पिछले 6 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की डिप्लोमेसी में भारत को शिखर पर पहुंचा दिया है...जहां भारत अब दुनिया की ज़रूरत बन गया है.
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पिछले 6 वर्षों से विपक्ष के नेता और कुछ डिज़ाइनर पत्रकार प्रधानमंत्री के विदेश दौरों पर सवाल उठा रहे हैं.आज उन्हें जापान में G-20 की बैठक पर हमारा ये DNA टेस्ट ज़रूर देखना चाहिये. उन्हें ये समझने में मदद मिलेगी कि जब देश का प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर होता है...तो वो किसी एक पार्टी का नहीं...देश का एजेंडा आगे बढ़ा रहा होता है. वो देश की कूटनीतिक शक्ति मज़बूत कर रहा होता है...वो नये अंतरराष्ट्रीय संबंध बनाकर देश के आर्थिक हितों की रक्षा कर रहा होता है.
पिछले 6 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की डिप्लोमेसी में भारत को शिखर पर पहुंचा दिया है...जहां भारत अब दुनिया की ज़रूरत बन गया है. ओसाका में G-20 यानी Group of Twenty की बैठक इस बात की मिसाल है...जहां भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में शामिल हुआ है. और अब भारत इस मंच को नये, लेकिन वास्तविक अर्थ वाला आयाम देने की कोशिश कर रहा है.
हर अंतरराष्ट्रीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंतकवाद का मुद्दा उठाते रहे हैं...उन्होंने हमेशा दुनिया को ये समझाने की कोशिश की है कि अच्छे और बुरे आतंकवाद वाला फ़र्क़ ख़त्म होना चाहिये. इस बार G-20 के एजेंडे में दुनिया के हर आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को जगह मिली है...लेकिन इसमें आतंकवाद को छुआ तक नहीं गया.
इसलिये प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर दुनिया को याद दिलाया है कि आतंकवाद जैसी बीमारी को ख़त्म किये बग़ैर आर्थिक विकास मुमकिन नहीं है. ये बात पूरी दुनिया के साथ, विशेष तौर पर G-20 के लिये इसलिये समझनी बहुत ज़रूरी है, क्योंकि दुनिया के GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद का 80 प्रतिशत हिस्सा...इन्हीं देशों से आता है.
आज ओसाका में दो ऐसी बैठक हुईं...जिसमें अहम किरदार में भारत ही नज़र आ रहा था.
पहली थी JAI की बैठक...यानी Japan , America और India. इसे जय भी कहा जाता है.
ओसाका में प्रधानमंत्री मोदी की जापान के प्रधानमंत्री Shinzo Abe और अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump के बीच हुई ये दूसरी त्रिपक्षीय मुलाक़ात है. इससे पहले पिछले साल अर्जेंटीना में G-20 बैठक में भी तीनों नेता मिले थे. तीनों देशों के बीच व्यापार के साथ हिंद और प्रशांत महासागर में शांति स्थापित करने पर ज़ोर दिया गया.
JAI में भारत बहुत अहम हिस्सा है क्योंकि जापान और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध बहुत अच्छे हैं. लेकिन प्रशांत महासागर, ख़ासकर South China Sea में अमेरिका, चीन को अपने आर्थिक और सामरिक हितों के लिये बहुत बड़ा ख़तरा मानता है. जबकि जापान का चीन के साथ समुद्री सीमा को लेकर काफ़ी विवाद है. इसलिये अब वो अपनी दोस्ती में दक्षिण एशिया वाला मिश्रण करके चीन को एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.
Russia और चीन, भारत को आतंकवाद के ख़िलाफ़ मज़बूत पार्टनर मानते हैं. 15 दिनों में ये प्रधानमंत्री मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ दूसरी मुलाक़ात है. इससे पहले ये तीनों नेता शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी मिले थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक Tweet किया है कि तीनों देशों के बीच आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बात हुई है. Russia, भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर भी बात हुई है. भारत के साथ चीन का भी अमेरिका से व्यापारिक हितों को लेकर टकराव चल रहा है. इसलिये अब चीन, भारत को एक पार्टनर के रूप में देख रहा है.
लोकसभा चुनाव के दौरान मई महीने में मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू किया था. तब मैंने उनसे नये World Order पर एक सवाल किया था. आज जापान, अमेरिका और भारत की बैठक के साथ Russia, भारत और चीन की बैठक हुई है. हम चाहते हैं कि आप प्रधानमंत्री का जवाब ग़ौर से सुनें...वो बता रहे हैं कि भारत कैसे दुनिया में एक बड़ी भूमिका बना रहा है.
आज प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump की द्विपक्षीय मुलाक़ात भी हुई है. इस बैठक से पहले ही अमेरिका ने आर्थिक मुद्दों, ईरान से तेल ख़रीदने और रूस से हुई S-400 मिसाइल सौदे को लेकर भारत पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. लेकिन आज Trump के तेवर आक्रामक नहीं थे.
आज प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात में Trump ने S-400 मिसाइल का मुद्दा ही नहीं उठाया. आज भारत और अमेरिका के बीच चार मुद्दों पर बात हुई. पहला ईरान, दूसरा 5G, तीसरा द्विपक्षीय संबंध और चौथा मुद्दा है रक्षा संबंध.
अमेरिका ने ईरान से तेल ख़रीदने पर सख़्त प्रतिबंध लगाया हुआ है. और इस वक़्त ईरान का मुद्दा भारत और अमेरिका के बीच तनाव की सबसे बड़ी वजह बना हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी ने आज Donald Trump से साफ़ साफ़ कहा कि भारत अपनी तेल की ज़रूरत को काफ़ी अहमियत देता है.
ईरान से भारत अपनी 11 प्रतिशत तेल ज़रूरत को पूरा करता है. और इस निर्भरता को भारत ने कम भी किया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस क़दम से भारत की अर्थव्यवस्था को नुक़सान भी पहुंच रहा है. और इस वक़्त तेल के दामों में स्थिरता, भारत के लिये बहुत ज़रूरी है.
G-20 की बैठक हमेशा दुनिया के लिये कुछ दिलचस्प तस्वीरें भी लाती है. हमेशा की तरह इस बार भी इस ग्रुप फोटो के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. पहली लाइन में बीचों-बीच इस बार सऊदी अरब के Crown Prince मोहम्मद बिन सलमान और जापान के प्रधानमंत्री Shinzo Abe खड़े थे. जबकि प्रधानमंत्री मोदी दूसरी लाइन में ठीक मोहम्मद बिन सलमान के पीछे खड़े थे.
पहली लाइन में बीचों बीच उन देशों के नेता खड़े होते हैं...जहां इस बार शिखर वार्ता हो रही है..यानी जापान के शिंज़ो आबे. उनके दायीं तरफ़ वो नेता खड़े हुए जहां अगले वर्ष G-20 की समिट होनी है. वर्ष 2020 में सऊदी अरब में ये बैठक होगी. इसलिये शिंज़ो आबे के साथ मोहम्मद बिन सलमान खड़े थे. जबकि बाईं तरफ़ वो नेता खड़े थे, जहां पिछली बार Summit हुई थी, यानी अर्जेंटीना के राष्ट्रपति.
आज G-20 सम्मेलन में Donald Trump की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाक़ात हुई. इस दौरान एक रिपोर्टर ने Trump से पूछा कि क्या आप Russia से कहेंगे कि वो अगले साल होने वाले अमेरिकी चुनाव में दखल ना दे?
इस पर Donald Trump ने कहा कि वो इसके लिए ज़रूर कहेंगे....और इतना कहते ही उन्होंने साथ में बैठे व्लादिमीर पुतिन से कहा, कि "वो अगले चुनाव में दख़ल ना दे". ये सुनते ही पुतिन हंसने लगे
वैसे Donald Trump को लेकर G-20 में कुछ और पल थे, जिसे देखकर आप भी मुस्काएंगे. आज जब शिखर वार्ता के लिये शिंज़ो आबे सभी नेताओं का स्वागत कर रहे थे. तब वहां Donald Trump भी पहुंचे. इस दौरान शिंज़ो आबे ने हाथ मिलाने के लिये उनकी तरफ अपना हाथ बढ़ाया...तो ट्रंप कहीं और देखने लगे. थोड़ी देर के लिये जापान के प्रधानमंत्री असहज से हो गये...लेकिन फिर ट्रंप की नज़र उनके हाथ पर पड़ी और दोनों ने मुस्कुराते हुए हाथ मिलाए.))