NSA डोभाल के बेटे के मानहानि मामले में जयराम रमेश कोर्ट में नहीं हुए पेश, अब 9 मई को होना होगा पेश
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जयराम रमेश, पत्रिका संपादक और रिपोर्टर को समन जारी किया था.कोर्ट ने तीनों को बतौर आरोपी 25 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया था.
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नई दिल्लीः राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल द्वारा कारवां मैगजीन और कांग्रेस नेता जयराम रमेश के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में अब 9 मई को अगली सुनवाई होगी. गुरुवार को दिल्ली की रॉउज अवेनीयू कोर्ट में कांग्रेस नेता जयराम रमेश पेश नहीं हुए, जयराम रमेश के वकील ने कोर्ट से कहा कि आज वो व्यस्त हैं इसलिए नहीं आ सके.जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें आज के लिए व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी.कोर्ट ने जयराम रमेश को अगली सुनवाई में पेश होने को कहा है.
दरअसल, पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जयराम रमेश, पत्रिका संपादक और रिपोर्टर को समन जारी किया था.कोर्ट ने तीनों को बतौर आरोपी 25 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया था.दरअसल, इससे पहले एनएसए अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल द्वारा एक पत्रिका 'कारवां' तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश के खिलाफ दायर मानहानि केस में 11 फरवरी को दो गवाहों ने विवेक के समर्थन में कोर्ट में बयान दर्ज कराए थे.
पत्रिका पर कथित अपमानजनक लेख प्रकाशित करने तथा रमेश पर उस आलेख का इस्तेमाल करने का आरोप है.'कारवां के खिलाफ दाखिल आपराधिक मानहानि केस में विवेक के दोस्त निखिल कपूर तथा बिजनेस पार्टनर अमित शर्मा ने उनके समर्थन में अपने बयान दर्ज कराए थे. इसके पहले विवेक ने 30 जनवरी को दर्ज कराए अपने बयान में कहा था कि पत्रिका द्वारा लगाए गए सारे आरोप 'बेबुनियाद' तथा 'झूठे' हैं, जिन्हें बाद में कांग्रेसी नेता रमेश ने भी एक प्रेस कांफ्रेंस में दोहराए थे.इससे उनके पारिवारिक सदस्यों तथा कारोबारी सहयोगियों के बीच उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है.
अमित शर्मा ने अपने बयान में कहा था कि इस आलेख के प्रकाशन के बाद निवेशकों में भारी बेचैनी पैदा हुई. वे विवेक पर इस्तीफे के लिए जोर डाल रहे थे, क्योंकि उन्हें शक था कि पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते उन्हें 'लगातार निशाना' बनाया जाता रहेगा.उन्होंने आलेख में लगाए गए इस आरोप को खारिज किया कि विवेक का कारोबार उनके ब़़डे भाई शौर्य डोभाल के कारोबार से जुड़ा है.
शर्मा ने कहा था कि यद्यपि विवेक के ब़़डे भाई शौर्य निवेश का कारोबार करते हैं लेकिन हमारी कंपनियों के बीच कोई वित्तीय हित नहीं है.आपको बता दें कि कि कारवां ने 16 जनवरी को 'द डी कंपनीज' शीर्षक से प्रकाशित ऑनलाइन आलेख में कहा था कि विवेक डोभाल 'केमन आइलैंड में हेज फंड' चलाते हैं, जो एक स्थापित टैक्स हैवन है और इसका पंजीयन नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2016 में घोषित नोटबंदी के महज 13 दिन बाद हुआ था.
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