Zee Jaankari: गिलगिट-बाल्टिस्‍तान को कब्‍जाने पर पाकिस्‍तान को 2017 में लताड़ चुका है ब्रिटेन
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Zee Jaankari: गिलगिट-बाल्टिस्‍तान को कब्‍जाने पर पाकिस्‍तान को 2017 में लताड़ चुका है ब्रिटेन

ब्रिटेन की संसद ने कहा था कि गिलगिट-बाल्टिस्‍तान जम्‍मू और कश्‍मीर का कानूनी और संवैधानिक हिस्‍सा है. इसे पाकिस्‍तान ने 1947 के बाद से गैरकानूनी ढंग से कब्‍जाया हुआ है.

ब्रिटेन की ओर से पाकिस्‍तान का लग चुकी है फटकार. फाइल फोटो

नई दिल्‍ली : जम्‍मू और कश्‍मीर से भारत की ओर से अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के बाद बौखलाया पाकिस्‍तान अब युद्ध की गीदड़भभकी दे रहा है. लेकिन गिलगिट-बाल्टिस्‍तान को कब्‍जाने के मामले में पाकिस्‍तान को 2017 में ब्रिटेन की ओर से कड़ी लताड़ लग चुकी है.

ब्रिटेन की संसद ने मार्च, 2017 को एक प्रस्‍ताव पास करके पाकिस्‍तान द्वारा गि‍लगित-बाल्टिस्‍तान को अपना प्रांत घोषित करने के खिलाफ प्रस्‍ताव पारित किया था. इस दौरान ब्रिटेन की संसद ने कहा था कि गिलगिट-बाल्टिस्‍तान जम्‍मू और कश्‍मीर का कानूनी और संवैधानिक हिस्‍सा है. इसे पाकिस्‍तान ने 1947 के बाद से गैरकानूनी ढंग से कब्‍जाया हुआ है.

ब्रिटिश संसद में पाकिस्‍तान के खिलाफ यह प्रस्‍ताव 23 मार्च 2017 को कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बॉब ब्‍लैकमैन ने पेश किया था. उन्‍होंने इस दौरान कहा था कि पाकिस्‍तान की ओर की गई घोषणा उसके द्वारा पहले से विवादित क्षेत्र को कब्‍जाने के संकेत हैं. बॉब ब्‍लैकमैन ने प्रस्‍ताव पेश करते हुए यह भी कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्‍तान भारत के जम्‍मू-कश्‍मीर का कानूनी और संवैधानिक हिस्‍सा है, जिसे पाकिस्‍तान ने 1947 से गैरकानूनी ढंग से कब्‍जाया हुआ है. 

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उन्‍होंने यह भी कहा कि बाद में यह भी दर्ज किया गया कि उस क्षेत्र के भूगोल को बदलने के प्रयास करना स्‍टेट सब्‍जेक्‍ट ऑर्डिनेंस का उल्‍लंघन है. बॉब ब्‍लैकमैन ने यह भी कहा था कि चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) का इस क्षेत्र में निर्माण गैरकानूनी है. यह विवादित क्षेत्र में हस्‍तक्षेप करना है.

दूसरी ओर उस समय चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता की ओर से कहा गया था कि चीन पाकिस्‍तान के साथ सीपीईसी के निर्माण के लिए संयुक्‍त रूप से काम करने के लिए आगे बढ़ेगा. इससे चीन और पाकिस्‍तान के लोगों का फायदा होगा. बता दें कि सीपीईसी 51.1 अरब डॉलर का वो प्रोजेक्‍ट है, जिसके तहत चीन के शिनजियांग प्रांत में स्थित काशगर को पाकिस्‍तान के ग्‍वादर बंदरगाह से जोड़ा जाना है. जबकि भारत ने हमेशा गिलगिट-बाल्टिस्‍तान को अपना अभिन्‍न अंग माना है. 

अगस्‍त 2019 को जम्‍मू-कश्‍मीर से मोदी सरकार द्वारा अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के फैसले का ब्रिटेन के सांसद बॉब ब्‍लैकमैन ने भी समर्थन किया था. सांसद ब्‍लैकमैन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखा है. इसमें उन्‍होंने भारत का समर्थन करते हुए कहा है कि भारत सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 पूरे संवैधानिक तरीके से हटाया है. उन्‍होंने उसमें यह भी लिखा है कि जम्‍मू-कश्‍मीर भारत का आतंरि‍क हिस्‍सा है. यह भारत का आतंरिक मामला भी है.

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