Jagannath Temple: पुरी में जगन्नाथ मंदिर के नजदीक निर्माण पर SC का रोक से इंकार, इस टिप्पणी के साथ याचिका खारिज
Advertisement
trendingNow11206630

Jagannath Temple: पुरी में जगन्नाथ मंदिर के नजदीक निर्माण पर SC का रोक से इंकार, इस टिप्पणी के साथ याचिका खारिज

Jagannath Corridor project: एडवोकेट जनरल ने कहा मंदिर में सालाना हजारों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते है. जाहिर है उन्हें टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधाओं की जरूरत है. सभी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कॉरिडोर के निर्माण कार्य को रोकने की याचिका खारिज कर दी.

Jagannath Temple: पुरी में जगन्नाथ मंदिर के नजदीक निर्माण पर SC का रोक से इंकार, इस टिप्पणी के साथ याचिका खारिज

SC dismisses pleas against construction at Puri temple: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के नजदीक ओडिशा सरकार की ओर से कराए जा रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने इसके खिलाफ दायर याचिकाओं को फिजूल और प्रचार के लिए दाखिल बताकर खारिज कर दिया. यही नहीं, कोर्ट ने अदालत का कीमती वक्त बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ताओं पर 1 -1 लाख का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने कहा कि चार हफ्ते में याचिककर्ता जुर्माने की राशि ओडिशा सरकार को दे.

'बेमानी आशंका'

कोर्ट में दायर याचिकाओं में सवाल उठाया गया था कि वहां हो रहे निर्माण कार्य के चलते प्राचीन मंदिर के स्वरूप को खतरा पहुंच रहा है. हालांकि कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार वहां श्रद्धालुओं की सुविधाएं बढाने के लिए काम कर रही है और प्राचीन मंदिर के स्वरूप को खतरा पहुंचने की आशंका बेमानी है.

निर्माण का मकसद लोगों को सुविधाएं देना: SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ASI के डायरेक्टर जनरल के नोट से यह आशंका बेमानी साबित हो जाती है. इससे पहले ओडिशा हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार की ओर एडवोकेट जनरल के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया था कि वहां पुरातात्विक अवशेषों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. कोर्ट ने कहा कि  राज्य सरकार की ओर से हो रहा वहां चल रहा निर्माण कार्य असल में  जनहित में है. इसका मकसद रोजाना दर्शन के लिए पहुंचने वाले हजारों श्रद्धालुओं को सुविधाएं प्रदान करना है. इससे पहले ओडिशा हाई कोर्ट ने सरकार की ओर से हो रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी थी.

ये भी पढ़ें- Uttarakhand: चंपावत में CM धामी की ऐतिहासिक जीत, उपचुनाव में विरोधियों की जमानत जब्त

याचिकाकर्ताओं की दलील

याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पावनी और विनय नवारे पेश हुए थे. उनकी ओर से कहा गया कि जगन्नाथ मंदिर AMSAR एक्ट ( प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958) के तहत एक संरक्षित स्मारक है. नियमों के तहत यहां प्रतिबंधित क्षेत्र के 100 मीटर के दायरे में कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता है. लेकिन ASI की रिपोर्ट बताती है कि प्रतिबंधित क्षेत्र में भी राज्य सरकार की ओर से निर्माण कार्य चल रहा है. मंदिर के परिसर में ही मेघनाद पछेरी मंदिर के पास तीस फुट तक खुदाई की गई है जिससे मंदिर और उसकी दीवारों में दरार पैदा हो गई है.

ये भी पढ़ें- Punjab: मूसेवाला के मर्डर का हरियाणा कनेक्शन! फतेहाबाद से पकड़े गए दो संदिग्ध

ओडिशा सरकार का जवाब

ओडिशा सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अशोक कुमार पारिजा ने दलील रखी थी. उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में राज्य सरकार की ओर से जो गतिविधियां हो रही है,उन्हें निर्माण कार्य नहीं कहा जा सकता. राज्य सरकार मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा का ख्याल रखते हुए मंदिर परिसर के नवीनीकरण और उन्हें बुनियादी सुविधाएं दिलाने के लिए काम कर रही है. किसी इमारत की मरम्मत, नवीनीकरण का काम, वहां के नालों, सार्वजनिक शौचालयों/ की साफ सफाई के काम को निर्माण कार्य नहीं कहा जा सकता है. एडवोकेट जनरल ने कहा कि एक साल में 60 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते है. जाहिर है उन्हें टॉयलेट जैसी बेसिक सुविधाओं की जरूरत है. कोर्ट भी पहले इसके लिए कह चुका है.

स्वयंसेवक एसोसिएशन की ओर से वकील पिनाकी मिश्रा ने  उड़ीसा सरकार की दलील का समर्थन किया था. उनका कहना था कि हर साल तीर्थयात्रा के दौरान मंदिर में 15 -20लाख लोग पहुंचते है. पहले यहां भगदड़ जैसी घटनाएं हो चुकी है. लिहाजा रास्ता साफ करने और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाये जाने की ज़रूरत है.

LIVE TV

 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news