उच्चतम न्यायालय ने RO प्यूरीफायर के संबंध में बड़ा फैसला दिया
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उच्चतम न्यायालय ने RO प्यूरीफायर के संबंध में बड़ा फैसला दिया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आरओ प्यूरीफायर (RO Purifier) के संबंध में एनजीटी (NGT) के एक आदेश पर रोक लगाई. बता दें कि पीठ ने जल संसाधन मंत्रालय, पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और अन्य को नोटिस (Notice) जारी किया.

उच्चतम न्यायालय ने RO प्यूरीफायर के संबंध में बड़ा फैसला दिया

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को उन सभी आरओ निर्माताओं को वॉटर प्यूरीफायर पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया, जहां पानी में टीडीएस (TDS) का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है. न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ (Bench) ने जल संसाधन मंत्रालय (Ministry of Water Resources), पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और अन्य को नोटिस जारी किया. 

  1. सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
  2. एनजीटी के आदेश पर लगाई रोक
  3. आरओ प्यूरीफायर संबंधित मामला

'नोटिस पर 3 महीने के अंदर दाखिल किया जाए जवाब' 

पीठ ने कहा, ‘नोटिस (Notice) पर तीन महीने के भीतर जवाब दाखिल किया जाए. अगले आदेश तक संबंधित आदेश के पैरा छह में निहित निर्देश पर रोक लगाई जाती है.’ शीर्ष अदालत एनजीटी (NGT) के 1 दिसंबर 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली, ‘वॉटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन’ द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई (Hearing) कर रही थी. एनजीटी ने सीपीसीबी को उन सभी आरओ निर्माताओं (RO Manufacturers) को वॉटर प्यूरीफायर पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी करने का आदेश दिया था, जहां पानी में कुल घुलनशील अपशिष्ट (TDS) का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है. 

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एनजीटी का बयान

एनजीटी ने सीपीसीबी को कार्टिज सहित आरओ ‘रिजेक्ट’ (Untreated Water) के प्रबंधन पर निर्देश जारी करने के लिए भी कहा था. एनजीटी ने कहा था, ‘उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के आदेश के साथ इस अधिकरण के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हम सीपीसीबी को पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 की धारा पांच के तहत सभी निर्माताओं को उचित आदेश जारी करने का निर्देश देते हैं जो आगामी एक महीने के भीतर लागू होने चाहिए.’ एनजीटी ने कहा था कि पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा ‘जल शोधन प्रणाली (Water Purification System) के उपयोग पर विनियमन (Regulation)’ के संबंध में जारी गजट अधिसूचना (Gazette Notification) को उसके आदेश के अनुपालन के अनुरूप नहीं कहा जा सकता है. 

पानी की बर्बादी की समस्या का समाधान नहीं

एनजीटी (NGT) ने कहा था, ‘इस अधिकरण के निर्देशानुसार, जहां टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, वहां आरओ सिस्टम को विनियमित (RO System Regulated) और प्रतिबंधित (Restricted) करने का कोई प्रावधान नहीं है. आरओ रिजेक्ट का, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन (Supply Chain Management) भी नहीं है. इसी तरह पानी की बर्बादी की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है.’ आरओ प्यूरीफायर के उपयोग को रेगुलेट करने के लिए एनजीटी ने सरकार को उन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था जहां टीडीएस प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है और जनता को ‘डिमिनरलाइज्ड’ पानी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए कहा था. 

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याचिका पर दिया था निर्देश

रिवर्स ऑस्मोसिस (Reverse Osmosis) (आरओ) जल शोधन की एक प्रक्रिया है जिसमें पानी से अति सूक्ष्म दूषित पदार्थों को हटा दिया जाता है. एनजीटी ने एक गैर सरकारी संगठन (NGO) ‘फ्रेंड्स’ द्वारा दायर एक याचिका (Petition) पर निर्देश दिया था, जिसमें आरओ सिस्टम के अनावश्यक उपयोग के कारण पानी की होने वाली बर्बादी को रोककर पीने योग्य पानी के संरक्षण का अनुरोध किया गया था. 

(इनपुट - भाषा) 

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