ब्रिटिश राज में 50 वर्षों की दो आजीवन कारावास की सजा पाने वाले क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर की 28 मई को 136वीं जयंती है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि वीर सावरकर ने सशक्त भारत के निर्माण के लिए अप्रतिम साहस और देशभक्ति का परिचय दिया.
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नई दिल्ली: ब्रिटिश राज में 50 वर्षों की दो आजीवन कारावास की सजा पाने वाले क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर की 28 मई को 136वीं जयंती है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि वीर सावरकर ने सशक्त भारत के निर्माण के लिए अप्रतिम साहस और देशभक्ति का परिचय दिया. इस बीच वीर सावरकर का नाम एक बार फिर विवादों में है. दरअसल राजस्थान में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर एक नया विवाद पैदा हो गया है. राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री ने एक बार फिर कांग्रेस सरकार को 10वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में संघ विचारक विनायक दामोदर सावरकर को 'पुर्तगाल का पुत्र' बताने पर घेरा है.
सिर्फ इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को लेकर विवादित बयान दे दिया. उन्होंने कहा, 'विनायक दामोदर सावरकर ने सबसे पहले धार्मिक आधार पर दो राष्ट्र की बात कही थी, जिसे बात में जिन्ना ने मूर्त रूप दिया, ये इतिहास में दर्ज है जिसे कोई झुठला नहीं सकता.' इन विवादों के बीच वीर सावरकर के जीवन पर आइए डालते हैं एक नजर:
We bow to Veer Savarkar on his Jayanti.
Veer Savarkar epitomises courage, patriotism and unflinching commitment to a strong India.
He inspired many people to devote themselves towards nation building. pic.twitter.com/k1rmFHz250
— Narendra Modi (@narendramodi) May 28, 2019
विनायक दामोदर सावरकर
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को नासिक में हुआ था. उन्होंने भारत और ब्रिटेन में पढ़ाई के दिनों से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था. ब्रिटेन में वह इस सिलसिले में इंडिया हाउस, अभिनव भारत सोसायटी और फ्री इंडिया सोसायटी से जुड़े.
1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पर उन्होंने 'द इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस' (The Indian war of Independence) पुस्तक लिखी. अंग्रेजी राज ने इस किताब को प्रतिबंधित कर दिया. क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस से जुड़े होने के कारण उनको 1910 में गिरफ्तार किया गया. उनको कुल 50 वर्षों की दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और अंडमान एवं निकोबार द्वीप में स्थित सेल्युलर जेल में रखा गया. हालांकि 1921 में वह रिहा हो गए.
जेल में रहने के दौरान सावरकर ने 'हिंदू राष्ट्रवाद' और 'हिंदुत्व' अवधारणा पर काफी कुछ लिखा. वह हिंदू महासभा के अध्यक्ष भी रहे. 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हो गया. अंडमान और निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के एयरपोर्ट का नाम वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट रखा गया है. कुछ समय पहले शिवसेना ने सरकार से उनको मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग की थी.