to-Skin Touch)' को लेकर दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है. 

'स्किन-टू-स्किन टच के बिना सेक्‍सुअल असॉल्‍ट' पर Supreme Court का बड़ा फैसला, पॉक्सो एक्‍ट के तहत ही होगी कार्रवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 'स्किन-टू-स्किन टच (Skin-to-Skin Touch)' को लेकर दिए गए बॉम्‍बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के फैसले को खारिज कर दिया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला 30 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कानून का उद्देश्य अपराधी को कानून के जाल से बचने की अनुमति देना नहीं हो सकता.

  1. हाई कोर्ट के स्किन-टू-स्किन टच फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया
  2. HC ने कहा था कि अंदरूनी अंग को बिना कपड़े हटाए छूना सेक्सुअल असॉल्ट नहीं
  3. महिला आयोग ने दी थी हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती
  4.  

बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने दिया था ये फैसला

बता दें कि बॉम्‍बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने पहले फैसला सुनाते हुए कहा था कि नाबालिग के अंदरूनी अंग को बिना कपड़े हटाए छूना सेक्सुअल असॉल्ट नहीं है. हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी फैसला देते हुए कहा कि जब तक 'स्किन-टू-स्किन टच (Skin-to-Skin Touch)' न हो, तब तक यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता है. पुष्पा गनेडीवाला ने कहा था कि किसी हरकत को यौन हमला माने जाने के लिए 'गंदी मंशा से त्वचा से त्वचा (स्किन टू स्किन) का संपर्क होना' जरूरी है.

एक 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में 39 वर्षीय पुरुष को सेशन कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी, जिस फैसले को संशोधित करते हुए जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने रोक लगा दी थी. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है.

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महिला आयोग ने दी थी HC के फैसले को चुनौती

अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से फैसला रद्द करने की गुहार लगाई थी. इसके अलावा राष्‍ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission) की तरफ से भी खास याचिका दायर कर बॉम्‍बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के फैसले को चुनौती दी गई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी को हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी पीटीआई)

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