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DNA with Sudhir Chaudhary: भारत में सैकड़ों वर्षों से एक सवाल बार-बार पूछा जाता रहा है कि हमारे असली पूर्वज कौन थे? आइए आपको इस सवाल का जवाब देते हैं और आज हम आपको उस खबर के बारे में बताएंगे, जो भारत के इतिहास की रुपरेखा को पूरी तरह बदल सकती है.
आपने स्कूल में Aryan Invasion Theory के बारे में जरूर पढ़ा होगा, जिसके तहत ये दावा किया जाता है कि संस्कृत बोलने वाले आर्यन 1500 से 500 ईसा पूर्व के बीच मध्य एशिया से ईरान होते हुए भारत आए थे और इसके बाद Aryans ने भारत की सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं, उसके मूल निवासियों को अपना गुलाम बना लिया था. ये Theory अंग्रेजी इतिहासकारों द्वारा 19वीं और 20वीं शताब्दी में पेश की गई थी और अंग्रेजों ने इसके माध्यम से भारत की गुलामी को सही ठहराने की भी कोशिश की थी. लेकिन अब इस Theory को लेकर अंग्रेजी इतिहासकारों की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं.
देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 150 किलोमीटर दूर हरियाणा के हिसार में एक स्थान है, जिसे राखीगढ़ी कहते हैं. इस स्थान को सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा माना जाता है और यहां खुदाई के दौरान Archaeological Survey of India को ऐसे साक्ष्य और नरकंकाल मिले हैं, जिनसे इस बात की सम्भावना बढ़ गई है कि आर्यन बाहर से नहीं आए थे बल्कि वो भारत के ही मूल निवासी थे. इस साइट से पुरातत्व विभाग को हाल ही में दो और नरकंकाल मिले हैं. इसके अलावा यहां खुदाई में एक ऐसा नगर भी मिला है, जिससे ये पता चलता है कि ये नगर सात हजार साल पुराना हो सकता है. यानी सम्भव है कि यहां सिंधु घाटी सभ्यता से भी पहले कोई और सभ्यता हो. बड़ी बात ये है कि वर्ष 2015 में इस साइट से जो सबसे पहला नरंककाल मिला था, उसके DNA की जांच भी अब पूरी हो गई है.
अमेरिका की Harvard University और महाराष्ट्र के Deccan College ने अपने शोध में पाया है कि इस नरकंकाल का DNA, आधुनिक भारत के लोगों के DNA से काफी हद तक मैच करता है. जिसका अर्थ ये होता है कि आधुनिक भारत के ज्यादातर लोग सिंधु घाटी सभ्यता के सीधे तौर पर वंशज हैं और इतने हजारों वर्षों में भारत की आबादी का विदेशी नस्ल की आबादी से ज्यादा मिश्रण नहीं हुआ है.
जबकि अंग्रेजी इतिहासकार इस बात से हमेशा इनकार करते आए हैं. अंग्रेजों का मानना था कि संस्कृत और अनेकों यूरोपीयन भाषाओं में कई तरह की समानताएं हैं इसलिए भारत और पश्चिमी देशों के लोगों के वंशज एक ही हैं. यानी अंग्रेज ऐसा मानते थे कि भारत और पश्चिमी देशों के पूर्वज एक ही हैं. लेकिन राखीगढ़ी में मिले नरकंकाल के DNA से पता चलता है कि भारत के लोगों के पूर्वज सिंधु घाटी सभ्यता के मूल निवासी थे. ये शोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अंग्रेजों की इस थ्योरी की वजह से भारत में जातियों के बीच एक वैमनस्य पैदा हुआ.
ऐसा कहा गया कि हिन्दू धर्म में जो ऊंची जाति के लोग हैं, वो आयर्न के वंशज हैं और जो पिछड़ी जाति और आदिवासी समुदाय के लोग हैं, वो भारत के असली मूल निवासी हैं. जबकि राखीगढ़ी में हुए अध्ययन से ये पता चलता है कि भारत के लोगों के पूर्वज एक ही थे और ऊंची जाति के लोगों को विदेशियों का वंशज बताना बेबुनियाद है. आज हमने राखीगढ़ी की इस साइट से आपके लिए एक शानदार रिपोर्ट तैयार की है, जो आपको प्राचीन भारतीय सभ्यता के बारे में बताएगी और ये भी बताएगी कि हमारे पूर्वज कौन थे? वो इसी देश के थे या वो मध्य एशिया से भारत आए आर्यन थे?
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#DNA : नरकंकाल बदलेंगे प्राचीन सभ्यता का इतिहास@sudhirchaudhary
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— Zee News (@ZeeNews) May 11, 2022