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नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों को थोड़ी राहत मिलने वाली है और देश में जल्द ही गाड़ियां पेट्रोल-डीजल की जगह इथेनॉल (Ethanol) पर दौड़ेंगी. इथेनॉल आधारित गाड़ियां यानी Flexifuel Vehicle को जल्द हकीकत बनाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. इसके लिए सड़क परिवहन मंत्रालय ने ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है.
सरकार अब वाहन निर्माता कंपनियों को प्रोत्साहित कर रही है ताकि वो आगे आए और Flexifuel वाहन बनाए. इसके तहत वाहन निर्माताओं से इथेनॉल मिश्रित फ्यूल पर चलेनवाली गाड़ियों को बनाने, टेस्टिंग और इसके लिए जरूरी मापदंड की रूपरेखा जारी की गई है. फिलहाल इस नोटिफिकेशन पर मंत्रालय ने पब्लिक और स्टेक होल्डर से 30 दिनों के भीतर सुझाव भी मांगे हैं.
ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल ईंधन का उत्पादन कर रही हैं. इन देशों में ग्राहकों को 100 प्रतिशत पेट्रोल या 10 प्रतिशत बायो इथेनॉल का विकल्प मुहैया करवाया जा रहा है. भारत में फिलहाल प्रति लीटर पेट्रोल में 8.5 प्रतिशत इथेनॉल मिलाया जाता है, जो कि 2014 में 1 से 1.5% हुआ करता था. सरकार की इथेनॉल की खरीदारी भी कई गुना बढ़कर 320 करोड़ लीटर तक पहुंच गई है.
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देश में मक्का, चीनी और गेहूं का उत्पादन सरप्लस है, स्थिति ये है कि इस सरप्लस उत्पादन को गोदामों में रखने के लिए जगह भी नहीं है. इसका सॉल्यूशन तलाशते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि खाद्यान्न और गन्ने का उपयोग करके इथेनॉल बनाया जाए. इथेनॉल का इस्तेमाल वाहनों को चलाने में किया जाएगा. इस कदम से सरकार बड़े निशाने साधने की ओर देख रही है. इससे कच्चे तेल का आयात कम होगा और साथ ही सरप्लस खाद्यान्न की समस्या भी हल होगी.
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के मुताबिक इस वैकल्पिक ईंधन की कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर होगी, जबकि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंच गई है. इस हिसाब से इथेनॉल के इस्तेमाल से लोग प्रति लीटर ₹ 30-35 की बचत कर पाएंगे.
इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. इथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है, लेकिन शर्करा वाली कई दूसरी फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है. इससे खेती और पर्यावरण दोनों को फायदा होता है. भारत के लिहाज से देखें तो इथेनॉल ऊर्जा का अक्षय स्रोत (Renewable Source) है, क्योंकि देश में गन्ने की फसल की कभी कमी नहीं हो सकती.
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