ZEE जानकारी: दंतेवाड़ा में नक्सलियों के हमले में भाजपा विधायक समेत पांच की मौत
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ZEE जानकारी: दंतेवाड़ा में नक्सलियों के हमले में भाजपा विधायक समेत पांच की मौत

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने भारतीय जनता पार्टी के विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हमला किया. 

ZEE जानकारी: दंतेवाड़ा में नक्सलियों के हमले में भाजपा विधायक समेत पांच की मौत

आज विश्लेषण की शुरुआत हम कुछ चुभने वाले सवालों के साथ करना चाहते हैं ? 
अगर आप राष्ट्रवादी हैं, तो क्या ये आपका गुनाह है ?
अगर आप देशहित की बात करते हैं, तो क्या ऐसा करना अपराध है ?
और अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसी राजनीतिक विचारधारा का समर्थन करता है, जिसके लिए देश की सुरक्षा सर्वोपरि है, तो क्या उसकी हत्या कर दी जाएगी ? आज ये सारे प्रश्न आपके सामने रखना इसलिए ज़रुरी है, क्योंकि देश के दो अलग-अलग हिस्सों में भारत के दो सबसे बड़े दुश्मनों ने भारत की राष्ट्रवादी सोच पर प्रहार किया है. और ये दोनों दुश्मन हैं, नक्सलवादी और आतंकवादी.

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने भारतीय जनता पार्टी के विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हमला किया. जिसमें भीमा मंडावी और उनके ड्राइवर की मौत हो गई. जबकि इस नक्सली हमले में पुलिस के 3 जवान भी शहीद हुए हैं. नक्सलवादियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे बीजेपी विधायक के काफिले पर ना सिर्फ भारी गोलीबारी की. बल्कि IED से काफिले में चल रही गाड़ी को ध्वस्त कर दिया. खुफिया एजेंसियों ने पहले से ही ऐसे हमले की आशंका जताई थी. इसके बावजूद नक्सलवादी अपनी कोशिश में क़ामयाब रहे.दंतेवाड़ा में ये नक्सली हमला उस वक्त हुआ है, जब यहां पर 11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव की वोटिंग कराई जानी है.

दूसरी घटना जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ की है. जहां आतंकवादियों ने RSS के नेता चंद्रकांत शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी है. और इसी हमले में उनके Security Guard की भी मौत हुई है. 

दो अलग-अलग जगहों पर हुए हमले के बाद आई तस्वीरें पीड़ादायक हैं . और इन्हें देखकर आज किसी भी सच्चे देशभक्त का खून खौलने लगेगा. ये दोनों हमले उस वक्त हुए हैं, जब हमारे लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व शुरु होने में कुछ घंटों का ही वक्त बचा है. आप ये भी कह सकते हैं, कि नक्सलवादियों और आतंकवादियों...ने सीधे सीधे भारत को चुनौती दी है. 

ये बात हम आज से नहीं, कई वर्षों से कहते आए हैं, कि भारत को सिर्फ आतंकवाद से ही नहीं.. नक्सलवाद से भी आज़ादी चाहिए. लेकिन दुख इस बात का है, कि हमारे ही देश में नक्सलवादियों का समर्थन करने वालों की फौज खड़ी है. आतंकवादियों और नक्सलवादियों को मासूम बताने वाला टुकड़े-टुकड़े गैंग Active हैं. ये वो लोग हैं जो नक्सलियों और आतंकवादियों से हमदर्दी रखते हैं. ऐसे लोग राजनीति से लेकर NGOs तक...और मीडिया से लेकर विश्वविद्यालयों तक...काफी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. ये लोग नक्सली और आतंकी विचारधारा के बौद्धिक बॉडीगार्ड बनकर काम करते हैं. लेकिन जब नक्सली..और आतंकी देश के जवानों और आम लोगों की जान लेते हैं...तो यही लोग चुप्पी साधकर बैठ जाते हैं. इनमें से कई लोग तो ऐसे हैं जो इन हमलों के बाद अंदर ही अंदर जश्न मनाते हैं. 

हैरानी इस बात की है कि हमारे देश के Mainstream Media में इन सफेदपोश लोगों और आतंकवादियों का समर्थन करने वालों को बेनक़ाब नहीं किया जाता. ये इस देश की विडंबना है, कि JNU में देशद्रोही नारे लगाने वालों का इंटरव्यू लेने के लिए तो बड़े-बड़े पत्रकार भी लाइन में खड़े नज़र आते हैं . लेकिन जब देश के टुकड़े करने वाली सोच को बेनकाब करने की ख़बरें आती हैं. तो तमाम पत्रकार गायब हो जाते हैं. इस तरह कई पत्रकार वर्षों तक Newsrooms में बैठकर आतंकवादियों और नक्सलवादियों के हितों की रक्षा पूरी ईमानदारी के साथ करते रहते हैं. लेकिन देश के प्रति जो ईमानदारी होनी चाहिए.. वो इनमें कहीं दिखाई नहीं देती. ऐसे ही पत्रकारों को बड़े बड़े अवॉर्ड मिलते हैं. 

अब वक्त आ गया है, जब देश को इस वैचारिक Virus से भी सख्ती से निपटना पड़ेगा. और इसमें सबसे बड़ी भूमिका आप निभा सकते हैं. इसके लिए आपको हथियार उठाने की ज़रुरत नहीं है. बल्कि आपको सिर्फ अपनी वोटिंग वाली शक्ति का इस्तेमाल करना है. फिर चाहे, छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा हो....जम्मू-कश्मीर का किश्तवाड़ हो...या फिर देश का कोई दूसरा हिस्सा हो. नक्सलियों और आतंकवादियों ने लोकसभा चुनाव से पहले आप सभी को चुनौती दी है....क्या आप इस चुनौती के लिए तैयार हैं ?

हमारे देश में बुद्धिजीवी बनने के लिए और धर्मनिरपेक्ष दिखने के लिए नक्सलवादियों और आतंकवादियों का समर्थन करना एक फैशन बन गया है. वर्षों से हमारे देश की व्यवस्था ने ऐसे लोगों को पूरा प्रोत्साहन दिया है. देश की राजनीति में और देश के मीडिया में ऐसे ही लोगों को सम्मान दिए जाते हैं और पुरस्कार दिए जाते हैं. दुनिया के बड़े बड़े चैनल और बड़े बड़े अखबार.... ऐसे ही लोगों से लेख लिखवाते हैं.

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