नोएडा के इस स्टार्टअप ने भारतीय परंपरा के मुताबिक भगवान शिव के हथियार 'त्रिशूल' की तरह का एक गैर-घातक हथियार विकसित किया है. साथ ही मेटल रॉड टेसर भी तैयार किए हैं, इसे वज्र नाम दिया गया है.
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गौतम बुद्ध नगर: चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (Peoples Liberation Army) ने बीते साल लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में निहत्थे भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया था. पीएलए ने युद्ध की सभी संधियों और नियम-कानून पर ताक पर रखते हुए लोहे के रॉड, कंटीले तार का इस्तेमाल भारतीय जवानों (Indian Army Soldiers) के विरुद्ध किया था. हालांकि, हमारे जांबाज जवानों ने चीन को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसके सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे. इस क्लैश में भारतीय सेना के 20 जवानों ने शहादत दी, लेकिन चीनी सेना को दोगुनी क्षति पहुंचाई थी.
गलवान की घटना से सबक लेते हुए भारतीय सेना ने परंपरागत हथियारों (Traditional Non-Leathal Weapons for Indian Army) से लैस होने की ठानी है. यानी ऐसे मोर्चों पर जहां गोली चलाने की इजाजत न हो और यदि दुश्मन सैनिकों से सामना हो जाए तो उन्हें जवाब देने की तैयारी. या यूं कहें कि चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने पूरी तैयारी कर ली है. गलवान घाटी जैसी भिड़ंत की नौबत यदि कभी आएगी तो भारतीय जवान बिना किसी घातक हथियार का इस्तेमाल किए पीपल्स लिबरेशन आर्मी को छठी का दूध याद दिला सकते हैं.
#WATCH 'Trishul' and 'Sapper Punch'- non-lethal weapons-developed by UP-based Apasteron Pvt Ltd to make the enemy temporarily ineffective in case of violent face offs pic.twitter.com/DmniC0TOET
— ANI (@ANI) October 18, 2021
UP में बने पारंपरिक हथियार से चीन को जवाब
मेक इन इंडिया कैम्पेन के तहत उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित एपास्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Noida Bades Apasteron Pvt Ltd Company) ने भारतीय सेना के लिए पारंपरिक हथियार विकसित किए हैं, जो देखने में पुरातन कालीन युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले लगेंगे. लेकिन, एक्टिव होते ही मिनटों में दुश्मनों के दांत खट्टे कर देंगे. एपास्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) मोहित कुमार ने बताया कि गलवान संघर्ष में हमारे सैनिकों के खिलाफ चीनियों ने कंटीले तार, आयरन रॉड और टेसर का इस्तेमाल किया था. भारतीय सेना की ओर से हमें भी गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा गया था.
'त्रिशूल' और 'वज्र' का वार नहीं जाएगा बेकार
नोएडा के इस स्टार्टअप ने भारतीय परंपरा के मुताबिक भगवान शिव के हथियार 'त्रिशूल' (Trishul) की तरह का एक गैर-घातक हथियार विकसित किया है. साथ ही मेटल रॉड टेसर भी तैयार किए हैं, इसे वज्र (Vajra) नाम दिया गया है. इन हथियारों का इस्तेमाल शारीरिक भिड़ंत के दौरान किया जा सकेगा. साथ ही बुलेट-प्रूफ गाड़ियों को इससे पंक्चर भी किया जा सकेगा. इनके स्पाइक्स में नियंत्रित मात्रा में बिजली का करंट भी दौड़ाया जा सकता है, जिससे हाथापाई के दौरान दुश्मन जवान शिथिल पड़ जाएंगे.
'सैपर पंच' के खट्टे करेगा दुश्मन सेना के दांत
वहीं दस्ताने की तरह दिखने वाले 'Sapper Punch' का एक वार दुश्मनों के दांत खट्टे कर देगा. सैपर पंच में भी बिजली का करंट दौड़ेगा. इसके वार से दुश्मन सैनिक संभल नहीं पाएंगे. सबसे बड़ी बात कि ये सारे नए पारंपरिक हथियार जितने ही प्रभावी हों, लेकिन इनमें कोई भी घातक नहीं है. ना तो इससे किसी की मौत हो सकती है और ना ही गंभीर रूप से जख्मी होने का खतरा है. इन हथियारों का इस्तेमाल हाथापाई के दौरान तात्कालिक तौर पर दुश्मन सैनिकों को झटका देने और उन्हें निष्क्रिय बनाने के लिए किया जा सकता है.
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