ZEE जानकारी: पाकिस्तानी सेना ने अपने लोगों पर चलाई गोलियां!
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ZEE जानकारी: पाकिस्तानी सेना ने अपने लोगों पर चलाई गोलियां!

पाकिस्तान की सेना पर 26 मई को उत्तरी वजीरिस्तान में एक सभा में शामिल कार्यकर्ताओं पर गोली चलाने का आरोप लगा है. 

 

ZEE जानकारी: पाकिस्तानी सेना ने अपने लोगों पर चलाई गोलियां!

अब आपको पाकिस्तान लेकर चलते हैं. और ये बताते हैं कि कश्मीर पर भारत को ज्ञान देने वाला पाकिस्तान और उसकी सेना...अपने देश के नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं.

26 मई को पाकिस्तान के उत्तरी वज़ीरिस्तान में Pashtun Protection Movement से जुड़े कार्यकर्ता एक सभा कर रहे थे. सभा में 'Missing यानी लापतालोगों' को तत्काल प्रभाव से रिहा करने की मांग की जा रही थी. PTM कार्यकर्ताओं का आरोप था, कि पाकिस्तान की सेना ने इन लोगों को गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में लिया. और इनमें से कई लोगों की हत्या कर दी गई. इस सभा में पश्तूनों पर होने वाले अत्याचार को रोकने की मांग की जा रही थी. लेकिन, पाकिस्तान की सेना का इरादा कुछ और था. 

पाकिस्तानी सैनिकों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलानी शुरु कर दी. जिसमें कम से कम 13 लोग मारे गए. मरने वालों में दो बच्चे भी थे. लेकिन पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तान के मीडिया ने इस ख़बर को पूरी तरह दबा दिया. और ऐसी बातें कही गईं, जिससे ये लगे कि पाकिस्तानी सेना PTM के कार्यकर्ताओं के निशाने पर थी.

पाकिस्तानी सेना ने दावा किया, कि PTM से जुड़े दो लोगों की अगुवाई में जुटी भीड़ ने उत्तरी वज़ीरिस्तान में एक Security Post पर हमला किया था. जिसमें 5 सैनिक ज़ख्मी हो गए थे. और इसी के बाद जवाबी कार्रवाई हुई. जिसमें 3 लोग मारे गए. आप इसे पाकिस्तानी फौज का Damage Control कह सकते हैं. क्योंकि, वो उत्तरी वज़ीरिस्तान का सच दुनिया के सामने नहीं आने देना चाहती.

अपने पाप को छिपाने के लिए पाकिस्तान की सेना ने PTM के नेता Ali Wazir को बुरी तरह पीटा. और फिर बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया. इसके अलावा इसी संगठन के एक और नेता Mohsin Dawar को भी हिरासत में ले लिया गया है. हालांकि, बढ़ते दबाव की वजह से Ali Wazir पर लगाए गए झूठे पुलिस केस को वापस ले लिया गया है. और उन्हें रिहा कर दिया गया है.

यहां आपको PTM और पाकिस्तान की सेना के बीच छिड़े संघर्ष का इतिहास बताते हैं.

जब पाकिस्तानी सरकार ने आतंकवादियों के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ी थी, तो उस का केंद्र अफग़ानिस्तान से लगा हुआ कबाइली इलाक़ा था.

पाकिस्तान की सरकार लंबे समय से इन क़बायली इलाक़ों पर नियंत्रण करने के लिए कोशिश कर रही है.

लेकिन वहां रहने वाले पश्तून समुदाय के लोग मानते हैं कि इस दौरान उनके साथ बहुत अन्याय हुआ.
कई लोग आश्चर्यजनक तरीके से लापता हो गए. लोगों की मौत भी हुई. और इसी के बाद पश्तून समुदाय ने अपना आंदोलन शुरु कर दिया. 

आंदोलनकारियों की मांग रही है कि कबाइली इलाक़ों से अनावश्यक चेक पोस्ट और बारूदी सुरंगें हटाई जाएं. और उन लोगों को वापस किया जाए, जिन्हें पाकिस्तानी फ़ौज जबरन उठा ले गई. 

पाकिस्तान में पश्तूनों की आबादी क़रीब 15 प्रतिशत है. और ये पाकिस्तान की बड़ी अल्पसंख्यक आबादी है.

पाकिस्तान की सरकार ने पश्तूनों को सारे अधिकारों से वंचित कर रखा है. लोगों को बिना किसी अपराध के उठा लिया जाता है और उन पर ज़ुल्म किए जाते हैं. पिछले महीने ही एक सैन्य प्रवक्ता ने पश्तूनों के लिए कहा था कि उनका Time खत्म हो गया है. 

और 26 मई को हुई गोलीबारी को इसी बयान से जोड़कर देखा जा रहा है. इस बीच मानव अधिकारों की बात करने वाली संस्था Human Rights Watch ने कहा है कि पाकिस्तान के अधिकारी 26 मई की घटना की निष्पक्ष जांच करें. लेकिन पाकिस्तान का इरादा नेक नहीं लग रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि, पाकिस्तान में कुछ प्रदर्शन अख़बारों और टीवी की सुर्खियों में जगह पाते हैं और कुछ नहीं. रविवार की घटना के बाद पाकिस्तान में Twitter पर Hashtag, State Attacked PTM ट्रेंड करने लगा. लेकिन, दूसरी तरफ पाकिस्तान के न्यूज़ चैनल्स पर ये ख़बर दूर-दूर तक दिखाई नहीं दी. क्योंकि, इमरान ख़ान की सरकार सैनिकों के किए नरसंहार पर पर्दा डाल रही थी.

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