ZEE जानकारी: राहुल गांधी को आखिर कौन से पत्रकार पसंद हैं?
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ZEE जानकारी: राहुल गांधी को आखिर कौन से पत्रकार पसंद हैं?

राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और वहां प्रधानमंत्री का इंटरव्यू करने वाली पत्रकार स्मिता प्रकाश की निष्पक्षता पर सवाल उठाए. 

ZEE जानकारी: राहुल गांधी को आखिर कौन से पत्रकार पसंद हैं?

आज हम सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी के एक बयान का विश्लेषण करेंगे. वैसे तो आज राहुल गांधी दिन भर हेडलाइंस में छाए हुए थे. क्योंकि आज संसद के अंदर रफाल के मुद्दे पर कांग्रेस के सांसद, बच्चों की तरह कागज़ के हवाई जहाज़ उड़ाकर इस मुद्दे की गंभीरता को खत्म कर रहे थे.

ये पूरा विश्लेषण हम आपको आगे दिखाएंगे. लेकिन सबसे पहले उस मुद्दे की बात करते हैं, जिससे आज एक पत्रकार होने के नाते हम बहुत आहत हुए हैं. संसद से निकलकर राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और वहां प्रधानमंत्री का इंटरव्यू करने वाली पत्रकार स्मिता प्रकाश की निष्पक्षता पर सवाल उठाए. राहुल गांधी ने कहा कि इंटरव्यू करने वाली पत्रकार, Pliable हैं... यानी सत्ता के प्रति बहुत लचीली हैं, एक तरह से वो ये कहने की कोशिश कर रहे थे कि ये इंटरव्यू Fixed था. और इसमें कड़े सवाल नहीं पूछे गये.

ये बहुत बड़ा विरोधाभास है कि राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस, अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करती है, मीडिया की स्वतंत्रता की बात करती है. लेकिन जब कोई पत्रकार उनके विरोधियों का इंटरव्यू करता है तो वो विरोधियों के साथ साथ.. उस पत्रकार को भी अपने निशाने पर ले लेते हैं. इसे कहते हैं Shooting The Messenger.

ऐसा लगता है कि राहुल गांधी को सिर्फ वही पत्रकार पसंद हैं जो उनके कार्यकर्ता बनकर रहें. यहां सवाल ये भी उठता है कि मीडिया का एक बहुत बड़ा वर्ग इस पर चुप क्यों है. क्या कुछ बड़े पत्रकार राहुल गांधी पर इसलिए सवाल नहीं उठा रहे.. क्योंकि गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी ने ही उन्हें पाल पोसकर बड़ा किया है और उन्हें पद्मश्री जैसे पुरस्कार दिए हैं? ये तीखे सवाल हैं.. लेकिन आज इन सवालों को देश के सामने रखना ज़रूरी है. सबसे पहले आप ये सुनिए कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री का इंटरव्यू करने वाली पत्रकार से क्या कहा? 

राहुल गांधी देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष हैं. और अपने आपको भावी प्रधानमंत्री मानते हैं. उन्हें मीडिया और पत्रकारों को लेकर इस तरह के हल्के बयान नहीं देने चाहिए.

एक पत्रकार के ऊपर राहुल गांधी के इस हमले से ऐसा लगता है कि उन्हें सिर्फ वो पत्रकार ही अच्छे लगते हैं, जो कांग्रेस के पक्ष की बात करते हैं. ये एक कड़वी सच्चाई है कि इस देश में बहुत से पत्रकारों को गांधी परिवार ने ही पाल पोसकर बड़ा किया है. और जो पत्रकार कांग्रेस के लिए चाटुकारिता वाले इंटरव्यू करते रहे हैं, वो राहुल गांधी को बहुत अच्छे लगते हैं. लेकिन जो पत्रकार उन्हें पसंद नहीं आते, वो उन पर ऐसा सार्वजनिक रूप से हमला करते हैं.

प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लेने वाली न्यूज़ एजेंसी की पत्रकार ने हर वो सवाल पूछा, जो प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए था. उन्होंने वो सवाल पूछे, जिनके जवाब विपक्ष मांगता है. और जिन सवालों पर विपक्ष ये आरोप लगाता है कि प्रधानमंत्री सवालों से भाग रहे हैं, लेकिन जब प्रधानमंत्री ने जवाब दिए, तो कांग्रेस अब इस इंटरव्यू को Fixed बता रही है.

हैरानी की बात तो ये है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकार उनके सामने बैठे हुए थे. लेकिन वो भी चुप रहे. इस देश में ये ट्रेंड बन चुका है कि जब भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह का कोई इंटरव्यू आता है तो कांग्रेस समर्थित पत्रकारों का गैंग उस इंटरव्यू की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है. 

अब ज़रा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के एक इंटरव्यू की भी बात करते हैं. वर्ष 2016 में सोनिया गांधी का एक इंटरव्यू हुआ था. और ये इंटरव्यू कांग्रेस द्वारा मान्यता प्राप्त एक वरिष्ठ अंग्रेज़ी पत्रकार ने किया था. ये दावा किया गया था कि 9 वर्षों के बाद सोनिया गांधी का ये पहला इंटरव्यू है. लेकिन नोट करने वाली बात ये है कि 9 साल बाद हुए इस इंटरव्यू में किस तरह के सवाल पूछे गये.

जो पत्रकार आज प्रधानमंत्री से कड़े सवाल पूछने पर ज़ोर देते हैं, वो खुद सोनिया गांधी से उनके खान-पान, लंच डिनर, और सास बहू के रिश्ते पर सवाल पूछ रहे थे. 

अब ज़रा उन सवालों पर गौर कीजिए, जो सोनिया गांधी से पूछे गए थे. 

सोनिया गांधी से इस पत्रकार ने पूछा था - 

-इंदिरा गांधी को घर में क्या पसंद था?

-सास बहू का रिश्ता कैसा था?

- क्या इंदिरा गांधी सास के रूप में सख्त थीं ?

- आप दूसरी संस्कृति से थीं, लेकिन इंदिरा गांधी ने आपको तुरंत बिल्कुल घर जैसा महसूस करवाया ?

- इंदिरा गांधी घर में खाने को लेकर बहुत ही पाबंद थीं ?

- लंच में क्या खाना है, डिनर में क्या खाना है, इसे लेकर वो बहुत पाबंद थीं ?

- आपकी सास से ज्यादा शक्ल किसकी मिलती है ?

- आपका और इंदिरा गांधी का रिश्ता सास-बहू जैसा नहीं था ?

यानी कुल मिलाकर सोनिया गांधी का ये इंटरव्यू एक प्रकार से पारिवारिक इंटरव्यू था. जिसमें सास बहू वाले सवालों की मात्रा कुछ ज़्यादा थी. 

आपने नोट किया होगा कि प्रधानमंत्री मोदी के जितने भी इंटरव्यू हुए हैं उन सब पर सवाल उठे हैं. कांग्रेस द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों ने हमेशा ऐसे इंटरव्यूज़ को Fixed बताया है. जबकि इन्हीं पत्रकारों को मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के वो इंटरव्यूज़, जो इन्होंने लिए थे.. वो बहुत शानदार, सख्त और निष्पक्ष लगते हैं. ये बहुत बड़ा विरोधाभास है... इसमें इन पत्रकारों की नज़र का दोष.. साफ़ दिखाई देता है. 

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