ZEE जानकारी: भारत की पाकिस्तान पर पानी वाली 'सर्जिकल स्ट्राइक' !
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ZEE जानकारी: भारत की पाकिस्तान पर पानी वाली 'सर्जिकल स्ट्राइक' !

पिछले 71 वर्षों से भारत, पाकिस्तान पर दया कर रहा है . लेकिन पाकिस्तान ने इस दया को भारत की कमज़ोरी ही समझा है .

ZEE जानकारी: भारत की पाकिस्तान पर पानी वाली 'सर्जिकल स्ट्राइक' !

आज भारत ने पाकिस्तान पर पानी वाली सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है . भारत अब तीन नदियों के पानी का रुख मोड़ देगा, जिससे ये पानी पाकिस्तान में नहीं जा पाएगा. ये एक बहुत बड़ी ख़बर है और आज हमने इसके सभी पहलुओं पर गहरा रिसर्च किया है. पूरी दुनिया में युद्ध के रणनीतिकारों का कहना है कि शत्रु पर दया करना अपने विनाश को निमंत्रण देना है.

पिछले 71 वर्षों से भारत, पाकिस्तान पर दया कर रहा है . लेकिन पाकिस्तान ने इस दया को भारत की कमज़ोरी ही समझा है . सिंधु, रावी, ब्यास, सतलुज, चेनाब और झेलम नदियां भारत और पाकिस्तान से होकर गुज़रती हैं . अगर भारत चाहे तो इन नदियों का पानी रोककर पाकिस्तान को एक रेगिस्तान में बदल सकता है . और आज भारत ने इस दिशा में एक बड़ा फैसला ले लिया. 

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि अब भारत से पाकिस्तान जाने वाली तीन नदियों के पानी का रुख यमुना की तरफ मोड़ा जाएगा . इन तीन नदियों के नाम हैं, सतलुज, रावी और ब्यास .

पाकिस्तान की तरफ जाने वाला पानी रोकने के क्या मायने हैं.. और इसे ज़मीनी स्तर पर लागू करने से पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा.. इसे समझना आपके लिए ज़रूरी है . आज DNA में हमारा ये विश्लेषण देखकर पाकिस्तान का गला सूख जाएगा.

सबसे बड़ी बात ये है कि भारत के जल संसाधन मंत्री ने पिछले 24 घंटों में 2 बार ये बात कही है कि भारत अब पाकिस्तान जाने वाले अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करेगा . नितिन गडकरी ने आज उत्तर प्रदेश के बागपत में एक सभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी और फिर Tweet भी किया . 

नितिन गडकरी ने अपने Tweet में लिखा है कि 
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, हमारी सरकार ने पानी के हमारे हिस्से को बंद करने का फैसला किया है . हम भारत के हिस्से की पूर्वी नदियों से पानी लेंगे और इससे जम्मू-कश्मीर और पंजाब में.. भारत के लोगों को पानी की आपूर्ति करेंगे .
नितिन गडकरी ने आगे अपने Tweet में लिखा है कि 
अपने हिस्से के पानी को रोकने के लिए बांध का निर्माण शुरू हो चुका है . 

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की इस प्रतिक्रिया को भारत में समर्थन भी मिल रहा है . 

यानी भारत ने ये संदेश दे दिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. 
भारत और पाकिस्तान, सिंधु जल समझौते के तहत सिंधु, रावी, ब्यास, सतलुज, चेनाब और झेलम नदी के पानी का इस्तेमाल करते हैं . 

सिंधु जल समझौते के तहत भारत रावी, ब्यास और सतुलज नदी के 100 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल कर सकता है .

इसी तरह झेलम, सिंधु और चेनाब नदियों के अधिकांश पानी को इस्तेमाल करने का अधिकार पाकिस्तान का है . 

वर्तमान स्थिति ये है कि इन सभी 6 नदियों का अधिकतम पानी... पाकिस्तान ही इस्तेमाल कर रहा है . 

सिंधु जल समझौते के तहत भारत के हिस्से में जो नदियां हैं . भारत उन नदियों के पानी का 100 प्रतिशत इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है . 

क्योंकि भारत ने पिछले 71 वर्षों में अपने हिस्से वाली नदियों पर पर्याप्त बांध नहीं बनाए. इसलिए इन नदियों के पानी को भारत Store ही नहीं कर सकता. 

वर्ष 2014 में रावी नदी पर भारत ने शाहपुर-कंडी में बांध का निर्माण शुरू किया है . इसके अलावा रावि-ब्यास Link का निर्माण भी किया जा रहा है . ताकि भारत अपने हिस्से के पानी का ठीक तरह से इस्तेमाल कर सके . 

अब आपके मन में ये सवाल भी उठ रहा होगा कि आखिर भारत ने पाकिस्तान जैसे एक शत्रु देश के प्रति इतनी उदारता क्यों दिखाई ? इस उदारता के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की उदार नीतियां ज़िम्मेदार हैं.

पंडित जवाहर लाल नेहरू की कोशिश थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा अच्छे और मजबूत बने रहें . ताकि दोनों देशों की आने वाली पीढ़ियों को परेशान नहीं होना पड़े . यही वजह है कि उन्होंने अपने जीवन भर ये प्रयास किया कि पाकिस्तान से भारत के मजबूत संबंध बनें . पंडित जवाहर लाल नेहरू ये जानते थे कि पाकिस्तान के जीवन के लिए सिंधु नदी का पानी बहुत ज़रूरी है . वो ये भी जानते थे कि पानी की वजह से पाकिस्तान और भारत के बीच हमेशा तनाव बना रहेगा . इससे बचने के लिए ही पंडित नेहरू ने सिंधु नदी जल समझौते में पाकिस्तान के प्रति ज़रूरत से ज़्यादा उदारता दिखाई और उसे असीमित लाभ दिया . लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में अति-उदार होने से ज़्यादा लाभ नहीं मिलता . 

भारत और पाकिस्तान का बंटवारा तो 1947 में हुआ था लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों का बंटवारा वर्ष 1960 में हुआ था. नदियों के इसी बंटवारे को सिंधु नदी जल समझौता कहा जाता है . 

सिंधु नदी दुनिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है . इसकी लंबाई 3 हज़ार 200 किलोमीटर है . इस नदी का विस्तार... 11 लाख 65 हज़ार square किलोमीटर तक है . 

सिंधु नदी के अलावा, रावी, ब्यास, सतलुज, चेनाब और झेलम नदियां भारत और पाकिस्तान से होकर गुजरती हैं .

सिंधु नदी जल समझौते के मुताबिक इन नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया था . 

समझौते में रावी, ब्यास और सतुलज को पूर्वी नदियां माना गया. जबकि झेलम, सिंधु और चेनाब को पश्चिमी नदियां माना गया .

पूर्वी नदियों पर भारत का अधिकार है. जबकि पश्चिमी नदियों -यानी सिंधु, चेनाब और झेलम पर पाकिस्तान का अधिकार है

समझौते में ये बात भी थी कि भारत बिजली बनाने और कृषि के लिए पश्चिमी नदियों के पानी का इस्तेमाल सीमित मात्रा में कर सकता है .

इस समझौते की वजह से भारत को सबसे ज़्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि भारत से ही गुज़रने वाली वाली तीन प्रमुख नदियां जिन्हें पश्चिमी नदियां कहा गया... झेलम, सिंधु और चेनाब पर पाकिस्तान को असीमित अधिकार दे दिया गया . संधि के मुताबिक भारत इन तीन नदियों के सिर्फ 20 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल कर सकता है . 

इस जल समझौते की वजह से ही भारत को अपने ही देश में बहने वाली नदियों का इस्तेमाल विकास परियाजनाओं के लिए करने में मुश्किलें आ रही हैं . 
भारत जब भी किसी प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू करता है उसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है . 

भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे ज्यादा विवाद किशनगंगा बिजली परियोजना पर है . किशनगंगा, झेलम की सहायक नदी है जिसको पाकिस्तान में नीलम के नाम से जाना जाता है . 

वर्ष 2010 में ये विवाद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहुंचा जिसने प्रोजेक्ट पर काम रोकने का आदेश दिया . 

तीन साल बाद अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा कि भारत ये बिजली घर बना तो सकता है लेकिन उसे किशनगंगा में तयशुदा मात्रा में पानी के बहाव को सुनिश्चित करना होगा . 

लेकिन पाकिस्तान ने वर्ष 2016 और 2018 में वर्ल्ड बैंक से संपर्क किया था और किशनगंगा प्रोजेक्ट के डिज़ाइन पर बार बार अपना विरोध दर्ज करवाया था. 

आज का सच ये है कि पाकिस्तान, भारत में खून बहा रहा है और भारत, पाकिस्तान में नदियों का शीतल जल बहा रहा है . 

शरीर में जो महत्व खून का है... एक देश के लिए वही महत्व नदियों का होता है . पाकिस्तान में बहने वाला पानी रोककर भारत, पाकिस्तान को सुधरने के लिए मजबूर कर सकता है . 

पाकिस्तान, पानी की कमी वाला देश है और भारत नदियों को पाकिस्तान के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है . 

पाकिस्तान की 75 प्रतिशत कृषि भूमि की सिंचाई सिंधु नदी के पानी से होती है . यानी अगर भारत पानी रोक ले, तो पाकिस्तान में भुखमरी की नौबत आ जाएगी . 

पहले से ही पाकिस्तान में पानी की बहुत ज्यादा कमी है . अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के मुताबिक पानी की कमी का सामना करने वाले देशों में पाकिस्तान तीसरे नंबर पर है . 

पाकिस्तान में हर साल एक व्यक्ति को करीब 1 हज़ार Cubic metre पानी कम मिलता है . 

पाकिस्तान में सिर्फ़ 30 प्रतिशत लोगों के पास पीने के लिए साफ पानी है . 

United Nations Development Programme और Pakistan Council of Research in Water Resources की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में वर्ष 2025 तक जलसंकट बहुत ज़्यादा बढ़ जाएगा 

वर्ष 2040 तक पानी की कमी, पाकिस्तान की सबसे बड़ी चुनौती होगी . 

अब आगे आने वाले वक़्त में भारत पानी का रुख मोड़ने वाली योजनाओं को तेज़ गति से आगे बढ़ाएगा

कड़े फैसले लेने के लिए आत्मबल वाली सरकार चाहिए . आज मोदी सरकार ने ये संदेश दिया है कि पानी भी दुश्मन के खिलाफ एक हथियार हो सकता है . इससे पहले की सरकारों ने कभी भारत और पाकिस्तान के संबंधों को इस दृष्टिकोण से नहीं देखा . 21वीं सदी में युद्ध लड़ने और दुश्मन पर दबाव बनाने के कई तरीके हैं. और आज उनमें से एक तरीके का इस्तेमाल भारत ने कर लिया है. भारत इस वक्त प्रतिशोध के Mode में है, आगे कुछ भी हो सकता है.. और ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के काफी बुरे दिन आने वाले हैं . 

हम अक्सर आपसे ये कहते हैं, कि एक शहीद का घर सबसे पवित्र होता है, और शहीदों के घर जाना चार धाम की यात्रा करने के बराबर है. इस आधुनिक युग में शहीदों के घर किसी तीर्थ से कम नहीं हैं. आज पूरे भारत के लिए इस विचार को महसूस करना ज़रूरी है. पुलवामा आतंकवादी हमले को एक हफ़्ता बीत चुका है, पिछले 7 दिनों में देश ने आक्रोश और देशभक्ति की ऊंची ऊंची लहरों को देखा है. लेकिन अब इस पर राजनीति शुरू हो गई है, और मीडिया भी इसे एक औपचारिकता समझने लगा है. ऐसे माहौल में ज़ी न्यूज़ ने शहीदों के घर जाने का फैसला किया. हम आगरा, मेरठ, देवरिया, शामली, देहरादून और पटना सहित, कई शहरों में शहीदों के घर गये. देश के लिए किसी अपने को खोने वाला परिवार, सिर्फ उम्मीदों के सहारे ही अपना जीवन जीता है. उनकी उम्मीद, हम और आप ही हैं. और आज ये ज़िम्मेदारी उठाने का दिन है. 

इन शहीदों के घर पहुंचकर हमें ये अहसास हुआ कि हफ्ते भर बाद भी इन परिवारों का ना तो आक्रोश कम हुआ है और ना ही पाकिस्तान से बदले की भावनाओं में कोई कमी आई है. आम तौर पर किसी अपने को खोने के बाद का संघर्ष कैसे एक शहीद के परिवार को अंदर तक तोड़ देता है. ये स्थिति अभी तक इन शहीदों के घर पर नहीं आई है. किसी को अपने बेटे पर गर्व है, किसी को अपने पति पर तो किसी को अपने पिता पर . लेकिन इस गर्व के साथ एक मांग भी है कि इस बार इन शहीदों की कुर्बानी बेकार न जाए. 

जब भी हमारे जवान देश के लिए शहीद हो जाते हैं, तो उनके परिवार का दुख पूरे देश का कलेजा चीर देता है. हर किसी को शहीद की विधवा और मासूम बच्चों के चेहरे देखकर, उनके भविष्य की चिंता होती है. आए दिन ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं, कि एक शहीद का परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहा है और कोई उन्हें पूछने वाला नहीं है. दुख की बात ये है, कि ये कड़वा सच आज भी हमारे समाज और सिस्टम के लिए किसी शाप से कम नहीं है. ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि हमारे देश में अपने 'असली नायकों' के बलिदान को और उनके परिवार की चीखों को भूल जाने की दूषित परंपरा हावी हो चुकी है. हमें उम्मीद है कि पुलवामा के इन शहीदों के साथ ऐसा नहीं होगा. 

शहीदों का घर भगवान के मन्दिर से भी ज़्यादा पवित्र होता है, और शहीदों के घर जाना चार धाम की यात्रा करने के बराबर है. आपके लिए तो इन शहीदों के घर जाना संभव नहीं है, लेकिन आप चाहें तो ज़ी न्यूज़ के माध्यम से शहीदों के घररूपी इन तीर्थस्थलों के दर्शन कर सकते हैं. 

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