Odisha के पुरी में बना भगवान जगन्नाथ का मंदिर दुनिया भर में मशहूर है. यहां पर दर्शन करने के लिए भक्त दुनिया भर से आते हैं. जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक मामला सामने आया है जिसमें मंदिर के खजाने को लेकर सवाल किया गया है? जानिए इस याचिका पर सुनावाई करते हुए हाई कोर्ट ने क्या कहा है?
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Odisha के पुरी में बना भगवान जगन्नाथ का मंदिर देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मशहूर है. यहां दर्शन करने के लिए भक्तों का हुजूम जमा रहता है. भगवान जगन्नाथ का ये मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है. यहां हर साल होने वाली रथ यात्रा में शामिल होने के लिए लोग दुनियाभर से लोग आते हैं.
मंदिर के पास है कितना खजाना?
आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर को भारत के सबसे अमीर मंदिरों की श्रेणी में रखा गया है. मंदिर के खजाने से जुड़ी अनोखी बात यह है कि अब तक इसका सही से आकलन नहीं किया जा सका है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1978 में आखिरी बार इस मंदिर के खजाने की जानकारी उपलब्ध कराई गई थी. हालांकि, कई लोगों का मानना है कि यह जानकारी पूरी नहीं थी.
दायर की गई याचिका
ओडिशा हाईकोर्ट में भगवान जगन्नाथ मंदिर के खजाने की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में मंदिर के अधिकार क्षेत्र में आने वाले रत्न भंडार की जानकारी मांगी गई है. आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर में भक्त बढ़-चढ़कर चढ़ावा देते हैं जिसमें सोने-चांदी से लेकर हीरे-जवाहरात की शामिल होते हैं. जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उड़ीसा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक नोटिस जारी किया है. आपको बता दें कि यह मंदिर राज्य के स्वामित्व में आता है.
मंदिर प्रशासन देगा हलफनामा
ओडिशा हाईकोर्ट ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1955 के अनुसार हर 3 साल पर मंदिर के रत्न भंडार का आकलन किया जाना जरूरी है लेकिन लंबे समय से इस नियम का कोई पालन नहीं किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 1926 और उसके बाद साल 1978 में आखिरी बार रत्न भंडार का आकलन किया गया था.
आपको बता दें कि साल 2018 में भी रत्न भंडार के आकलन की कोशिश की गई थी लेकिन इस काम को पूरा नहीं किया जा सका. तब अधिकारियों ने कहा था कि चाबी नहीं होने की वजह से आंतरिक कक्ष नहीं खोला जा सका है, इसलिए काम को रोकना पड़ा.