UP By Polls 2024: एक गणित ये कहता है कि लोकसभा चुनावों के दौरान इंडिया अलायंस में जितने वोट समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मई 2024 में यूपी में मिले थे अगर उतना ही वोट शेयर उपचुनाव में मिल जाए तो बीजेपी, अखिलेश यादव के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस जाएगी और बीजेपी का खेल खराब हो जाएगा.
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Akhilesh Yadav India Alliance: लोकसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश (UP) में बीजेपी (BJP) से 37 सीटें छीनकर उससे बड़ी जीत हासिल करने से गदगद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सुप्रीमो अखिलेश यादव हर हाल में उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव (UP By Polls 2024) की सभी सीटें जीतकर बीजेपी का सूपड़ा साफ करना चाहते हैं. ऐसा करके वो 2027 के विधानसभा चुनावों तक अपने मतदाताओं को एकजुट रखने की जुगत भिड़ा रहे हैं. इसके साथ ही वो बीजेपी को यूपी की सत्ता से खदेड़ना की तैयारी कर रहे हैं. ये तमाम बातें अखिलेश यादव 4 जून को लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद कई बार दोहरा चुके हैं.
दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव की 9 सीटों के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अखिलेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'बात सीट की नहीं जीत की है, इस रणनीति के तहत इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ेंगे'.
यानी यूपी विधानसभा उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर बड़ा फैसला लेकर अखिलेश यादव ने न सिर्फ बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश की है बल्कि अपने काडर वोटबैंक (PAD) को संकेत दिया है कि लोकसभा चुनावों की तरह एकजुट रहें. ताकि कांग्रेस और सपा के वोटबैंक का जरा सा भी हिस्सा बीजेपी की ओर न छिटक सके. बात बीजेपी की करें तो यहां भी बीते कई महीनों से सीएम योगी और उनके डिप्टी सीएम की कथित तकरार किसी से छिपी नहीं थी. भले ही वहां 'आल इज वेल' कहकर बात खत्म कर दी गई हो लेकिन अखिलेश के इस दांव से बीजेपी के माथे पर बल पड़ सकते हैं.
'2027 के सत्ताधीश' ने चला 'सिंबल' वाला दांव?
ऐसा लगता है बीजेपी को केंद्र सरकार में पूर्ण बहुमत के बजाए गठबंधन की बैसाखियों पर पहुंचाने से उत्साहित अखिलेश यादव ने यूपी उपचुनाव (UP Upchunav 2024) को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. उन्होंने कहा है कि उपचुनाव में सारे कैंडिडेट सपा के सिंबल पर लड़ेंगे. ऐसा करके वो यह दिखाना चाहते हैं कि उनका पीडीए (PDA) वाला फार्मूला आज भी उतना ही कारगर और सरदार है, जितना अप्रैल और मई के दौरान था.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स और रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके इस फैसले की दूसरी वजह ये हो सकती है कि वो नहीं चाहते कि इंडिया अलायंस के वोट बैंक में कोई बिखराव हो. दोनों दलों का वोट बैंक आसानी से एक दूसरे में ट्रांसफर हो जाए और ये काम उसी 'जातीय' फार्मूले से हो जिसने समाजवादी पार्टी को पहली बार संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बना दिया था.
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एक गणित ये कहता है कि जितने वोट इंडिया अलायंस में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को मई 2024 में यूपी में मिले थे अगर उतनी ही वोट शेयर उपचुनाव में मिल जाएगा तो बीजेपी अखिलेश यादव के इस चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंस जाएगी. यानी बीजेपी का खेल खराब हो जाएगा.
कांग्रेस के समर्थक होंगे निराश?
इस फैसले के बाद इंडिया गठबंधन (India Alliance) को लेकर सियासी गलियों में ये सवाल जरूर पूछा रहा है कि आखिर यूपी में कांग्रेस इतना कमजोर हो गई है कि उसे सपा एक भी सीट नहीं दे रही है. हालांकि अखिलेश बार-बार ये जरूर कह रहे हैं कि उनकी मंशा बस ये है कि वोट बैंक न बंटे.
अखिलेश का PDA दोबारा दिखाएगा कमाल?
2024 में अखिलेश ने PDA का नारा दिया. पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक. अखिलेश अपनी रैलियों में अक्सर यह कहते दिखे कि पीडीए एकजुट होकर सपा को वोट देगा और बीजेपी को हराएगा. अखिलेश ने तब किसी सर्वे के हवाले से कहा था, '90% पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक एकजुट होकर I.N.D.I.A. इंडिया अलायंस वोट देंगे. बीजेपी के सारे समीकरण और फॉर्मूले फेल हो जाएंगे. PDA में भरोसा करने वालों का सर्वे- कुल मिलाकर 90% की बात. 49% पिछड़ों का विश्वास PDA में है. 16% दलितों का विश्वास PDA में है. 21% अल्पसंख्यकों (मुस्लिम+सिख+बौद्ध+ईसाई+जैन व अन्य+आदिवासी) का विश्वास PDA में है'.