सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर परिवार ने जताया विरोध, 'वन स्टॉप सेंटर' में शरण लेने को मजबूर हुई कनकदुर्गा
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सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर परिवार ने जताया विरोध, 'वन स्टॉप सेंटर' में शरण लेने को मजबूर हुई कनकदुर्गा

 44 वर्षीय कनकदुर्गा ने यहां अदालत में घरेलू हिंसा कानून के तहत एक याचिका भी दायर की है और कहा है कि उन्हें अपने पति के घर में रहने का अधिकार है. 

अयप्पा मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध था. (फाइल फोटो)
अयप्पा मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध था. (फाइल फोटो)

केरलः  सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने के बाद अपने ही परिवार के विरोध का सामना कर रहीं कनकदुर्गा को घर पर ताला लगा होने के कारण यहां एक ‘वन स्टॉप सेंटर’ में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 44 वर्षीय कनकदुर्गा ने यहां अदालत में घरेलू हिंसा कानून के तहत एक याचिका भी दायर की है और कहा है कि उन्हें अपने पति के घर में रहने का अधिकार है. 

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पुलिस सूत्रों ने बताया कि कनकदुर्गा कोझिकोड चिकित्सकीय महाविद्यालय में उपचार के बाद छुट्टी होने पर अपने पति के घर गई थीं, लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें घर के बाहर ताला लगा मिला. सदियों पुरानी परंपरा तोड़कर मंदिर में प्रवेश करने को लेकर कनकदुर्गा की सास ने उन्हें कथित रूप से पीटा था जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पुलिस ने बताया कि कनकदुर्गा के पति और उनके संबंधी किराए के एक घर में रहने चले गए हैं. कनकदुर्गा ने यहां ‘वन स्टॉप सेंटर’ में शरण ली है.

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उल्लेखनीय है कि अयप्पा मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध था जिसे उच्चतम न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में हटा दिया था. इसके बाद नागरिक आपूर्ति विभाग की कर्मी कनकदुर्गा और एक कॉलेज लेक्चरर बिंदु ने दो जनवरी को मंदिर में प्रवेश किया था. वे मंदिर में प्रवेश करने वाली रजस्वला आयु वर्ग की पहली महिलाएं हैं. 

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पेरिन्तलमन्ना सर्किल इंस्पेक्टर टी एस बीनू ने बताया कि कनकदुर्गा को शीर्ष अदालत के आदेशानुसार चौबीस घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है. उनकी सुरक्षा के लिए कम से कम 10 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है और वन स्टॉप सेंटर के बाहर सीसीटीवी से नजर रखी जा रही है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए ‘वन स्टॉप सेंटर’ का मकसद व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन में हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मदद मुहैया कराना है.

(इनपुट भाषा)

 

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