ZEE JANKARI: मनोहर पर्रिकर की ज़िंदादिली और जोश वाली ज़िंदगी का DNA टेस्ट
Advertisement
trendingNow1507796

ZEE JANKARI: मनोहर पर्रिकर की ज़िंदादिली और जोश वाली ज़िंदगी का DNA टेस्ट

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को पिछले साल फरवरी में ही पता चल गया था कि उन्हें pancreatic cancer है.

ZEE JANKARI: मनोहर पर्रिकर की ज़िंदादिली और जोश वाली ज़िंदगी का DNA टेस्ट

राजनीति बहुत रूखा और सख्त पेशा है, इसमें भावनाओं की जगह नहीं होती. या फिर आप ये भी कह सकते हैं कि भावनाओं के निर्मम इस्तेमाल को ही राजनीति कहते है. लेकिन कई बार कुछ नेता, राजनीति करने की अपनी शैली से... पूरे देश और समाज को भावुक कर देते हैं और उनके मन पर गहरी छाप छोड़कर चले जाते हैं. 63 साल के मनोहर पर्रिकर... देश को बहुत सारा जोश देकर.. इस दुनिया से जा चुके हैं. आज मनोहर पर्रिकर की ज़िंदादिली और जोश वाली ज़िंदगी का DNA टेस्ट करना बहुत ज़रूरी है. आज पूरे देश में मनोहर पर्रिकर की शोकसभा चल रही है... लेकिन हम आपको उनकी शोकसभा में नहीं, बल्कि उनकी ज़िंदादिली वाली सभा में लेकर चलेंगे.

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को पिछले साल फरवरी में ही पता चल गया था कि उन्हें pancreatic cancer है. ये ऐसी बीमारी है जिसके बारे में सुनकर किसी भी मरीज़ का हौसला खत्म हो जाता है. लेकिन मनोहर पर्रिकर ने ये सब कुछ जानते हुए भी अपनी ज़िंदगी पूरे जोश के साथ जीने का फ़ैसला किया। पर्रिकर जानते थे कि आगे की ज़िंदगी आसान नहीं है और उनके पास ज़्यादा वक़्त नहीं बचा है, लेकिन उन्होंने अपनी निजी और राजनीतिक ज़िंदगी को पटरी से नहीं उतरने दिया.

जब फरवरी 2018 में पर्रिकर को कैंसर होने का पता चला...तब भी वो काम कर रहे थे. शुरुआत में उनका इलाज अमेरिका के न्यूयॉर्क में चला. इसके बाद दिल्ली के AIIMS अस्पताल में उनका treatment हुआ. इस दौरान उनकी वो तस्वीरें भी आईं जब वो काम कर रहे थे और उनकी नाक में Tube लगी हुई थी. वर्ष 2019 के पहले दिन जब पूरा देश नये साल के जश्न में डूबा हुआ था. तब पर्रिकर Naso-Gastric Tube लगाकर दफ़्तर गये थे। इसी हालत में उन्होंने 24 जनवरी को गोवा में मंडोवी पुल का निरीक्षण किया था. Naso Gastric Tube, भोजन को शरीर के अंदर पहुंचाने के लिए इस्तेमाल की जाती है. जब मरीज़ मुंह से खाना नहीं निगल सकता...तब इस tube का इस्तेमाल होता है. किसी सामान्य व्यक्ति के लिए इस हालत में काम करना बहुत मुश्किल है लेकिन पर्रिकर ने पूरे गोवा की ज़िम्मेदारी संभाली. जब विपक्ष सवाल उठा रहा था कि क्या बीमार पर्रिकर होश में हैं? तब पर्रिकर ने बताया कि वो सिर्फ होश में ही नहीं, बल्कि जोश में भी हैं.

30 जनवरी 2019 को मनोहर पर्रिकर ने इसी हालत में गोवा विधानसभा में बजट भाषण दिया था. इसके बाद उन्हें दिल्ली के AIIMS में भर्ती कराया गया था. आज जब दुनिया मनोहर पर्रिकर को विदा कर रही है. उनकी ज़िंदगी, आज मिसाल बनकर हमें बता रही है कि ये देश अपने नेता में क्या ख़ूबियां देखना चाहता है. मनोहर पर्रिकर के निधन पर आज देश भर में राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया. उनके सम्मान में सरकारी इमारतों पर आज तिरंगा आधा झुका रहा. वहीं गोवा में 24 मार्च तक राजकीय शोक घोषित किया गया है.

आज पणजी में मनोहर पर्रिकर के अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे. ये बहुत ही भावुक पल थे. इस दौरान कई बीजेपी नेताओं की आंखें नम थीं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिनों से लेकर राजनीति के शीर्ष तक.. जो लोग मनोहर पर्रिकर के क़रीबी थे... वो आज एक खालीपन महसूस कर रहे हैं  और इसकी सिर्फ एक ही वजह है, और वो है मनोहर पर्रिकर का व्यक्तित्व...

 भारत में अक्सर 'नेता' शब्द सुनकर लोग आशंकित हो जाते हैं. इस शब्द को कई बार अपशब्द की तरह इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन मनोहर पर्रिकर ने अपने व्यक्तित्व से इस शब्द के मायने बदल दिए. वो एक सच्चे आम आदमी की तरह, भारतीय राजनीति के तमाम मोर्चों पर डटे रहे. IIT बॉम्बे से गोवा विधानसभा और फिर दिल्ली के रायसीना हिल्स पर रक्षा मंत्रालय संभालने तक.. मनोहर पर्रिकर बाक़ी नेताओं के लिये एक मिसाल रहे हैं. आज उन्हें तस्वीरों की मदद से समझना ज़रूरी है.

आधी आस्तीन की शर्ट और सैंडल पहनने वाले मनोहर पर्रिकर एक नेता नहीं बल्कि आम लोगों जैसे नज़र आते थे. गोवा की सड़कों पर लोगों ने उन्हें स्कूटर चलाते हुए देखा. तो कभी स्कूटर पर पीछे बैठकर विधानसभा आते हुए देखा. ये वो तस्वीरें हैं जो बताती हैं कि गोवा ने मनोहर पर्रिकर को हमेशा एक आम आदमी की तरह अपने बीच पाया. 2014 में वो गोवा की गलियों से निकलकर, रक्षा मंत्री के रूप में दिल्ली पहुंच गये. लेकिन उनकी ज़िंदगी वहीं गोवा में बसी रही. पर्रिकर इसी सादे लिबास में संसद जाते थे. उनकी यही सादगी उनकी पहचान थी. वो देश में 18वें ऐसे मुख्यमंत्री थे जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ है.

देश के हर नेता की ये ख़्वाहिश होती है कि वो अपने करियर में एक बार दिल्ली ज़रूर आए और संसद तक पहुंचे. दिल्ली से पूरा देश चलता है. दिल्ली में सियासत के समीकरण तैयार होते हैं, इसलिए हर नेता दिल्ली में सत्ता की चाबियां हासिल करना चाहता है. लेकिन मनोहर पर्रिकर एक ऐसे नेता थे जिनके मन में दिल्ली के प्रति कोई मोह नहीं था.

उन्होंने दिल्ली को कभी विशेष महत्त्व नहीं दिया। उनके मन में ये इच्छा कभी जागृत नहीं हुई कि दिल्ली जाकर किसी बड़े पद पर बैठा जाए.... वो गोवा में ही खुश थे, लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के रक्षा मंत्री के पद के लिए मनोहर पर्रिकर को दिल्ली बुलाया तो वो इनकार नहीं कर पाए. हालांकि बतौर रक्षा मंत्री उन्होंने पूरी निष्ठा और लगन के साथ देश की सेवा की लेकिन इस दौरान उन्होंने लगातार गोवा को Miss किया.

वो हमेशा हाफ शर्ट और सैंडल पहनना पसंद करते थे. शायद इसीलिए गोवा से दिल्ली आने के बाद उन्हें ठंड का मौसम अच्छा नहीं लगता था. देश के रक्षा मंत्री होने के नाते उनके आस-पास सुरक्षा गार्ड्स का एक घेरा चलता था, जिसमें वो अपने आप को बंधा हुआ महसूस करते थे. जबकि गोवा में बतौर मुख्यमंत्री वो स्कूटर पर घूमा करते थे. रास्ते में किसी भी दुकान पर रुककर चाय पी लिया करते थे. किसी भी आम इंसान से बात कर लेते थे. लेकिन दिल्ली में ये सबकुछ नहीं हो पाता था. रक्षा मंत्री के रूप में वो कई बंधनों में बंधे हुए थे. अपने पद की गोपनीयता की वजह से वो ज़्यादा बात नहीं करते थे. वो अक्सर पत्रकारों से कहा करते थे कि 'गोवा चलूंगा तब बात करूंगा'... दिल्ली ज़्यादा बात करने की इजाज़त नहीं देती.

कहीं आने -जाने से पहले उन्हें सुरक्षा के नियमों का पालन करना पड़ता था, जबकि वो खुलकर.....अपना जीवन जीना पसंद करते थे. मनोहर पर्रिकर को जब भी मौका मिलता था वो गोवा चले जाया करते थे. गोवा की Fish उनका पसंदीदा भोजन था जिसे वो दिल्ली में बहुत Miss करते थे. दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान उनके पास 5 कमरों का एक बड़ा बंगला था, लेकिन वो सिर्फ़ एक कमरे तक सीमित थे. इसकी दो वजहें थीं. पहली ये... कि वो सादगी से रहना पसंद करते थे और दूसरी वजह ये थी कि.. गोवा जाने का मौका मिलने पर उन्हें ज़्यादा पैकिंग ना करनी पड़े. और ऐसा ही हुआ. 14 मार्च 2017 को मनोहर पर्रिकर को एक बार फिर गोवा का मुख्यमंत्री मिलने का मौका मिला और वो दिल्ली छोड़कर गोवा चले गये. मनोहर पर्रिकर की जीवन यात्रा को अगर एक लाइन में कहा जाए जो वो सादा जीवन... उच्च विचार वाली सोच के व्यक्ति थे. जिन्हें भारतीय राजनीति में हमेशा याद रखा जाएगा.

Trending news