पद्म पुरस्कार ग्रहण करने से पहले तुलसी गौड़ा (Tulsi Gowda) ने पहली कतार में बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह का अभिवादन किया, जिसके जवाब में दोनों नेताओं ने हाथ जोड़कर इसे स्वीकार भी किया. इस दौरान तुलसी गौड़ा बगैर चप्पल के दिखीं और यही तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है.
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नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को देश की जानी-मानी हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा. साल 2020 के लिए 4 लोगों को पद्म विभूषण, 8 पद्म भूषण और 61 को पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए गए. लेकिन इन सभी हस्तियों के बीच जिस एक नाम ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा वह थीं कर्नाटक की पर्यावरणविद् (Environmentalist) तुलसी गौड़ा (Tulsi Gowda). पद्म पुरस्कार लेते हुए 72 वर्षीय तुलसी गौड़ा की फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है.
तुलसी गौड़ा को 30 हजार से ज्यादा पौधे लगाने और पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल रहने के लिये पद्म श्री (Padma Shri) सम्मान से नवाजा गया. राष्ट्रपति भवन में गौड़ा जब पुरस्कार ग्रहण करने के लिए पहुंची तो उनके पैरों में चप्पल (Barefoot) तक नहीं थीं. यहां तक कि वह पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा (Traditional Attire) में ही पुरस्कार लेने पहुंची थी. उनके नाम की घोषणा होती ही पूरा भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.
पुरस्कार ग्रहण करने से पहले उन्होंने पहली कतार में बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह का अभिवादन किया, जिसके जवाब में दोनों नेताओं ने हाथ जोड़कर इसे स्वीकार भी किया. इस दौरान तुलसी गौड़ा बगैर चप्पल के दिखीं और यही तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. कई लोग इसे लोकतंत्र की ताकत बता रहे हैं तो कुछ का मानना है कि 'पिक्चर ऑफ द डे' है.
Tulsi Gowda, true pride of mother India
In the last 6 decades, she has planted more than 30,000 saplings and has been involved in environmental conservation.
Our Govt has recognized a true gem, congratulations #TulsiGowda, on your Padma Shri award! #PeoplesPadma pic.twitter.com/agsUILZE9m
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) November 9, 2021
तुलसी गौड़ा कर्नाटक की हलक्की जनजाति (Halakki Indigenous) से ताल्लुक रखती हैं और वह बेहद गरीब परिवार से आती हैं. प्रकृति से अपार प्रेम करने वाली गौड़ा अपना ज्यादातर वक्त जंगलों में ही बिताती आई हैं. जंगल में रहने के साथ-साथ उन्हें जड़ी-बूटियां का अच्छा-खास ज्ञान भी हो गया साथ ही वृक्षारोपण करने पर उनका जोर रहा. इसका नतीजा हुआ कि उन्होंने 30 हजार से ज्यादा पेड़-पौधा लगाकर एक पूरा जंगल खड़ा कर दिया.
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पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा को उम्र और अनुभव के साथ प्रकृति की इतनी जानकारी हो गई कि उन्हें ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ तक कहा जाना लगा. करीब 10 साल की उम्र से वह पर्यावरण संरक्षण का काम कर रही हैं और अपना पूरा जीवन उन्होंने प्रकृति की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया है.
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